सनातन, इस्लाम और यूनिफॉर्म सिविल कोड! क्या संघ-जमीयत की बयानबाजी ने सेट किया 2024 का चुनावी एजेंडा?

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Jitendra Shrivastava
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सनातन, इस्लाम और यूनिफॉर्म सिविल कोड! क्या संघ-जमीयत की बयानबाजी ने सेट किया 2024 का चुनावी एजेंडा?

NEW DELHI. क्या 2024 का लोकसभा चुनाव विकास से ज्यादा धर्म के मुद्दे पर लड़ा जाएगा? क्या इस चुनाव में यूनिफॉर्म सिविल कोड एक निर्णायक मुद्दा बन जाएगा? ये सवाल इसलिए क्योंकि संघ और जमीयत ने अपनी बयानबाजी से अलग तरह की सियासी बिसात बिछाने का काम कर दिया है।



लोकसभा चुनाव के लिए सियासी बिसात बिछनी शुरू हो गई



2024 के लोकसभा चुनाव के लिए सियासी बिसात बिछनी शुरू हो गई है। एक तरफ जमीन पर सोशल इंजीनियरिंग के जरिए समीकरण साधने के प्रयास हैं तो दूसरी तरफ कई ऐसे मुद्दे भी उठाए जा रहे हैं जिससे वोटरों को ध्रुवीकरण किया जा सके। इन्हीं मुद्दों में अब सनातन, इस्लाम और यूनिफॉर्म सिविल कोड जैसे मुद्दे भी जुड़ गए हैं। ये वो मुद्दे हैं जिन्हें बीजेपी-कांग्रेस तो समय-समय पर उठाती ही रहती है, लेकिन पिछले कुछ दिनों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और जमीयत की बयानबाजी ने इन मुद्दों को और ज्यादा हावी कर दिया है। उन बयानों के बाद माना जा रहा है कि 2024 के रण में ये मुद्दे भी सभी पार्टियों के लिए निर्णयाक भूमिका निभाने वाले हैं।



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भागवत का सनातन वाला बयान जिसने बदले समीकरण 



अब धर्म के इर्द-गिर्द तो देश की राजनीति हमेशा से ही रही है, लेकिन संघ प्रमुख मोहन भागवत के हाल के बयानों ने इसे और ज्यादा हवा देने का काम किया है। हाल ही में एक कार्यक्रम में मोहन भागवत ने कहा था कि भारत में रहने वाले सभी हिंदू हैं और जो मुस्लिम हैं वो भी हिंदू धर्म से ही धर्मांतरण करके मुस्लिम बने। इससे पहले आज तक से बात करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कहा था कि सनातन धर्म भारत की आत्मा है। भारत की पहचान है। सनातन धर्म भारत का राष्ट्रीय धर्म है। मानवता के कल्याण का मार्ग सनातन धर्म ही दिखाएगा। सनातन धर्म में मेरा-पराया की सोच नहीं है। इसके अलावा पिछले कुछ दिनों में कई मौकों पर बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री ने भी हिंदू राष्ट्र का जिक्र कर दिया है। वे भी सभी हिंदुओं को एकजुट करने की बात कर रहे हैं।



मदनी का मुस्लिमों को संदेश, बीजेपी को चुनौती 



इन बयानों के जरिए हिंदुओं को एक संदेश देने का प्रयास हो ही रहा था कि अब जमीयत चीफ मौलाना महमूद मदनी ने अपने बयानों से इस मुद्दे को अलग ही दिशा दे दी है और धर्म के इर्द-गिर्द ही सियासी जंग छिड़ गई है। दिल्ली के रामलीला मैदान में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के 34वां सत्र को संबोधित करते हुए जमीयत चीफ मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि भारत जितना नरेंद्र मोदी और मोहन भागवत का है, उतना ही महमूद मदनी का भी है। उन्होंने आगे कहा कि ये धरती खुदा के सबसे पहले पैगंबर अब्दुल बशर सईदाला आलम की जमीन है। इसलिए इस्लाम को ये कहना की वह बाहर से आया है, सरासर गलत और बेबुनियाद है। इस्लाम सबसे पुराना मजहब है। इस सब के अलावा यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर भी मदनी ने एक चेतावनी दे डाली है। कहा है कि अगर इसे लागू किया गया तो ये ठीक नहीं होगा। 



2024 का मुद्दा विकास बनाम धर्म, क्या ज्यादा हावी?



यहां ये समझना जरूरी है कि 100 साल पहले जमीयत की नींव रखी गई थी, लेकिन वक्त के हिसाब से इस धार्मिक संगठन की दिलचस्पी राजनीति में बढ़ती गई। जिसके बाद भारत की सियासत में इसकी दखलअंदाजी भी बढ़ी। इस बार भी जमीयत ने अपने सबसे बड़े मंच से अपना रुख साफ कर दिया है। जिससे पता चलता है कि 2024 के चुनाव में किन मुद्दों की गूंज सबसे ज्यादा सुनाई देगी। ये वो मुद्दें जिन पर बीजेपी ने हमेशा से ही खेला है, विपक्ष ने इन्हीं मुद्दों के उठाने पर बीजेपी को कोसा है और जमीन पर जमकर सियासत होती देखी गई है। कहने को अमृतवर्ष में प्रवेश करने की बात हो रही है, 2047 तक विकसित भारत बनाने का वादा है, लेकिन जिन मुद्दों पर सियासत शुरू हुई है वो 2024 के चुनावी एजेंडे को पूरी तरह बदल सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि जमीयत के अधिवेशन में जिन मुद्दों पर मंथन हुआ है, वो सीधे-सीधे संघ-बीजेपी के कोर एजेंडे से विपरीत दिखाई पड़ते हैं।



यूनिफॉर्म सिविल कोड बनेगा सबसे बड़ा मुद्दा? 



बताया जा रहा है कि जमीयत ने अपने अधिवेशन में समान नागरिक संहिता, इस्लामोफोबिया, मदरसों के सर्वे, तीन तलाक खत्म करना, हिजाब, पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की है। इसी को लेकर एक नहीं कई प्रस्ताव भी जारी किए गए हैं। ये प्रस्ताव ही बताने को काफी हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इन्हीं मुद्दों के जरिए बीजेपी को घेरने की तैयारी है, लेकिन सबसे ज्यादा बेचैनी समान नागरिक संहिता को लेकर जमीयत की मीटिंग में देखने को मिल रही है। ये बेचैनी इसलिए क्योंकि कुछ बीजेपी शासित राज्यों ने यूजीसी को लेकर बड़े ऐलान कर दिए हैं। गुजरात-उत्तराखंड में समिति बना दी गई है, कर्नाटक और दूसरे बीजेपी शासित राज्य के सीएम भी इसे कानून के दायरे में लाने की बात कर चुके हैं। यानी कि चुनाव से ठीक पहले ये मुद्दा बड़ा बनने वाला है। जमीयत को भी इस बात अहसास है, ऐसे में उसने जमीन पर अपनी राजनीति शुरू कर दी है।


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