वक्फ संशोधन बिल के बारे में वो सबकुछ जो आपको जानना जरूरी है

आज 2 अप्रैल 2025 को वक्फ संशोधन बिल संसद में पेश होगा। यह बिल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार लाने के लिए है। इसमें महिला प्रतिनिधित्व, गैर-मुस्लिम सदस्यता, और संपत्तियों का डिजिटलीकरण शामिल है। सदन में बिल पर बहस के बाद वोटिंग होगी।

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WAQF AMENDMENT BILL 2025
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वक्फ संशोधन बिल: 2 अप्रेल को भारत की संसद में वक्फ संशोधन बिल (Wakf Amendment Bill) पर जोरदार बहस होने वाली है। संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू इस बिल को सदन में पेश करेंगे। प्रश्नकाल (Question Hour) के बाद यह बिल लोकसभा में आज (2 अप्रैल) दोपहर 12 बजे पेश होगा। इसके लिए स्पीकर ओम बिरला ने 8 घंटे का समय निर्धारित किया है, जिसमें से 4 घंटे 40 मिनट NDA को मिलेंगे और बाकी समय विपक्ष को मिलेगा।

लेकिन सरकार ने कहा है कि यदि सदन की सहमति मिलती है तो चर्चा का समय बढ़ाया जा सकता है। यह बिल मुस्लिम समाज की सबसे बड़ी और ताकतवर संस्था, वक्फ बोर्ड में संशोधन के लिए पेश किया जा रहा है। वहीं, गुरुवार को इसे राज्यसभा में चर्चा के लिए पेश किया जा सकता है।

आइए समझें इस मामले के हर पहलू को, जो आपको जानना जरूरी है

पहले जानें, वक्फ क्या है?

'वक्फ' अरबी शब्द 'वकुफा' से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है - ठहरना या रोकना। इस्लाम में, जब कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को धार्मिक कारणों से या ईश्वर के नाम पर दान करता है, तो इसे 'वक्फ' कहा जाता है। आमतौर पर ऐसी संपत्तियां 'अल्लाह की संपत्ति' मानी जाती हैं। वक्फ करने वाला व्यक्ति इसे किसी विशेष उद्देश्य, जैसे शिक्षा या अस्पतालों के लिए निर्धारित कर सकता है।

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वक्फ कैसे किया जा सकता है?

वक्फ करने के कई तरीके हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी व्यक्ति के पास एक से अधिक मकान हैं और वह इनमें से एक को वक्फ करना चाहता है, तो वह अपनी वसीयत में उस मकान को वक्फ के लिए दान करने का उल्लेख कर सकता है। इस स्थिति में, संबंधित व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका परिवार उस संपत्ति का उपयोग नहीं कर सकेगा। वक्फ की संपत्ति को संभालने वाली संस्था उसे सामाजिक कार्यों के लिए उपयोग करेगी। इसी तरह, शेयर, घर, किताब, कैश या अन्य किसी संपत्ति को भी वक्फ किया जा सकता है। कोई भी मुस्लिम व्यक्ति, जो 18 साल से ऊपर है, अपनी संपत्ति को वक्फ कर सकता है। वक्फ की गई संपत्ति पर उसका परिवार या कोई अन्य व्यक्ति दावा नहीं कर सकता है।

9.4 लाख एकड़ जमीन का है मामला

भारत में रेलवे और रक्षा मंत्रालय के बाद सबसे ज्यादा भूमि वक्फ बोर्ड के पास है, जो करीब 9.4 लाख एकड़ है। यह भूमि इतनी है कि इसमें दिल्ली जैसे तीन शहर समा सकते हैं। इस वक्फ बोर्ड से जुड़े एक्ट में बदलाव के लिए केंद्र सरकार आज संसद में बिल पेश करेगी, लेकिन इसके खिलाफ विपक्ष के नेता और मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग विरोध कर रहा है।

वक्फ की संपत्ति का संचालन करने वाले को क्या कहते हैं?

