BHOPAL. बुधवार को संसद में घुसे दो युवाओं से मिले 'पास' पर बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा के हस्ताक्षर थे। एक पत्रकार और अखबार में कॉलम लेखक के रूप में करियर की शुरूआत करने वाले सिम्हा ने साल 2014 में मैसूर-कोडागु सीट से लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचने तक कई कारनामे किए हैं। बीते नौ साल की सांसदी में सिम्हा ने विपक्ष के साथ-साथ अपनी पार्टी के नेताओं से भी टक्कर ली है। खास बात ये है कि इस तरह के स्वभाव वाले किसी नेता का बीजेपी जैसी पार्टी में ऐसा होना आम बात नहीं है। बात की जाए बीते मई में हुए राज्य विधानसभा की तो, इस दौरान सिम्हा ने चुनाव हारने पर बीएस येदियुरप्पा और बासवराज बोम्मई की सरकार पर ही उंगली उठा दी थी। सिम्हा का आरोप था कि बीजेपी की राज्य सरकार ने किसी समझौते के तहत कांग्रेस नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में कदम नहीं उठाए।
बैरिकेड्स तोड़े तो पुलिस जान बचाकर भागी
जनवरी 2018 में सांसद प्रताप सिम्हा ने मैसूर में उस रूट पर हनुमान जयंती की झांकी निकाली, जिसके लिए पुलिस ने अनुमति नहीं दी थी। जब पुलिस ने इस झांकी को रोकना चाहा तो सिम्हा खुद झांकी वाली गाड़ी चलाने लगे और बैरिकेड तोड़ते हुए आगे बढ़ गए। इस दौरान अफरा तफरी में पुलिस वाले अपनी जान बचा कर भागे। सिम्हा ने बाद में अपने बचाव में कहा कि वह तो सिर्फ गाड़ी टर्न कर रहे थे, ताकि वह वापस लौट सकें। सांसद प्रताप सिम्हा कई बार कह चुके हैं कि संतोष उन तीन आरएसएस नेताओं में से एक हैं, जिनकी वजह से उन्हें मैसुर से टिकट मिला था। कर्नाटक बीजेपी में येदियुरप्पा और बीएल संतोष के बीच हमेशा से ही छत्तीस का आंकड़ा रहा है।
टीपू सुल्तान की बरसी का किया था विरोध
इसके बाद साल 2022 के नवंबर महीने में सिम्हा ने मैसूर में हाइवे के पास स्थित एक कॉलेज के पास बने एक गुंबदाकर बस स्टेशन का विरोध किया। ये एक बस स्टैंड था, जिसे स्थानीय बीजेपी विधायक रामदास ने अपनी विधायक नीधि से बनवाया था। सिम्हा का कहना था कि बस स्टेशन के ऊपर बना गुंबद 'एक मस्जिद है। इसे इंजीनियरों को हटाना पड़ेगा, नहीं तो वह खुद जेसीबी लाकर इसे गिरा देंगे। पिछली कांग्रेस सरकार ने जब टीपू सुल्तान की बरसी मनाना शुरू की तो सिम्हा ने हर स्तर पर इसका विरोध किया था।