क्या होता है कलमा, जिसका हवाला देकर पहलगाम में मार डाला 28 बेकसूरों को

कलमा (Kalma) इस्लाम में उन महत्वपूर्ण वाक्यों या कथनों को कहते हैं, जिनसे कोई व्यक्ति अपने ईमान या आस्था का इजहार करता है। इस्लाम में 6 मुख्य कलमे माने जाते हैं, जो बच्चों को मदरसों में सिखाए जाते हैं।

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Abhilasha Saksena Chakraborty
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What is Kalma in Islam
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जम्मू- कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला में 28 पर्यटकों की हत्या की खबर के बीच एक शब्द बार- बार चर्चा में आ रहा है, वो है- कलमा… खबरों में बताया जा रहा है कि आतंकियों ने पर्यटकों से कहा कलमा पढ़ो… आखिर क्या होता है कलमा? जानते हैं thesootr के इस एक्सप्लेनर से…

किसे कहा जाता है कलमा

कलमा (Kalma) इस्लाम में उन महत्वपूर्ण वाक्यों या कथनों को कहते हैं, जिनसे कोई व्यक्ति अपने ईमान या आस्था का इजहार करता है। यह शब्द "कलिमा" (अरबी: كلمة) से निकला है, जिसका अर्थ होता है "शब्द" या "वाक्य"। मूल रूप से यह इस्लाम के मूल सिद्धांतों को संक्षेप में व्यक्त करता है। इस्लाम में 6 मुख्य कलमे माने जाते हैं, जो बच्चों को मदरसों में सिखाए जाते हैं। इन्हें मुसलमानों को याद रखना जरूरी होता है। ये कलमे हैं-

1. तैय्यिबा (Kalma Tayyibah)

"लाआ इलाहा इल्लल्लाहु मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह"
अर्थ: अल्लाह के सिवा कोई पूज्य नहीं, मुहम्मद अल्लाह के रसूल हैं।
यह इस्लाम में प्रवेश के लिए कहा जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण कलमा माना गया है। फिल्मों में अक्सर ही इसे आपने सुना ही होगा।

2. शहादत (Kalma Shahadat)

"अशहदु अल्ला-इलाहा इल्लल्लाहु वहदहू ला शरीक लहू, व अशहदु अन्ना मुहम्मदन अब्दूहू व रसूलुहू"
अर्थ: मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के सिवा कोई पूज्य नहीं, वह अकेला है उसका कोई साझेदार नहीं और मैं गवाही देता हूं कि मुहम्मद सल्ललाहु अलैहिवसल्लम उसके बंदे और रसूल हैं।

3. तम्जीद (Kalma Tamjeed)

"सुब्हानल्लाहि वल्हम्दु लिल्लाहि वला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर, वला हौला वला क़ूव्वता इल्ला बिल्लाहिल अलीय्यिल अजीम"
अर्थ: अल्लाह पवित्र है, सारी प्रशंसा अल्लाह के लिए है, अल्लाह के सिवा कोई पूज्य नहीं, अल्लाह सबसे महान है।

4.  तौहीद (Kalma Tauheed)

"ला इलाहा इल्लल्लाहु वहदहू ला शरीक लहू, लहूल मुल्कु व लहूल हम्दु, युहयी व युमीतु, वहुवा हय्युन ला यमूतु अबदन अबदा, ज़ूल जलाали वल इकराम, बियदिहिल खैरु, वहुवा अला कुल्लि शयइन क़दीर"
अर्थ - अल्लाह के सिवा कोई पूज्य नहीं, वह अकेला है, उसका कोई साझेदार नहीं। उसी की बादशाहत है और सारी प्रशंसा भी उसी के लिए है। वही जीवन देता है और वही मृत्यु देता है। वह सदा जीवित है और कभी नहीं मरेगा। वह सम्मान और महिमा वाला है। उसी के हाथ में हर भलाई है, और वह हर चीज़ पर पूरी तरह सक्षम है।
यह कलमा एकेश्वरवाद को दर्शाता है और अल्लाह की विशेषता को वर्णित करता है।
इसमें अल्लाह की शक्ति और अकेले उसके पूज्य होने का वर्णन होता है।

5. इस्तिग़फार (Kalma Istighfar)

"अस्तगफिरुल्लाह रब्बी मिन कुल्ली ज़म्बिन अज्नब्तुहू अमदन अव खतआन, सिर्रन अव अलानिय्यतन व अतूबु इलैह"
अर्थ: मैं अल्लाह से अपने हर छोटे-बड़े, जानबूझकर या अनजाने में किए गए पापों की माफ़ी माँगता हूँ।

