BHOPAL/NEW DELHI. तीनों राज्यों में भारी बहुमत के बाद भाजपा के सामने अब सीएम चेहरे की बड़ी चुनौती है। सबका एक ही सवाल कौन होगा मुख्यमंत्री। 6 दिसम्बर को राजनीतिक सरगर्मी बेहद तेज रही। सुबह से रात तक कई संकेत मिले। सांसदों के इस्तीफे और मुख्यमंत्री के नाम के लिए अमित शाह की प्रधानमंत्री से मुलाकात से ये साफ हो गया कि नाम तय हो गया है। बस मुहर लगना बाकी है।
भाजपा ने क्या कदम उठाए, कैसे मुख्यमंत्री के नाम तक पहुंची। इसके लिए पूरे दिन के घटनाक्रम को सिलसिलेवार समझते हैं।
पहला - कुल 11 सांसदों ने दिया इस्तीफा
सुबह से ही इस बात की गहमागहमी रही कि सांसदों का क्या होगा। वे विधायकी छोड़ेंगे या सांसदी। दिन के पहले हाफ में ही ये साफ हो गया। चुने हुए 12 सांसदों में से 11 ने सांसदी से इस्तीफा दिया। राजस्थान के बालकनाथ ने अभी इस्तीफा नहीं दिया है। इस पर रहस्य बरकरार है। बालकनाथ राजस्थान से सीएम पद के मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं।
संसद सदस्यता छोड़ने वालों में मध्यप्रदेश से नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद सिंह पटेल, राकेश सिंह, उदय प्रताप और रीति पाठक हैं। वहीं छत्तीसगढ़ से अरुण साव, रेणुका सिंह और गोमती साय जबकि राजस्थान से राज्यवर्धन सिंह राठौड़, दीया कुमारी और किरोड़ी लाल मीणा शामिल हैं। तेलंगाना में विधानसभा चुनाव जीते कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी ने भी संसद सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। रेवंत कल तेलंगाना के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
निहितार्थ - इससे ये पूरी तरह साफ हो गया कि इन सांसदों की भूमिका प्रदेश की राजनीति में ही रहने वाली है। लोकसभा के लिए पार्टी नए चेहरों पर काम करेगी।
दूसरा - मुख्यमंत्री के लिए नया चेहरा रहेगा
परिणाम के दिन से ही ये चर्चा गर्म थी कि मध्यप्रदेश में शिवराज, राजस्थान में वसुंधरा, छत्तीसगढ़ में रमन सिंह की दोबारा ताजपोशी होगी। ये सवाल इसलिए भी उठा क्योंकि तीनों ही राज्यों में भाजपा ने बिना चेहरे के चुनाव लड़ा था। सूत्रों के मुताबिक भाजपा हाईकमान ने ये फैसला ले लिया है कि इस बार किसी पुराने चेहरे को नहीं लाया जाएगा। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में किसी युवा चेहरे को लाने की भी संभावना है। मध्यप्रदेश में उप-मुख्यमंत्री पर भी पार्टी ने विचार किया है। फिलहाल इस पर चर्चा जारी है।
निहितार्थ - भाजपा पूरी तरह से नेतृत्व को नए हाथों में सौंपने की दिशा में है। पुराने चेहरों को लोकसभा और राष्ट्रीय राजनीति में जाना होगा।
तीसरा - मंत्रिमंडल में लागू होगा गुजरात फॉर्मूला
मुख्यमंत्री के चेहरे के साथ-साथ भाजपा मंत्रिमडल से भी पुराने और नए चेहरों का एक मिश्रण रखना चाहती है। गुजरात में पार्टी ऐसा कर चुकी है। इस फॉर्मूले से तीन से ज्यादा बार मंत्री रह चुके नेताओं को मंत्रिमंडल से बाहर रखा जा सकता है। दो बार के विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह मिलने की सम्भावना है। पार्टी ने इसलिए भी सूची तैयार कर ली है।