Womens safety : नाइट शिफ्ट में महिला डॉक्टर नहीं सुरक्षित, आईएमए का दावा

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की स्टडी में सामने आया है कि भारत में लगभग 33 प्रतिशत महिला डॉक्टर रात की शिफ्ट में खुद को अपनी वर्क प्लेस पर असुरक्षित महसूस करती है।

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Deeksha Nandini Mehra
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IMA Study 2024
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IMA Study on Doctors Safety : कोलकाता रेप और मर्डर कांड के बाद देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। कामकाजी महिलाएं नाइट शिफ्ट करने से कतराती हैं। चाहे वे डॉक्टर हों या कोई अन्य प्रोफेशन में हों। हाल ही में IMA (Indian Medical Association) की स्टडी में सामने आया है कि भारत में लगभग 33 प्रतिशत महिला डॉक्टर रात की शिफ्ट में खुद को अपने वर्क प्लेस पर असुरक्षित महसूस करती हैं। आईएमए ने बताया कि कुछ डॉक्टर खुद की सुरक्षा के लिए हथियार या पेपर स्प्रे जैसे सामान साथ रखने की जरूरत समझती हैं। 

आईएमए का ऑनलाइन सर्वे 

दरअसल, नाइट शिफ्ट में काम करने वाले डॉक्टर्स की सेफ्टी की चिंताओं को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एक सर्वे किया है। यह सर्वे ऑनलाइन मोड में किया गया था। आईएमए ने दावा किया कि डॉक्टर्स की सुरक्षा के विषय पर 3885 व्यक्तिगत प्रतिक्रियाओं के आधार पर यह भारत का सबसे बड़ा अध्ययन है।

22 से ज्यादा राज्यों के डॉक्टर्स हुए शमिल 

इस सर्वे में 22 से ज्यादा राज्यों से डॉक्टर शामिल हुए। जिनमें से 85 प्रतिशत 35 वर्ष से कम उम्र के थे, जबकि 61 प्रतिशत ट्रेनी डॉक्टर्स थे। वहीं 20-30 की उम्र के डॉक्टर में सुरक्षा की भावना सबसे कम थी और इस समूह में बड़े पैमाने पर ट्रेनी और स्नातकोत्तर (postgraduates) शामिल हैं।

सर्वे में ये आया सामने 

  • आईएमए के ऑनलाइन सर्वे में पाया गया कि 45 प्रतिशत डॉक्टर के पास नाइट शिफ्ट के दौरान ड्यूटी रूम ही उपलब्ध नहीं है।
  • भीड़भाड़, प्राइवेसी की कमी और कमरों में ताले नहीं होने की वजह से ड्यूटी रूम अक्सर पर्याप्त नहीं होते हैं। जिससे डॉक्टरों को वैकल्पिक जगह ढूंढने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
  • इसके अलावा जहां ड्यूटी रूम थे उनमें से एक-तिहाई ड्यूटी रूम में बाथरूम अटैच नहीं होता।

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