तिरुपति मंदिर के प्रसाद में जानवर की चर्बी वाला घी?.. रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

तिरुपति बालाजी मंदिर के इस विवाद के हर पहलू को समझना जरूरी है, ताकि श्रद्धालुओं के मन में उठ रहे सवालों का सही जवाब मिल सके। आइए, जानते हैं इस पूरे मामले की शुरुआत से लेकर अब तक की सभी घटनाओं और विवादों का विस्तृत विवरण।

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Vikram Jain
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Tirupati temple prasad controversy
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NEW DELHI. आंध्र प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट की पुष्टि हो गई है। प्रसाद में उपयोग होने वाले घी की जांच रिपोर्ट ने सभी चौंका दिया है। प्रसाद में मछली के तेल और जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल करने की पुष्टि हुई है। इस मामले को लेकर साधु- संतों में गुस्सा है। इस मामले में को लेकर सियासी पारा भी हाई है।

यह मामला करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ा हुआ है, इसलिए यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर पवित्र प्रसाद में मिलावट किसने और क्यों की? इस पूरे विवाद के केंद्र में कई सवाल खड़े हो रहे हैं। पहला सवाल यह है कि इस मामले की जांच किसने कराई और इसके पीछे क्या कारण थे? दूसरा अहम सवाल यह है कि किस लैब में इस जांच को अंजाम दिया गया और आखिरकार जांच रिपोर्ट में क्या खुलासा हुआ है?

इस विवाद के हर पहलू को समझना जरूरी है, ताकि श्रद्धालुओं के मन में उठ रहे सवालों का सही जवाब मिल सके। आइए, जानते हैं इस पूरे मामले की शुरुआत से लेकर अब तक की सभी घटनाओं और विवादों का विस्तृत विवरण।

कैसे शुरू हुआ यह विवाद?

दरअसल, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया था कि पिछली सरकार में तिरुपति के वेंकटेश्वर मंदिर में मिलने वाले प्रसाद बनाने वाले घी में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल किया जा रहा है।

इसके बाद 9 जुलाई को मंदिर बोर्ड ने घी के सैंपल गुजरात स्थित पशुधन लैब (NDDB CALF Ltd.) भेजे थे। 16 जुलाई को लैब रिपोर्ट में एक फर्म के घी में मिलावट पाई गई। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की फूड लैब काल्फ (CALF) (पशुधन और फूड में एनालिसिस और लर्निंग सेंटर) ने मुताबिक जानवरों की चर्बी और फिश ऑयल से तैयार किया गया घी से प्रसाद के लड्डू बनाए जा रहे हैं।

इसके बाद 22 जुलाई को मंदिर ट्रस्ट ने बैठक के बाद 23 जुलाई को प्रसाद वाले घी के सैंपल लिए गए और जांच के लिए लैब भेजे गए। इसकी चौंकाने वाली रिपोर्ट 18 सितंबर को सामने आई। इस पर मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने तत्कालीन जगन सरकार पर हमला बोला। चंद्रबाबू नायडू सरकार ने कहा कि जगन मोहन रेड्डी की सरकार ने हिंदुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ किया है। इस तरह के कृत्य से मंदिर की पवित्रता को ठेस पहुंची। ये आस्था से बहुत बड़ा खिलवाड़ हुआ।

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जांच रिपोर्ट क्या कहती है?

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के (NDDB) और खाद्य विश्लेषण और अध्ययन केंद्र या CALF की प्रयोगशाला की रिपोर्ट में सामने आया है कि जगन मोहन रेड्डी की सरकार के दौरान तिरुपति मंदिर के लड्डू बनाने के लिए जो घी इस्तेमाल होता था वो मिलावटी था। इसमें  एनिमल टैलो (पशु में मौजूद फैट) और लार्ड (जानवर की चर्बी से संबंधित) की मात्रा पाई गई है। घी में फिश ऑयल (fish oil) की मात्रा भी पाई गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक प्रसादम लड्डू में सोयाबीन, सूरजमुखी, अलसी, गेहूं के बीज, जैतून, रेपसीड, मक्का के बीज, कपास के बीज, मछली तेल, नारियल और पाम कर्नेल वसा, पाम तेल और बीफ टेलो (गौमांस की चर्बी), लार्ड शामिल है।

कौन तैयार करता है प्रसाद?