वक्फ की संपत्ति का संचालन करने के लिए वक्फ बोर्ड होते हैं, जो स्थानीय और राज्य स्तर पर बनाए जाते हैं। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में अलग-अलग शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड भी हैं। ये राज्य स्तर पर वक्फ की संपत्तियों की देखरेख करते हैं, जिसमें संपत्तियों का रखरखाव और उनसे होने वाली आय का प्रबंधन शामिल है।
केंद्रीय स्तर पर, सेंट्रल वक्फ काउंसिल राज्यों के वक्फ बोर्ड को दिशानिर्देश देने का काम करती है। इसके अलावा, देश भर में स्थित कब्रिस्तान भी वक्फ की संपत्तियों का हिस्सा होते हैं, और इनका रखरखाव भी वक्फ ही करता है।

भारत में कुल 30 वक्फ बोर्ड हैं, जिनमें से अधिकांश के मुख्यालय राज्यों की राजधानियों में स्थित हैं। इन बोर्डों को वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और देखभाल की जिम्मेदारी सौंपी जाती है।

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भारत में वक्फ की शुरुआत कहां से हुई?

भारत में वक्फ की शुरुआत दिल्ली सल्तनत के शुरुआती दिनों से जुड़ी हुई है। सुल्तान मुइज़ुद्दीन सैम ग़ौर ने मुल्तान की जामा मस्जिद के लिए दो गांव समर्पित किए थे और इसका प्रशासन शेखुल इस्लाम को सौंपा था। जैसे-जैसे दिल्ली सल्तनत और बाद में अन्य इस्लामी राजवंशों का शासन बढ़ा, वक्फ संपत्तियों की संख्या भी बढ़ती गई।

19वीं सदी के अंत में ब्रिटिश शासन के दौरान वक्फ को खत्म करने का मामला उठाया गया था। एक विवाद लंदन की प्रिवी काउंसिल में पहुंचा था, जिसमें ब्रिटिश जजों ने वक्फ को अमान्य घोषित कर दिया था। हालांकि, भारत में इस फैसले को स्वीकार नहीं किया गया और 1913 के मुसलमान वक्फ वैधीकरण अधिनियम ने वक्फ संस्था को बचाए रखा। तब से अब तक वक्फ पर कोई गंभीर अंकुश नहीं लगाया गया है।

वक्फ कानून में क्या बदलाव किए जा रहे हैं?

केंद्र सरकार वक्फ कानून में 14 प्रमुख संशोधन करने जा रही है। मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा हिस्सा इन संशोधनों के खिलाफ है, और उनके विरोध के कारण इस मुद्दे पर राजनीति भी गर्म है।

सरकार ने जो वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया है, वह क्या है?

केंद्र सरकार ने वक्फ बोर्ड में संशोधन से संबंधित विधेयक को संसद में पेश करने की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार लाना है। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने 8 अगस्त 2024 को लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024 पेश किया था। हालांकि, बाद में इस विधेयक को जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) के पास भेज दिया गया।

विधेयक में वर्तमान वक्फ अधिनियम में महत्वपूर्ण बदलावों का प्रस्ताव किया गया है। इनमें से एक महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि केंद्रीय और राज्य वक्फ बोर्ड में मुस्लिम महिलाओं का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाएगा। इसके अलावा, किसी भी धर्म के व्यक्ति को वक्फ बोर्ड की कमेटियों का सदस्य बनने का अधिकार होगा। यह अधिनियम पहले 2013 में संशोधित किया गया था।

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वे 14 संशोधन, जो सरकार चाहती है

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 में वक्फ अधिनियम, 1995 में कई महत्वपूर्ण बदलावों का प्रस्ताव किया गया है। हाल ही में, संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने इस विधेयक में 14 संशोधनों को मंजूरी दी है।

