केंद्र सरकार की PIB फैक्ट चेक यूनिट पर क्या थीं आपत्तियां ? जानिए सब कुछ

केंद्र की मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने फैक्ट चेक यूनिट के नोटिफिकेशन पर फिलहाल रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने ये फैसला दिया है।

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Pratibha ranaa
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फैक्ट चेक यूनिट

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BHOPAL. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की फैक्ट चेक यूनिट ( Fact Check Unit ) पर फिलहाल रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि फैक्ट चेक यूनिट केंद्र सरकार के कामकाज से जुड़ी खबर को फर्जी, गलत या भ्रामक बता सकती है। इस वजह से ऐसा फैसला लिया गया है। 

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फैक्ट चेक यूनिट पर SC ने लगाई रोक

दरअसल 20 मार्च को केंद्र सरकार ने इन्फॉर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी नियमों ( PIB Fact Check ) के तहत संशोधन लाते हुए एक फैक्ट चेक यूनिट को सेटअप करने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था। नोटिफिकेशन जारी होने के एक- दो दिन बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। ये फैसला चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने दिया है।

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ये अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ- SC

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मौलिक अधिकार है। इस पर नियम 3(1)(b)(5) के असर का विश्लेषण हाईकोर्ट में जरूरी है। इसलिए जब तक हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी नहीं हो जाती, तब तक नोटिफिकेशन पर रोक रहेगी। बता दें, केंद्र सरकार ने आईटी रूल्स, 2021 के नियम 3(1)(b)(5) में दी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए ही पीआईबी की फैक्ट चेक यूनिट को केंद्र सरकार की फैक्ट चेक यूनिट के रूप में नोटिफाई किया था। कोर्ट ने कहा कि यह यूनिट अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ है। यह फैक्ट चेक यूनिट केंद्र सरकार के बारे में सोशल मीडिया में वायरल हो रही फर्जी सूचनाओं और पोस्ट की पहचान करने के साथ उसे प्रतिबंधित करने के लिए बनाई जानी थी।

SC ने इसलिए लगाई रोक 

PIB फैक्ट चेक यूनिट के पास पहले लीगल एक्शन लेने का अधिकार नहीं था। इसी को ध्यान में रखकर अप्रैल 2023 में सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 में संशोधन किए गए थे। इसके तहत कोई खबर या पोस्ट जो सरकार के बारे में गलत या भ्रामक जानकारी दे रही है, उसे PIB के सभी सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किया जाएगा। इसके बाद जिसने यह गलत या भ्रामक जानकारी दी थी, उसे यह हटाना पड़ेगा। अगर वह ऐसा नहीं करता है तो उसके खिलाफ लीगल एक्शन लिया जा सकता है। इसको लेकर 20 मार्च 2024 को सरकार ने नोटिफिकेश जारी किया था। 

क्यों हो रहा इस यूनिट को लेकर विरोध

स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन और एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन ने सबसे बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि ये नियम असंवैधानिक और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। वहीं एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने ये भी कहा था कि फेक न्यूज तय करने की शक्तियां पूरी तरह से सरकार के हाथ में होना प्रेस की आजादी के विरोध में है।

PIB फैक्ट चेक यूनिट क्या है?

पीआईबी फैक्ट चेक यूनिट ( PIB Fact Check Unit ) भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय ( Ministry of Information and Broadcasting ) के तहत प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) द्वारा स्थापित एक यूनिट है। यह यूनिट सोशल मीडिया, ऑनलाइन न्यूज पोर्टल्स और अन्य माध्यमों पर फैल रही गलत सूचनाओं को तथ्यात्मक रूप से जांचने और सही जानकारी प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है।

यूनिट के काम

  • सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रही खबरों, तस्वीरों, वीडियो और अन्य सामग्री की निगरानी करना।
  • सामग्री की सत्यता की जांच करने के लिए विभिन्न स्रोतों का उपयोग करना।
  • यदि सामग्री गलत या भ्रामक पाई जाती है, तो उसे 'फेक न्यूज' के रूप में चिह्नित करना और PIB के सोशल मीडिया चैनलों और वेबसाइट पर स्पष्टीकरण जारी करना।
  • विभिन्न मीडिया संगठनों, सरकारी विभागों और अन्य हितधारकों के साथ समन्वय करना।

पीआईबी फैक्ट चेक: खास- खास

  • यह यूनिट 2019 में स्थापित की गई थी।
  • यह यूनिट चौबीसों घंटे काम करती है।
  • यह यूनिट हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में काम करती है।
  • यह यूनिट PIB के सोशल मीडिया चैनलों और वेबसाइट के माध्यम से जानकारी प्रदान करती है।

 

 

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