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Birbhum. पश्चिम बंगाल की विश्व भारती यूनविर्सिटी का शुक्रवार को दीक्षांत समारोह होना है। जिसमें रक्षामंत्री राजनाथ सिंह कई कार्यक्रमों में बतौर चीफ गेस्ट शामिल होने जा रहे हैं। इस बीच छात्रों के एक दल ने यह कहकर सरगर्मी बढ़ा दी है कि विश्वविद्यालय में बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री का टेलिकास्ट किया जाएगा। जिससे बीजेपी आगबबूला हो उठी है।
हालांकि बोलपुर पुलिस का कहना है कि उसने डॉक्यूमेंट्री प्रसारित करने के लिए कोई अनुमति नहीं दी है। लेकिन छात्रों के एक समूह ने ऐसा प्रचार करना शुरू कर दिया है। जिसके चलते पुलिस ने उन्हें ऐसा न करने की चेतावनी दी है। उधर बीरभूम बीजेपी अध्यक्ष धुर्बा साहा ने कहा कि इस तरह की हरकत करना रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का अपमान है।
बोलपुर पहुंचे हैं राजनाथ सिंह
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय राज्य शिक्षा मंत्री सुभाष सरकार आज शाम बोलपुर -शांतिनिकेतन पहुंचे हैं। दीक्षांत समारोह का आयोजन शुक्रवार की सुबह होना है। छात्रों ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री दिखाने के लिए परिसर के अंदर रतनपल्ली निमताला घाट को चुना है। शाम 6 बजे से इसकी प्रसारण की शुरूआत का दावा है। ये जगह उस स्थान से कुछ ही दूरी पर है जहां उसी समय राजनाथ सिंह टैगोर की म्यूजिकल भानु सिंघेर पदावली देखने का कार्यक्रम है। इसके बाद वे विश्वभारती के कुलपति विद्युत चक्रवर्ती के साथ मीटिंग करेंगे।
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फ्रीडम ऑफ स्पीच पर रोक के खिलाफ मौन प्रदर्शन
छात्रों के इस दल डीएसए के नेता के मुताबिक जब उन्होंने सुना कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह विश्वभारती आ रहे हैं, तब उन्होंने फैसला किया कि वे अभिव्यक्ति की आजादी बचाने के लिए मौन प्रदर्शन करेंगे। डॉक्यूमेंट्री को पहले भी प्रेसिडेंसी यूनिवर्सिटी और जादवपुर यूनिवर्सिटी एसएफआई की स्टूडेंट विंग बिना किसी अनुमति के टेलीकास्ट कर चुकी है।
बीजेपी अध्यक्ष बोले माओवादी सोच से प्रभावित है स्टूडेंट विंग
उधर बीरभूम भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष धुर्बा साहा ने छात्रों के इस कदम की निंदा की है। उन्होंने कहा कि माओवादी सोच से प्रभावित स्टूडेंट्स विंग के एक सदस्य ने जानबूझकर यह कदम उठाया है, ताकि उसी वक्त बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री दिखाकर रक्षामंत्री का अपमान किया जा सके। इन नकली वामपंथियों ने जेएनयू में ऐसा ही माहौल बनाने की कोशिश की थी। लेकिन भारत के लोग उनका भरोसा नहीं करते।
ये है मामला
बीबीसी ने 17 जनवरी को ‘द मोदी क्वेश्चन’ डॉक्यूमेंट्री का पहला एपिसोड यूट्यूब पर रिलीज किया था। दूसरा एपिसोड 24 जनवरी को रिलीज होना था। इससे पहले ही केंद्र सरकार ने पहले एपिसोड को यूट्यूब से हटा दिया। पहले एपिसोड के डिस्क्रिप्शन में लिखा था कि ये डॉक्यूमेंट्री भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुस्लिम अल्पसंख्यकों के बीच तनाव पर नजर डालती है। गुजरात में 2002 में हुए दंगों में नरेंद्र मोदी की भूमिका के दावों की जांच करती है।
गुजरात दंगों पर शीर्ष कोर्ट ने एसआईटी गठित की थी। कमेटी को दंगों में नरेंद्र मोदी के खिलाफ कुछ नहीं मिला। एसआईटी ने कहा था कि मोदी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले। जून 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी की तरफ से मोदी को मिली क्लीन चिट को सही माना था।