NEW DELHI. बांग्लादेश में सियासी उथल पुथल के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना इस्तीफा देने बाद भारत पहुंचीं हैं। शेख हसीना अभी कुछ दिनों तक यहां रह सकती हैं। क्योकिं ब्रिटेन जाने की उम्मीद टूटती दिख रही हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शेख हसीना को सुरक्षित जगह पर शिफ्ट कर दिया गया है।
बांग्लादेश छोड़ने के बाद भारत ने मदद का हाथ बढ़ाते हुए शेख हसीना को पनाह दी है। क्योकिं ये पड़ोसी बांग्लादेश भारत का दोस्त है। भूटान और श्रीलंका भी हमारे अच्छे दोस्त है। वहीं भारत के पाकिस्तान, चीन और मालदीव का रुख भारत विरोधी है। म्यांमार और नेपाल फिलहाल किसी के साथ नहीं दिखाई देते है। दरअसल, भारत ने बांग्लादेश को विशेष तवज्जो देते हुए नई दिल्ली में आयोजित G-20 शिखर सम्मेलन में बतौर स्पेशल गेस्ट आमंत्रित किया था।
लेकिन अब बांग्लादेश में तख्तापलट हो चुका है। अब वहां शेख हसीना की सरकार गिर चुकी हैं। पड़ोसी देश बांग्लादेश में हुए सियासी घटनाक्रम के बाद भारत के लिए कई मुश्किलें हो सकती हैं। हालाकि इस घटनाक्रम में पाकिस्तान चीन और अमेरिका की भूमिका से जुड़े पहलुओं का भी भारत गहराई से आंकलन कर रहा है। वहां के बदले हालातों के बाद भारत पर क्या असर पड़ेगा। इसको लेकर आगे हम जानेंगे।
बांग्लादेश में सेना के सत्ता संभालते ही ये होगा
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के के इस्तीफे और देश छोड़कर भागने के बाद सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने सब कुछ अपने हाथों में ले लिया। सेना प्रमुख ने कहा कि हम अंतरिम सरकार बनाएंगे और अब हम देश को संभालेंगे।
अब बांग्लादेश में सेना पावर में आ चुकी है। अब वह आंदोलन में मारे गए छात्रों को इंसाफ दिलाने के बहाने खुद सत्ता पर काबिज होना चाहेगी। इतना ही नहीं वह चुनाव टाल सकती है। फिलहाल बांग्लादेश की जनता में खासा आक्रोश है। सेना प्रमुख ने देश को कहा है कि देश में अंतरिम सरकार का गठन होगा। देश में हालात सामान्य होने के बाद 90 दिनों में ये केयर टेकर सरकार चुनाव करा सकती है।
भारत का प्रयास रहा है उसके पड़ोसी देशों में शांति हों सरकारें स्थिर रहे और वहां पर लोकतंत्र मजबूत रहे। अब गैर चुनी हुई सरकार होने की स्थिति में भारत बांग्लादेश के नहीं दिखना चाहेगा। इससे पहले भी जब भी वहां सेना द्वारा तख्तापलट किया गया उसके बाद भारत से रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं। भारत नहीं चाहेगा कि पाकिस्तान और चीन के बाद पूर्व भाग से अशांति बढ़ाने की कोशिश हो।
चुनाव हो और खालिदा जिया जीत जाए तो...
बांग्लादेश में तख्तापलट होने के बाद राष्ट्रपति मोहम्मद सहाबुद्दीन के आदेश के बाद मुख्य विपक्षी नेता और पूर्व पीएम बेगम खालिदा जिया को जेल से रिहा कर दिया गया है। खालिदा जिया चीन समर्थक मानी जाती हैं। अगर चुनाव हुए तो खालिदा जिया कि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी को फायदा मिलेगा। खालिदा जिया को शेख हसीना के खिलाफ जनता के आक्रोश का फायदा मिल सकता है। इस स्थिति में खालिदा जिया या उनके बेटे प्रधानमंत्री बन सकते हैं।
चुनाव होने और उसमें बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की जीत भारत के लिए परेशानी खड़ी कर सकती है। चीन समर्थक खालिदा जिया भारत विरोधी नीति अपनाने के लिए जानी जाती हैं। उनकी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने 'इंडिया आउट' नाम अभियान भी चलाया था। इस अभियान के तहत बीएनपी ने भारत में बनी वस्तूओं का बहिष्कार करने की अपील की थी। खालिदा जिया की सरकार बनने के बाद व्यापारिक व्यवहार बिगड़ सकते है। भारत के बांग्लादेश में चल रहे प्रोजेक्ट पर भी असर पड़ेगा।
कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी की सरकार बने तो
बांग्लादेश में आंदोलन शुरू करने में जमात ए इस्लामी का हाथ बताया जाता है। अगर देश में चुनाव होते है तो जमात को जीत मिल सकती है। यह कट्टरपंथी राजनीतिक पार्टी खालिदा जिया की समर्थक पार्टियों में शामिल है। सूत्रों की माने तो जमात पर आरोप है कि उसका पाकिस्तान से कनेक्शन है, और बांग्लादेश में होने वाली आतंकी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार है। इस कारण हसीना सरकार ने आतंकवाद विरोधी कानून के तहत जमात-ए-इस्लामी पर बैन लगाया था।
बैन लगाए जाने के बाद जमात ने हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील थी, जिसे खारिज कर दिया गया था। अब बदले हालत को देखते हुए जमात पर लगा प्रतिबंध हटता है वो उनका दल चुनाव लड़ेगा।
अगर जमात की जीत होती और वह सरकार में आती है तो बांग्लादेश में कट्टरपंथ बढ़ेगा और ये देश भारत का दुश्मन देश बन जाएगा। इस जमात का पाकिस्तान से गहरा नाचा है। यह पाकिस्तान की जमात ए इस्लामी पार्टी की एक विंग है। ऐसे में भारत को बांग्लादेश से भी आतंकवाद की समस्या से निपटना पड़ेगा।
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