/sootr/media/post_banners/03e39416128a976d6af4f4b328cba94e3cc5ad4a97aff60cf06b2cdfdc312b83.jpeg)
New Delhi. पिछले दिनों से राजधानी दिल्ली के हल्कों में यह खबर जोर पकड़ रही थी कि पूर्वी लद्दाख में 65 में से 26 पेट्रोलिंग प्वाइंट्स पर भारत की पहुंच खत्म हो गई है। जिसके बाद रक्षा मंत्रालय ने इस बात से साफ इनकार किया है कि भारत ने पूर्वी लद्दाख में अपनी जमीन का कोई भी हिस्सा खोया है। सेना की ओर से कहा गया है कि भारत ने विवादित इलाकों में अपनी कोई जमीन नहीं खोई है. इतना जरूर है कि कुछ इलाकों में दोनों तरफ की पेट्रोलिंग बंद कर दी गई है, लेकिन ऐसे ही इलाकों में हमारी मौजूदगी उतनी ही जरूरी है, जितनी कि चीन की सेना की मौजूदगी है।
बता दें कि लद्दाख के एक बुजुर्ग पुलिस अधिकारी पीडी नित्या ने एक रिपोर्ट में कहा है कि “वर्तमान में काराकोरम दर्रे से चुमुर तक 65 पीपी यानि कमांड प्वॉइंट हैं, जिन्हें भारतीय सुरक्षा बल द्वारा नियमित रूप से गश्त किया जाता है। 65 पीपी में से 26 पीपी में हमने अपनी उपस्थिति खो दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा गश्त नहीं करने के कारण 5-17, 24-32, 37 में हमने उपस्थिति खो दी है।
- यह भी पढ़ें
बीते सप्ताह पेश हुई रिपोर्ट
यह रिपोर्ट बीते हफ्ते दिल्ली में देश के आला पुलिस अधिकारियों के सम्मेलन में पेश की गई थी, जिसमें पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और एनएसए अजीत डोभाल ने शिरकत की थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि बाद में, चायना हमें यह तथ्य स्वीकार करने के लिए मजबूर करेगा कि इन क्षेत्रों में लंबे समय से भारतीय सुरक्षा बलों या भारतीय नागरिकों की उपस्थिति नहीं देखी गई थी। जबकि चायना इन क्षेत्रों में मौजूद था। रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि आखिरकार इन क्षेत्रों पर भारत का नियंत्रण समाप्त हो जाएगा।
चीन की चाल को भांप लिया जाए
रिपोर्ट पेश करने वाले पुलिस अधिकारी नित्या ने रिपोर्ट में लिखा है कि चायना की पीएलए ने अपने स्टाइलिश कैमरों को सबसे ऊंची चोटियों पर लगाया है और हमारे सुरक्षा बलों के मूवमेंट को कवर करके बफर जोन का फायदा उठाया है। असल में चायना बफर जोन में हमारे मूवमेंट को बढ़ावा देता है। चीन दावा करता है कि यह उनका क्षेत्र है और हमें वापस जाकर और बफर जोन बनाने के लिए भी कहता है. पीडी नित्या ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि चीन की ये रणनीति गलवान घाटी में भी देखने को मिली थी। जहां 2020 में हिंसक झड़प हुई थी जिसमें हमारे 20 जवान शहीद हुए थे और कम से कम चार चीनी सैनिक हाथ से हाथ की लड़ाई में मारे गए। नित्या ने यह भी कहा कि क्षेत्रों को सीमा से बाहर चिह्नित करना और उन्हें खाली रखना भी सेना के मनोबल को प्रभावित करता है।