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महिला दिवस विशेष : केंद्र और राज्य सरकारें महिलाओं के सशक्तिकरण की बात तो करती हैं, लेकिन क्या यह सिर्फ भाषणों तक सीमित है, या बजट में भी इसकी झलक मिलती है? वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में महिलाओं से जुड़े कार्यक्रमों को कितना आवंटन मिला, आइए जानते हैं।
महिला सशक्तिकरण के लिए बजट में क्या खास?
इस बार लिंग बजट (Gender Budget) कुल केंद्रीय बजट का 8.9% रहा। यानी सरकार की विभिन्न योजनाओं में महिलाओं के लिए आवंटित धनराशि में बढ़ोतरी हुई है। वित्त मंत्री ने अपने 74 मिनट के बजट भाषण में कई बार महिलाओं का उल्लेख किया और कहा कि महिलाओं को उद्यमिता और रोजगार में अधिक अवसर मिलेंगे। चलिए पहले समझते हैं कि ये जेंडर बजट आखिर क्या है…
लिंग बजट (Gender Budget) क्या है?
लिंग बजट (Gender Budget) एक कॉन्सेप्ट है, जिसमें सरकार के संसाधनों और नीतियों का विश्लेषण लिंग (महिला-पुरुष) के दृष्टिकोण से किया जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि सरकारी खर्चों और योजनाओं का महिलाओं और पुरुषों पर समान प्रभाव पड़े और महिलाओं को समुचित संसाधन व अवसर प्राप्त हों।
खास बातें-
- लिंग बजट का मतलब महिलाओं के लिए अलग बजट बनाना नहीं, बल्कि यह यह देखना है कि सरकारी खर्चों से महिलाओं और पुरुषों को कैसे लाभ मिलता है।
- यह विभिन्न मंत्रालयों और विभागों द्वारा संचालित योजनाओं में महिलाओं की भागीदारी और लाभ को सुनिश्चित करता है।
इसमें तीन भाग होते हैं
- भाग A – 100% बजट महिलाओं के लिए होता है
- भाग B – 30-99% महिलाओं को लाभ देने वाली योजनाएं
- भाग C – 0-29% महिलाओं के लिए बजट
भारत में लिंग बजट की शुरुआत कब हुई?
भारत में लिंग बजट की औपचारिक शुरुआत 2005-06 के केंद्रीय बजट से हुई थी। वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने पहली बार लिंग बजटिंग का जिक्र किया और सरकार की नीतियों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की पहल की। इसके तहत, 11 मंत्रालयों ने अपने बजट में महिलाओं से संबंधित योजनाओं की रिपोर्टिंग शुरू की, जो बाद में बढ़कर 30 मंत्रालयों तक पहुंच गई।2004 में पहली बार महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (MWCD) ने नीति आयोग और वित्त मंत्रालय के सहयोग से लिंग बजट पर काम करना शुरू किया।
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लिग बजट का प्रभाव
2005-06 में कुल बजट का 2.79% इसमें आवंटित किया गया था।
2024-25 के बजट में इसे 8.9% आवंटित किया गया है, जिससे यह साफ होता है कि सरकार अब महिला-केंद्रित योजनाओं पर अधिक ध्यान दे रही है।
भारत में लिंग बजटिंग के फायदे
✅ महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा को प्राथमिकता मिलती है।
✅ रोजगार और आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा मिलता है।
✅ महिला उद्यमिता और कौशल विकास के लिए योजनाओं को बढ़ावा दिया जाता है।
✅ सरकार को लिंग समानता के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलती है।
सरकार के लिंग बजट को तीन भागों में बांटा है:
भाग A – 100% महिलाओं के लिए योजनाएं
भाग B – 30-99% महिलाओं को लाभ देने वाली योजनाएं
भाग C – 0-29% महिलाओं के लिए बजट
ग्राफ बताता है कि पहले के मुकाबले भाग A में कमी आई है और भाग B की हिस्सेदारी बढ़ी है, यानी अब अधिक योजनाओं में महिलाओं को आंशिक रूप से लाभ मिल रहा है।
महिला सशक्तिकरण के प्रति प्रतिबद्धता दिखाने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक वित्तीय सहायता है। इस साल, लिंग बजट को कुल बजट का 8.9% आवंटित किया गया है। बता दें कि बजट में कोई अलग "लिंग बजट" नहीं होता है; यह केवल विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में लिंग-संबंधित योजनाओं के आवंटन को बताता है।
कौन से मंत्रालय महिलाओं के लिए आगे?
