/sootr/media/media_files/2025/04/03/RCfBtggpvxH8GIPsZcSp.jpg)
लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल (Waqf Amendment Bill) बुधवार को 12 घंटे की लंबी बहस के बाद पारित हो गया। इस दौरान कुल 520 सांसदों ने मतदान किया, जिसमें 288 सांसदों ने बिल के पक्ष में और 232 ने विपक्ष में वोट डाले। इस बिल को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने ‘उम्मीद (Unified Waqf Management Empowerment, Efficiency and Development)’ नाम दिया है। आज गुरुवार (3 अप्रैल) को यह बिल राज्यसभा में पेश किया जाएगा, जहां इसे पारित कराने के लिए सरकार को बहुमत की आवश्यकता होगी।
बिल पर चर्चा के दौरान हुआ हंगामा
एआईएमआईएम (AIMIM) सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में बिल का विरोध करते हुए इसकी कॉपी फाड़ दी। उन्होंने कहा कि यह बिल मुसलमानों को जलील करने के लिए लाया गया है।
कांग्रेस सांसद ने लगाया विभाजन का आरोप
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने लोकसभा में दिल्ली वक्फ बोर्ड विधेयक पर चर्चा करते हुए देश में धार्मिक आधार पर विभाजन का आरोप लगाया। उन्होंने विधेयक में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने पर सवाल उठाते हुए वैष्णो देवी मंदिर अधिनियम का हवाला दिया, जहां गैर-हिंदू व्यक्तियों को भी नामित किया जा सकता है। उन्होंने वक्फ बोर्ड के साथ भेदभाव का मुद्दा उठाया और केरल के देवस्थानम बोर्ड का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां केवल हिंदू विधायकों को ही सदस्यों को नामित करने का अधिकार है, जबकि मुस्लिम और ईसाई विधायकों को यह अधिकार नहीं है।
गृह मंत्री अमित शाह का जवाब
गृह मंत्री अमित शाह ने बिल पर चर्चा के दौरान कहा कि वक्फ में कोई गैर-इस्लामिक व्यक्ति नहीं आएगा और इस तरह के कोई प्रावधान बिल में नहीं हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ नेता मुस्लिम समुदाय को वोट बैंक के लिए डराने की राजनीति कर रहे हैं। वक्फ बिल चोरी के लिए नहीं, गरीबों के लिए है। संसद का कानून है, स्वीकार करना पड़ेगा।
रिजिजू ने किया बड़ा दावा
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि अगर यह संशोधन बिल नहीं आता, तो जिस संसद भवन में हम बैठे हैं, उस पर भी वक्फ संपत्ति होने का दावा किया जा सकता था। उन्होंने यह भी बताया कि 2014 के आम चुनाव से कुछ ही दिन पहले, 123 प्राइम प्रॉपर्टीज को दिल्ली वक्फ बोर्ड को ट्रांसफर कर दिया गया था। अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में नहीं आती, तो कई अन्य संपत्तियां भी गैर-अधिसूचित हो गई होतीं।
क्या है वक्फ एक्ट और इसमें क्या संशोधन हुआ?
-
1954 में वक्फ एक्ट पहली बार अस्तित्व में आया।
-
1995 में इसे संशोधित कर नया वक्फ एक्ट बनाया गया।
-
2013 में, चुनाव से पहले, यूपीए सरकार ने कई प्राइम प्रॉपर्टीज को वक्फ बोर्ड को ट्रांसफर किया।
-
2024 में, नए संशोधन के तहत वक्फ संपत्तियों को लेकर पारदर्शिता बढ़ाने का प्रयास किया गया है।
नए संशोधन की प्रमुख बातें
-
वक्फ संपत्तियों की जबरन अधिग्रहण प्रक्रिया पर रोक।
-
वक्फ संपत्तियों की डिजिटल मैपिंग।
-
सरकारी भूमि पर वक्फ का दावा करने की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाना।
-
वक्फ बोर्ड की शक्तियों को सीमित करना और पारदर्शी ऑडिट प्रणाली लागू करना।
बिल के समर्थन और विरोध में दल
समर्थन करने वाले | विरोध करने वाले |
---|---|
बीजेपी (BJP) | एआईएमआईएम (AIMIM) |
जेडीयू (JDU) | कांग्रेस (INC) |
बीजेडी (BJD) | टीएमसी (TMC) |
वाईएसआरसीपी (YSRCP) | समाजवादी पार्टी (SP) |
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन के लिए भी लोकसभा की मंजूरी
लोकसभा ने बुधवार की देर रात मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की पुष्टि करने वाले सांविधिक संकल्प कोभी पारित कर दिया। यह कदम 13 फरवरी को हिंसाग्रस्त मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू करने के बाद उठाया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में एक सांविधिक संकल्प प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने कहा कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इस्तीफा दिया था, जिसके बाद राज्यपाल ने विधायकों से चर्चा की और बहुमत सदस्यों ने कहा कि वे सरकार बनाने की स्थिति में नहीं हैं।
यह भी पढ़ें: वक्फ संशोधन बिल के बारे में वो सबकुछ जो आपको जानना जरूरी है
thesootr links
-
छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें