BHOPAL. अखबार के पन्ने पर एक कोने में छपे कार्टून पर हर किसी का ध्यान जरूर जाता है। ये कार्टून ज्वलंत मुद्दों पर होता है और बड़े ही रोचक ढंग से बनाया जाता है। इसे देखकर आपके चेहरे पर कई तरह के भाव आ सकते हैं। हास्य, निराशा, बेबसी, दुख और खुशी जैसे तमाम भाव आपके चेहरे पर आ सकते हैं। इन कार्टून को लोग काफी पसंद भी करते हैं। आज वर्ल्ड कार्टूनिस्ट डे है और ये दिन सभी कार्टूनिस्ट को समर्पित है।
वर्ल्ड कार्टूनिस्ट डे का इतिहास
'द येलो किड'
5 मई 1895 को न्यूयॉर्क के संडे मॉर्निंग पेपर 'न्यूयॉर्क वर्ल्ड' ने अपने पाठकों को एक सरप्राइज दिया था। न्यूयॉर्क वर्ल्ड ने एक बड़े कान वाले छोटे लड़के का रंगीन चित्र छापा था, जिसके चेहरे पर एक शरारती मुस्कराहट थी। अमेरिकी कॉमिक स्ट्रिप लेखक रिचर्ड आउटकॉल्ट द्वारा बनाई गई इस कॉमिक स्ट्रिप को 'होगन्स एले' कहा गया और बाद में इसका नाम बदलकर 'द येलो किड' कर दिया गया। ये दुनिता का पहला व्यवसायिक रूप से सफल कार्टून बना, जिसे बाद में होर्डिंग्स, पोस्ट कार्ड पर भी छापा जाने लगा। 'द येलो किड' की वजह से कार्टून एक लोकप्रिय समाचार पत्र की विशेषता बन गए और समय के साथ प्रतिभाशाली कार्टूनिस्टों और चित्रकारों की मांग भी बढ़ती गई। इसलिए तब से इस दिन को 'नेशनल कार्टूनिस्ट डे' के रूप में मनाने की शुरुआत हुई।