  • गैर-मुस्लिम सदस्यता: अब राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में दो गैर-मुस्लिम सदस्य होना अनिवार्य होगा। पहले ये सदस्य पदेन (ex-officio) होते थे, लेकिन अब उन्हें पदेन सदस्यों से अलग कर दिया गया है।
  • महिला प्रतिनिधित्व: वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 9 और 14 में संशोधन कर वक्फ बोर्ड की संरचना में महिला प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा, जिससे लिंग समानता सुनिश्चित हो सकेगी।
  • सत्यापन प्रक्रियाओं का सुधार: वक्फ संपत्तियों के दावों के लिए अनिवार्य सत्यापन प्रक्रियाएं लागू की जाएंगी, ताकि पारदर्शिता बढ़ सके और अवैध कब्जों पर रोक लगाई जा सके।
  • जिला मजिस्ट्रेट की भूमिका: वक्फ संपत्तियों की निगरानी में जिला मजिस्ट्रेट की भूमिका को बढ़ाया जाएगा, जिससे प्रशासनिक निगरानी में सुधार होगा।
  • वक्फ बोर्ड की शक्तियों में कटौती: वक्फ बोर्ड की अनियंत्रित शक्तियों को सीमित करने के लिए कुछ प्रावधान हटाए जाएंगे, ताकि वे बिना उचित जांच के संपत्तियों को वक्फ घोषित न कर सकें।
  • वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण: वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के लिए उनका डिजिटलीकरण किया जाएगा।
    ऑडिट प्रणाली में सुधार: वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए वक्फ संपत्तियों की ऑडिट प्रणाली में सुधार किया जाएगा।
  • अवैध कब्जों की रोकथाम: अवैध रूप से कब्जा की गई वक्फ संपत्तियों को वापस लेने के लिए कानूनी प्रणाली में सुधार किए जाएंगे।
  • वक्फ बोर्ड के सदस्यों की नियुक्ति: राज्य सरकार को वक्फ बोर्ड के सभी सदस्यों की नियुक्ति की अनुमति दी जाएगी, जिससे नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी।
  • वक्फ न्यायाधिकरण की शक्तियों में वृद्धि: वक्फ न्यायाधिकरण की शक्तियां बढ़ाई जाएंगी, ताकि वक्फ से संबंधित विवादों का जल्दी निपटारा हो सके।
  • अनधिकृत हस्तांतरण पर सख्ती: वक्फ संपत्तियों के अनधिकृत हस्तांतरण के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान किया जाएगा।
  • मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति: वक्फ बोर्ड के लिए एक वरिष्ठ स्तर के अधिकारी को मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाएगा, जिससे प्रशासनिक कार्यों में सुधार होगा।
  • वक्फ संपत्तियों का कंप्यूटरीकरण: वक्फ संपत्तियों के रिकॉर्ड को कंप्यूटरीकृत किया जाएगा, जिससे डेटा प्रबंधन में सुधार होगा।
  • वक्फ बोर्ड की संरचना में बदलाव: वक्फ बोर्ड की संरचना में बदलाव किया जाएगा, ताकि विभिन्न समुदायों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके और इसे अधिक प्रभावी बनाया जा सके।

विधेयक पर सरकार का क्या कहना है?

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने अगस्त में विधेयक पेश करते हुए कहा था कि यह संशोधन सच्चर कमेटी की सिफारिशों के आधार पर किया गया है, जिसमें यह कहा गया था कि राज्य और केंद्रीय वक्फ बोर्ड में दो महिलाओं का प्रतिनिधित्व होना चाहिए। रिजिजू का यह भी कहना था कि इस विधेयक में किए गए प्रावधान संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं करते हैं। इसके बजाय, यह विधेयक उन लोगों को अधिकार देने के लिए लाया गया है जिन्हें आज तक उनका हक नहीं मिला।
उन्होंने यह भी कहा कि 1995 में किए गए वक्फ संशोधन विधेयक के बाद, 2013 में किए गए संशोधनों ने इसे निष्क्रिय कर दिया था, जिसके कारण यह नया विधेयक लाया गया है। रिजिजू ने विपक्ष से आग्रह किया कि वे इस बिल का समर्थन करें, क्योंकि इससे करोड़ों मुसलमानों को न्याय मिलेगा, जिन्हें वक्फ बोर्ड पर कुछ चंद लोगों ने कब्जा किया हुआ है।

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वक्फ संशोधन बिल पर अब तक क्या हुआ?

वक्फ संशोधन बिल को 8 अगस्त 2024 को लोकसभा में पेश किया गया था।

इसके खिलाफ देशभर में प्रदर्शन हुए थे।

बाद में इस बिल का ड्राफ्ट संसद की जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) को भेजा गया।

27 जनवरी 2025 को इस ड्राफ्ट को मंजूरी दी गई।

19 फरवरी 2025 को कैबिनेट ने इसे मंजूरी दे दी।

अब यह बिल 2 अप्रैल 2025 को संसद में पेश होगा, जिस पर 8 घंटे की बहस के बाद वोटिंग होगी।

भारत में वक्फ की संपत्तियां कितनी हैं?