बजट में 49 मंत्रालयों और विभागों ने महिला-संबंधित योजनाओं को धन आवंटित किया। इनमें से 10 मंत्रालयों ने अपने बजट का 30% से अधिक हिस्सा महिलाओं के लिए रखा। लेकिन कुछ प्रमुख क्षेत्रों में आवंटन अब भी बहुत कम है।
महिला उद्यमिता (Entrepreneurship)
महिलाओं को छोटे उद्योग और स्टार्टअप में आगे बढ़ाने के लिए MSME (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय) को मात्र 0.7% बजट मिला। यह राशि 238.4 करोड़ रुपए है, जो कुल बजट का 0.0009% है।
शिक्षा और कौशल विकास
10% लिंग बजट शिक्षा मंत्रालय को मिला, जिसमें स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा और तकनीकी प्रशिक्षण शामिल हैं।
रोजगार और ग्रामीण विकास
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) को 8.9% बजट दिया गया।
प्रधानमंत्री आवास योजना को 15.5% बजट मिला, जिससे महिलाओं के घर के स्वामित्व को बढ़ावा मिलेगा।
महिलाओं को योजनाओं का लाभ कितना मिल रहा?
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-KISAN) में महिलाओं को नाममात्र लाभ मिल रहा है, क्योंकि अधिकतर किसान पुरुष हैं।
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (रसोई गैस कनेक्शन) को मात्र 3.9% लिंग बजट मिला, और यह आंकड़ा पिछले साल से नहीं बढ़ा।
कामकाजी महिलाओं के लिए डे-केयर सुविधाएं और घरेलू जिम्मेदारियों को ध्यान में रखकर योजनाओं पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है।
क्या सरकार सही दिशा में बढ़ रही है?
सरकार ने बजट में महिलाओं के लिए कई वादे किए हैं, लेकिन उद्योग, स्वरोजगार और विनिर्माण क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए अधिक निवेश की जरूरत है।
गुजरात और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में महिला-केंद्रित योजनाओं पर अलग-अलग फोकस दिखा। मध्यप्रदेश ने अपने बजट में लाड़ली बहना योजना में सबसे ज्यादा बजट रखा, लेकिन यह योजना DBT यानी डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर की है। इससे सीधे तौर पर महिलाओं को कोई रोजगार या नौकरी नहीं मिलती। यानी योजना खत्म होते ही इसका इम्पेक्ट भी खत्म…
गुजरात में महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए अधिक फंड दिया गया।
पश्चिम बंगाल में महिलाओं के लिए आवंटन अपेक्षाकृत कम रहा।
आइए अब मध्यप्रदेश की तस्वीर पर भी नजर डालते हैं
मध्य प्रदेश बजट 2024-25
महिलाओं के लिए सौगात या आंकड़ों की बाजीगरी?
2024-25 का बजट देखने- दिखाने में महिलाओं पर केंद्रित रहा। वैसे भी लाड़ली बहना के सहारे सत्ता में पहुंची सरकार को अपने पहले बजट में यह दिखाना जरूरी था कि वह महिला हितैषी है, मगर ₹3.65 लाख करोड़ के बजट को महिलाओं के नजरिए से देखेंगे तो तस्वीर कुछ और ही नजर आएगी। हालांकि सरकार जल्द ही 2025-26 का बजट भी जारी कर देगी, मगर महिला दिवस के संदर्भ में 2024-25 के बजट पर नजर डालना जरूरी है…
महिला एवं बाल विकास विभाग का बजट – 81% की छलांग!
