अनंत चतुर्दशी: गणेश विसर्जन करना कब होगा शुभ... जान लीजिए मुहूर्त

भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा अर्चना का पर्व अनंत चतुर्दशी 17 सितम्बर को है। इसे अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी का व्रत रखकर शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से पूजा करने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं।

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Dolly patil
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अनंत चतुर्दशी
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सनातन धर्म में अनंत चतुर्दशी का व्रत ( Anant Chaturdashi vrat ) बहुत ही खास माना जाता है। जानकारी के मुताबिक अनंत चतुर्दशी को अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। बता दें कि इसी दिन गणेश जी का विसर्जन भी किया जाता हैं।  हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है। 

कब है अनंत चतुर्दशी

इस बार अनंत चतुर्दशी की तिथि का आरंभ 16 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 10 मिनट पर होगा और इस तिथि का समापन 17 सितंबर को सुबह 11 बजकर 44 मिनट पर होगा। बता दें कि इस बार अनंत चतुर्दशी ( Anant Chaturdashi )  17 सितंबर यानी मंगलवार को ही मनाई जाएगी।  इसी के साथ बता दें कि अनंत चतुर्दशी की पूजा के पश्चात इस दिन अनंत सूत्र बांधा जाता है। ये खास सूत्र कपास या रेशम का बना होता है और इस सूत्र से चौदह गांठें बांधी जाती हैं।  

गणपति विसर्जन का मुहूर्त  

अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी का विसर्जन किया जाता है। इस दिन गणेश जी के विसर्जन के लिए सबसे शुभ मुहूर्त दोपहर 3 बजकर 20 मिनट से शाम 4 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। हालांकि विसर्जन से पहले पूजन मुहूर्त सुबह 6 बजे से 11 बजकर 40 मिनट तक रहेंगा। 

पूजन विधि

अनंत चतुर्दशी के दिन सबसे पहले पूजा स्थल को साफ करें और उसके बाद गंगाजल का छिड़काव करें। फिर पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। भगवान विष्णु को अक्षत, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, इत्र, चंदन आदि चीजें अर्पित करें।  इस दिन भगवान विष्णु की आरती करें और उनके मंत्रो का जाप जरूर करें।  अंत में भगवान विष्णु को अनंत सूत्र अर्पित करें। 

गणेश विसर्जन पूजन विधि

गणेश विसर्जन से पहले गणेश जी की विधिवत पूजा करें।  पूजा के समय उन्हें मोदक या फल का भोग लगाएं।  इसके साथ ही गणेश जी की आरती करें। अब गणेश जी से विदा लेने की प्रार्थना करें।  पूजा स्थल से गणपति महाराज की प्रतिमा को सम्मान-पूर्वक उठाएं।  पटरे पर गुलाबी वस्त्र बिछाएं।  प्रतिमा को एक लकड़ी के पटे पर धीरे से रखें। लकड़ी के पटरे को पहले गंगाजल से उसे पवित्र जरूर कर लें।

गणेश मूर्ति के साथ फल-फूल, वस्त्र एवं मोदक रखें। थोड़े चावल, गेहूं और पंचमेवा रखकर पोटली बनाएं।  उसमें कुछ सिक्के भी डाल दें।  उस पोटली को गणेश जी की प्रतिमा के पास रखें।  अब गणेश जी की मूर्ति को किसी बहते हुए जल में विसर्जन कर दें।

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