भारत में वक्फ की परंपरा का इतिहास 12वीं सदी से जुड़ा हुआ है। आज भी वक्फ की संपत्तियों में मस्जिदें, मदरसे, कब्रिस्तान, और यतीमखाने जैसे धार्मिक और सामाजिक संस्थान मौजूद हैं। कुछ संपत्तियां अवैध रूप से कब्जे में हैं, या फिर खाली पड़ी हैं।

वक्फ एक्ट और उसकी कार्यवाही

भारत में वक्फ एक्ट 1954 में बना था और बाद में 1995 में इसे संशोधित किया गया। इसके तहत वक्फ बोर्ड बनाए गए, जो वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करते हैं। वक्फ बोर्ड के साथ-साथ राज्य स्तर पर भी दो बोर्ड होते हैं – सुन्नी और शिया वक्फ बोर्ड, जिनके पास इन संपत्तियों के रख-रखाव और प्रशासन की जिम्मेदारी होती है।

वक्फ एक्ट में संशोधन के पीछे तर्क क्या हैं?

2022 से अब तक वक्फ एक्ट से जुड़ी करीब 120 याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिनमें वक्फ कानून में खामियां बताई गई हैं। इनमें से कई याचिकाएं मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा दायर की गई हैं। सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि वक्फ बोर्ड द्वारा किसी प्रॉपर्टी को अपनी संपत्ति घोषित किया जा सकता है, और इस फैसले को चुनौती देना आम लोगों के लिए कठिन होता है।

मुस्लिम समाज के विरोध की वजहें 

वक्फ कानून में बदलावों के खिलाफ मुस्लिम समाज में कुछ प्रमुख चिंताएं हैं।

कानूनी विवादों का डर : नए बिल के तहत वक्फ संपत्तियों को अगर छह महीने के भीतर कानूनी रूप से रजिस्टर्ड नहीं किया गया, तो वक्फ बोर्ड इसे अदालत में चुनौती नहीं दे सकता। इससे पुराने वक्फ संपत्तियों के मामलों में विवाद बढ़ने की संभावना है।

वक्फ प्रॉपर्टी पर कब्जे का बढ़ावा : नए संशोधन से वक्फ संपत्तियों पर 12 साल से ज्यादा समय से कब्जा करने वालों को कानूनी संरक्षण मिल सकता है।

सरकार का बढ़ता नियंत्रण : मुस्लिम समाज को लगता है कि नए बदलावों से वक्फ संपत्तियों पर सरकार का नियंत्रण बढ़ेगा और कलेक्टर अपनी मर्जी से संपत्तियों के बारे में निर्णय ले सकेंगे।

गैर-मुसलमानों का वक्फ बोर्ड में शामिल होना : नए बिल में गैर-मुसलमानों को भी वक्फ बोर्ड में शामिल किए जाने का प्रावधान है, जिसे मुस्लिम समाज के कुछ हिस्सों ने विवादित माना है।

वक्फनामा की जरूरत : नए बिल में वक्फ संपत्ति को वक्फ डीड के तहत ही दान किया जा सकता है, जबकि इस्लामी परंपरा में मौखिक रूप से भी वक्फ किया जा सकता है।

वक्फ ट्रिब्यूनल के अधिकारों में कमी : वक्फ ट्रिब्यूनल के निर्णयों को अपील करने का अधिकार समाप्त होने से मुस्लिम समाज चिंतित है।

केंद्र सरकार और बीजेपी के लिए राजनीतिक मायने : इस बिल को लेकर बीजेपी का उद्देश्य बहुसंख्यक वोटों को मजबूत करना है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बिल के माध्यम से बीजेपी मुस्लिम संपत्तियों पर सरकार का नियंत्रण बढ़ाने की कोशिश कर रही है।

सरकार का कहना क्या है?

केंद्र सरकार का कहना है कि 2006 की जस्टिस सच्चर कमेटी की सिफारिशों के आधार पर यह बदलाव किए जा रहे हैं। सरकार का तर्क है कि इस बिल का उद्देश्य वक्फ प्रॉपर्टीज के आर्थिक मामलों को बेहतर बनाना है और मुस्लिम महिलाओं तथा पिछड़े मुस्लिम समुदाय को वक्फ बोर्ड में हिस्सा देना है।

क्या बिल पास हो जाएगा?

केंद्र सरकार को लोकसभा और राज्यसभा में सामान्य बहुमत की आवश्यकता होगी, ताकि यह बिल पास हो सके। सरकार ने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर दिया है और समर्थन की आवश्यकता होगी।

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