महिला एवं बाल विकास विभाग के बजट में 81% की वृद्धि हुई, जिससे यह बढ़कर ₹560 करोड़ हो गया है। यह सुनने में बड़ी बात लगती है, लेकिन जब इसे पूरे बजट से तुलना करें तो यह मात्र 0.15% बैठता है। यानी बजट का सिर्फ एक छोटा हिस्सा ही महिला और बाल विकास के लिए रखा गया है।
मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना – बड़ी रकम, बड़ा बदलाव?
महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए सरकार ने लाड़ली बहना योजना के तहत ₹36,560 करोड़ का प्रावधान किया है। यह बजट में महिलाओं के लिए सबसे बड़ा आवंटन रहा, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह राशि सही मायनों में महिलाओं के भविष्य को संवार पाएगी?
इस योजना के तहत महिलाओं को ₹1,250 महीना दिया जाता है, यानी सालभर में ₹15,000।
हालांकि, इस योजना का प्रभाव सीमित है, क्योंकि यह महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की बजाय सीधे नकद सहायता पर आधारित है।
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अनुपूरक बजट – अतिरिक्त आवंटन कितना उपयोगी?
सरकार ने हाल ही में ₹22,460 करोड़ के अनुपूरक बजट की घोषणा की, जिसमें से ₹456 करोड़ महिला एवं बाल विकास विभाग को दिए गए हैं। लेकिन यह रकम लाड़ली बहना योजना के लिए ही निर्धारित है, जिसका मतलब यह है कि नई योजनाओं के लिए कोई अलग बड़ा बजट नहीं रखा गया है।
स्वास्थ्य – महिलाओं और बच्चों के लिए राहत?
महिलाओं और बच्चों की स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए सरकार ने ₹21,444 करोड़ का प्रावधान किया, जो पिछले साल के मुकाबले 34% अधिक था। यह कदम महिलाओं की सेहत के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा सकता है।
ग्रामीण विकास – महिला उद्यमिता को बढ़ावा?
गांवों की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार ने 'ग्रामीण क्रेडिट स्कोर' फ्रेमवर्क की शुरुआत करने की घोषणा की, जिससे स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को आसानी से लोन मिल सकेगा।
यह योजना महिलाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने और छोटे उद्योगों में भागीदारी बढ़ाने में मदद कर सकती है।
लेकिन बैंकिंग प्रक्रियाओं की जटिलता और जागरूकता की कमी के कारण यह योजना कितनी प्रभावी होगी, इस पर सवाल बने हुए हैं।
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बजट में महिलाओं के लिए कितना बजट? – परसेप्शन और वास्तविकता
बजट में ₹36,560 करोड़ महिला योजनाओं के लिए आवंटित किया गया है।
लेकिन इसमें से 90% सिर्फ नकद हस्तांतरण योजनाओं पर केंद्रित है, न कि रोजगार, शिक्षा और उद्यमिता पर।
महिला एवं बाल विकास के लिए कुल बजट ₹560 करोड़ है, जो कुल बजट का केवल 0.15% है।
✅ सकारात्मक पहल:
स्वास्थ्य सेवाओं में वृद्धि
लाड़ली बहना योजना से सीधे आर्थिक सहायता
ग्रामीण महिलाओं के लिए लोन सुविधा
❌ चुनौतियां:
अधिकांश बजट सीधी नकद सहायता पर केंद्रित, दीर्घकालिक प्रभाव कम
महिला उद्यमिता और शिक्षा के लिए बहुत कम आवंटन
नई योजनाओं की कमी, मौजूदा योजनाओं का ही विस्तार
दरअसल महिला सशक्तिकरण को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता तो दिख रही है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह पर्याप्त है? अभी भी महिला उद्यमिता, स्किल डेवलपमेंट और स्वरोजगार पर अधिक निवेश जरूरी है। साथ ही लिंग बजट को महज एक संख्या बनाकर छोड़ने के बजाय, इसे वास्तविक रूप से लागू करने की जरूरत है।
अगर सरकार वास्तव में महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत करना चाहती है, तो बजट में घोषणाओं से आगे बढ़कर, जमीनी स्तर पर काम करना होगा। तभी महिला सशक्तिकरण एक हकीकत बन पाएगा, न कि सिर्फ एक नारा।
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