New Delhi. देश में आम चुनाव (2024) के पहले का मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट ऐसे समय में आ रहा है जब दुनियाभर में आर्थिक मंदी के चलते ब्याज दरों में लगातार वृद्धि हो रही है और विकास दर की रफ्तार धीमी पड़ रही है। ऐसे में सरकार के पास बजट-2023 में जनता के लिए बहुत ज्यादा लोकलुभावन योजनाओं का ऐलान करने की गुंजाइश नहीं है। लेकिन सरकार को इस बात का अहसास है कि देश का मध्यमवर्ग आर्थिक रूप से खासा दबाव में है। सरकार की इस चिंता का उल्लेख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार (29 जनवरी) को हुई कैबिनेट की बैठक में अपने मंत्रियों से भी कर चुके हैं। इसी के चलते उम्मीद जताई जा रही है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम टैक्सपेयर की जेब में कुछ बचत छोड़ने की गुंजाइश निकाल सकती हैं।
इनकम टैक्स स्लैब में कटौती की उम्मीद
देश की कई प्रतिष्ठित फाइनेंशियल रिसर्च फर्म की रिपोर्ट्स और अर्थशास्त्रियों के उम्मीद है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए इनकम टैक्स स्लैब में कटौती कर सकती हैं। इसके अलावा सामाजिक सुरक्षा देने वाली योजनाओं का दायरा भी बढ़ाया जा सकता है। साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार को बढ़ावा देने वाली योजनाओं के जरिए गरीबों पर किए जाने वाले खर्च को भी बढ़ा सकती हैं। इसके अलावा बजट 2023 में लोकल मैन्यूफैक्चरिंग और रोजगार को बढ़ावा देने के उपायों पर भी फोकस किया जा सकता है।
घरेलू मांग बढ़ाने पर फोकस रहेगा
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के अर्थशास्त्री देवेंद्र कुमार पंत का कहना है कि बढ़ती महंगाई ने मध्यम और निम्न आय वर्ग की खर्च करने की ताकत को कम किया है। ऐसे में वित्तमंत्री बजट में उपभोक्ता वस्तुओं की मांग बढ़ाने के लिए अपेक्षित उपायों का ऐलान कर सकती हैं। उन्हें उम्मीद है कि देश में गरीबों और अमीरों के बीच बढ़ती खाई को देखते हुए कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च की जाने वाली राशि का आबंटन भी बढ़ाया जा सकता है।
मध्यम वर्ग को राहत के लिए उच्च वर्ग पर बोझ बढ़ेगा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में कहा था कि उन्हें इस बात का एहसास है कि देश का मध्यम वर्ग किस तरह के दबाव में चल रहा है। ऐसे में इस बात की उम्मीद लगाई जा रही हैं कि वे इस बार के आम बजट में करदाताओं की जेब में कुछ ज्यादा पैसे छोड़ सकती हैं। लेकिन ये सब कुछ मुफ्त में नहीं हासिल होने वाला है। देश के जानेमाने अर्थशास्त्रियों के पैनल का मानना है कि यदि मध्यम आय वर्ग के लिए टैक्स की दरों में कोई कमी की जाती है तो इसकी भरपाई उच्च आय वर्ग पर उपकर या अधिभार बढ़ाकर की जाएगी। एक आर्थिक रिपोर्ट के मुताबिक घरेलू निर्माण उद्योग को बढ़ावा देने को लिए वित्तमंत्री प्राइवेट जेट,हेलीकॉप्टर,हाई-एंड इलेक्ट्रॉनिक आइटम और महंगी ज्वेलरी पर लगने वाली इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ा सकती हैं।
सोशल सेक्टर पर बढ़ेगा फोकस
देश में बेरोजगारी की दर पिछले महीने 16 महीने के उच्च स्तर (8.3%) पर पहुंच चुकी है। ऐसे हालात में दुनिया की सबसे बड़ी आबादी के लिए रोजगार पैदा करना सरकार के लिए इस बजट में सबसे बड़ी चुनौती है। अर्थशास्त्री राधिका राव का कहना है कि इस बजट में ग्रामीण रोजगार गारंटी पर होने वाला आवंटन इस साल के 730 अरब रुपए के आवंटन से ज्यादा रह सकता है। इसके साथ ही फसल बीमा, ग्रामीण सड़क बुनियादी ढांचे और किफायती घरों के निर्माण पर भी बजट में फोकस बढ़ाया सकता है। भारतीय स्टेट बैंक के अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष का कहना है कि इस बजट में बुजुर्गों और बच्चियों के लिए छोटी बचत योजनाओं का दायरा भी बढ़ाया जा सकता है।
लोकल मैन्यूफैक्चरिंग के लिए पीएलआई स्कीम का ऐलान
भारत ग्लोबल सप्लाई चेन में चीन का विकल्प बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में ग्लोबल मैन्यूफैक्चरर देश में अपनी फैक्ट्रियां लगाने के लिए सरकार से वित्तीय राहत या सहायता की उम्मीद कर रहे हैं। इस बजट में शिपिंग कंटेनर, इलेक्ट्रानिक गैजेट और खिलौना बनाने वाले सेक्टर के लिए पीएलआई (प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव) स्कीम का ऐलान किया जा सकता है। केंद्र सरकार ने घरेलू उत्पादन को बढ़ाने और आयात बिल कम करने के लिए मार्च 2020 में इस योजना की शुरुआत की थी। इसमें सरकार कंपनियों को भारत में बने प्रोडक्ट की बिक्री के आधार पर इंसेंटिव देती है।