देश के सबसे बड़े मंदिरों में शुमार प्रसिद्ध श्री वेंकटेश्वर मंदिर में रोजाना 82 हजार श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। यहां करीब साढ़े तीन लाख 3.50 लाख लड्डू तैयार किए जाते हैं। श्रद्धालुओं को प्रसाद में लड्डू का बांटे जाते हैं। यहां तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम कमेटी संचालन करती है। प्रसाद लड्डू बनाने के लिए सभी सामग्री कमेटी ही खरीदती है। इसके बाद कमेटी के वॉलेंटियर्स द्वारा लड्डुओं को श्रद्धालुओं को निर्धारत कीमतों पर बेचा जाता है। इस कमेटी का गठन हर दो साल में राज्य सरकार करती है।

पिछले 50 साल से कर्नाटक कॉपरेटिव मिल्क फेडरेशन (KMF) शुद्ध देसी घी रियायती दरों पर मंदिर कमेटी को सप्लाई कर रहा था। हालांकि, जुलाई 2023 में KMF ने कम रेट पर घी सप्लाई करने से मना कर दिया। इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की सरकार ने 5 अन्य फर्मों को घी सप्लाई की जिम्मेदारी सौंपी।

कौन कर रहा था घी की सप्लाई?

जुलाई 2023 में घी के सैंपल में गड़बड़ी पाए जाने के बाद नायडू सरकार ने तुरंत इस मामले में कदम उठाया और 29 अगस्त को फिर से KMF को घी सप्लाई करने का काम सौंप दिया गया।

KMF का नंदिनी ब्रांड इस सप्लाई के लिए जाना जाता है। जब जगन मोहन सरकार सत्ता में थी, उस वक्त KMF के अध्यक्ष भीमा नाइक ने यह आरोप लगाया था कि मंदिर ट्रस्ट कम गुणवत्ता वाला घी खरीद रहा है। इस पर मंदिर ट्रस्ट बोर्ड के अधिकारी एवी धर्म रेड्डी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि मंदिर ट्रस्ट केवल ई-टेंडर प्रक्रिया के जरिए चुने गए सप्लायर्स से ही घी खरीदता है, जो उच्च गुणवत्ता और कम लागत के मापदंडों को पूरा करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि KMF टेंडर प्रक्रिया के लिए पात्र नहीं था और वह समय पर खेप पहुंचाने में भी विफल रहा था। इस विवाद के बाद नायडू सरकार ने KMF को दोबारा घी सप्लाई की जिम्मेदारी सौंपी।

ब्लैक लिस्टेड होगी घी कंपनी

इस घटना के बाद सरकार ने कहा प्रसाद के लिए जिस कंपनी से अब घी लिया जा रहा था, उसका करार अब खत्म कर दिया है। कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने की जाने की तैयारी है। इसकी जांच विजिलेंस को सौंपी गई है। संबंधित कंपनी को सालभर पहले ही सप्लाई का टेंडर मिला था। फिलहाल, अब मंदिर बोर्ड ने घी की गुणवत्ता और निगरानी के लिए चार सदस्यों वाली कमेटी का गठन किया है।

पूर्व सीएम के खिलाफ NSA लगाने की मांग

प्रसाद में मिलावट का हैरान करने वाला मामला सामने आने के बाद वकील विनीत जिंदल ने गृह मंत्रालय और आंध्र प्रदेश के DGP को शिकायती पत्र भेजा है। इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी, तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) के पदाधिकारियों और मिलावटी घी की आपूर्ति करने वाले ठेकेदार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। शिकायत में कहा गया है कि इस मामले में सभी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 152, 192, 196, 298 और 353 के तहत एफआईआर की जाए। साथ ही पूर्व सीएम

जगन मोहन रेड्डी और अन्य के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) की कार्रवाई हो।

तिरुपति मंदिर के प्रसाद में मिलावट का मामले में सियासी घमासान तेज हो गया है। इस मामले में तेलंगाना से बीजेपी विधायक टी. राजा सिंह ने पवित्र प्रसादम में चर्बी और मछली तेल मिलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। इधर, कर्नाटक बीजेपी ने भी जगन मोहन की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस पर हमला बोला है। बीजेपी का कहना है कि जगन मोहन सरकार ने तिरुपति मंदिर बोर्ड में गैर-हिंदुओं की नियुक्ति हुई थी।

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