6. रद्दे कुफ्र (Kalma Radd-e-Kufr)

अर्थ: यह इस्लाम से इन्कार करने वाले विचारों से तौबा करने और उन्हें अस्वीकार करने का ऐलान है।

क्यों महत्वपूर्ण है

  • यह इस्लाम की नींव है।
  • किसी व्यक्ति को मुसलमान बनने के लिए सबसे पहले तैय्यिबा पढ़ना आवश्यक होता है।
  • यह ईमान की घोषणा है और इसका बार-बार पढ़ना इबादत माना जाता है।
  • यह अल्लाह की एकता (तौहीद) और मुहम्मद सल्ललाहु अलैहिवसल्लम को अंतिम रसूल मानने की पुष्टि करता है।

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कब और कैसे पढ़ा जाता है?

  • नमाज से पहले और बाद में
  • किसी संकट के समय
  • रोजाना की दुआओं में
  • मृत्यु के समय (कभी-कभी इसे आख़िरी कलमा भी कहा जाता है)
  • किसी को इस्लाम कबूल करवाते समय

पढ़ने का समय

  • कभी भी पढ़ा जा सकता है।
  • आप दिन या रात में कभी भी "लाआ इलाहा इल्लल्लाहु मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह" पढ़ सकते हैं।
  • यह जिक्र (ध्यान) अल्लाह के सबसे प्रिय कार्यों में से एक है।

पढ़ने के लिए विशेष समय

  1. सुबह और शाम के वक़्त
    फज्र (सुबह) और मगरिब (शाम) के समय इसको पढ़ना सुरक्षा, शांति और पुण्य का जरिया माना जाता है।
    2. नमाज़ से पहले और बाद में
    इसको जिक्र के रूप में पढ़ना एक आदत बना लेनी चाहिए, खासकर नमाज के बाद।
    3. किसी मुसीबत या डर के समय
    जब मन अशांत हो, डर लगे, किसी परेशानी में हों – तब पढ़ना दिल को सुकून और आत्मविश्वास देता है।
    4. मौत के समय या मौत के करीब
    हदीस के अनुसार जिसका आखिरी कलाम 'लाआ इलाहा इल्लल्लाह' हो, वह जन्नत में जाएगा। इसलिए मुसलमानों को सिखाया जाता है कि मौत के समय इसे पढ़ाया जाए।

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कलमा और हिंदू धार्मिक मंत्रों व प्रार्थनाओं में अंतर

  • इस्लाम और हिंदू धर्म दोनों में प्रार्थना और धार्मिक उच्चारण महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं, लेकिन दोनों का दृष्टिकोण, संरचना और उद्देश्य अलग-अलग होते हैं।
  • कलमा अरबी भाषा में होता है, जबकि हिंदू मंत्र संस्कृत या हिंदी में होते हैं।
  • यह एक ईमान की घोषणा' है, जिसमें सिर्फ एक ईश्वर (अल्लाह) की बात होती है और यह इस्लाम में प्रवेश की पहली शर्त है। वहीं हिंदू मंत्र भक्ति, आराधना, ध्यान और आत्मशुद्धि के लिए बोले जाते हैं, और यह बहुदेववाद (अनेक रूपों में ईश्वर) पर आधारित हो सकते हैं।
  • इस्लाम का केंद्रीय और अपरिवर्तनीय आधार है।
  • कुरान इसे ईमान, सफलता, जन्नत और तौबा से जोड़ता है।
  • हिंदू धर्म में मंत्र विविध उद्देश्यों के लिए उपयोग होते हैं – ज्ञान, भक्ति, मुक्ति, और ऊर्जा संचरण।

    FAQ

    क्या सिर्फ कलमा पढ़ लेने से कोई मुसलमान बन जाता है?
    नहीं, साथ ही दिल से विश्वास और अमल (कर्म) भी जरूरी होता है।
    बच्चों को कलमा क्यों सिखाया जाता है?
    ताकि वो बचपन से ही अपने धर्म की मूल बातें जान सकें और अल्लाह से जुड़ सकें
    क्या कलमा पढ़ने का कोई सवाब (पुण्य) मिलता है?
    हाँ, हर बार कलमा पढ़ने से पुण्य मिलता है और यह दिल की सफाई का माध्यम बनता है।



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