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भारत के 18 वर्षीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने इतिहास रचते हुए विश्व शतरंज चैंपियन का खिताब जीत लिया है। गुकेश ने चीन के डिंग लिरेन को 7.5-6.5 से हराकर यह खिताब अपने नाम किया। इस जीत के साथ, उन्होंने गैरी कास्पारोव का रिकॉर्ड तोड़ते हुए सबसे कम उम्र में विश्व चैंपियन बनने का कारनामा कर दिखाया। गुकेश का करियर छोटी उम्र से ही उपलब्धियों से भरा रहा है। 12 साल की उम्र में सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बनने से लेकर आज विश्व चैंपियन बनने तक, गुकेश ने कई बड़े रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं।
विश्व शतरंज चैंपियन बने गुकेश
भारत के डी गुकेश ने 18 साल 8 महीने और 14 दिन की उम्र में विश्व शतरंज चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। इस जीत के साथ, उन्होंने गैरी कास्पारोव का 40 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया, जिन्होंने 22 साल की उम्र में यह खिताब जीता था। यह 12 साल के लंबे इंतजार के बाद किसी भारतीय द्वारा जीता गया विश्व खिताब है। इस ऐतिहासिक जीत के लिए गुकेश ने डिंग लिरेन को हराया, जो खुद भी एक बेहद मजबूत खिलाड़ी माने जाते हैं। इस मैच की शुरुआत 6.5-6.5 की बराबरी के साथ हुई थी, लेकिन लिरेन की एक गलती ने गुकेश को जीत का मौका दे दिया।
कैसे शुरू हुआ गुकेश का सफर?
गुकेश ने मात्र 12 साल 7 महीने और 17 दिन की उम्र में भारत के सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बनने का रिकॉर्ड बनाया था। वे दुनिया के सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर बनने से मात्र 17 दिन दूर रह गए थे। उन्होंने 2017 में प्रशिक्षक विष्णु प्रसन्ना के साथ ट्रेनिंग शुरू की। विष्णु के मार्गदर्शन में गुकेश ने न केवल तकनीकी इंजनों (कंप्यूटर) के बिना अपनी स्किल्स विकसित की, बल्कि खुद के खेल पर ध्यान केंद्रित कर असाधारण प्रदर्शन किया। उनके कोच विष्णु प्रसन्ना ने भी माना कि गुकेश का जुनून और नंबर वन बनने की दीवानगी उन्हें बाकियों से अलग बनाती है।
विष्णु प्रसन्ना का प्लान और तकनीकी इंजनों से दूरी
गुकेश ने अपने करियर में तकनीकी इंजनों (कंप्यूटर) का कम से कम इस्तेमाल किया। कोच विष्णु प्रसन्ना ने गुकेश को एक अनोखे प्रयोग के तहत प्रशिक्षित किया। उन्होंने गुकेश को कंप्यूटर से पूरी तरह से दूर रखा और उनके खेल को खुद के विश्लेषण पर आधारित किया। उनका मानना था कि जब खिलाड़ी खुद विश्लेषण करता है, तो वह अपनी सोच और रणनीति में सुधार करता है। कोच विष्णु का यह जोखिम भरा कदम कामयाब साबित हुआ और उन्होंने गुकेश को विश्व चैंपियन बनाने में मदद की। विष्णु ने यह भी कहा, "हमारा उद्देश्य था कि गुकेश खुद की स्किल्स विकसित करे और बिना किसी भ्रम के खेल को समझे।"
क्यों है गुकेश इतने खास ?
गुकेश का जुनून और नंबर वन बनने की सनक उन्हें दूसरे खिलाड़ियों से अलग बनाती है। विष्णु प्रसन्ना ने कहा, "गुकेश के अंदर जो जुनून है, वह बाकी खिलाड़ियों में नहीं देखा गया।" उन्होंने बताया कि गुकेश का ध्यान सिर्फ अपने खेल पर रहता है और उन्होंने हर मुकाबले को अपने खेल में सुधार के अवसर के रूप में लिया। वर्ष 2022 में, उन्होंने पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद को हराकर भारत के शीर्ष रैंकिंग खिलाड़ी बनने का कारनामा भी किया था। इस जीत के बाद उन्होंने शतरंज ओलंपियाड में गोल्ड मेडल भी जीता। उनकी उपलब्धियों की सूची में कैंडिडेट्स टूर्नामेंट 2024 की जीत और अब विश्व शतरंज चैंपियन का खिताब भी जुड़ गया है।
चेन्नई के रहने वाले हैं गुकेश डी
डी गुकेश का पूरा नाम डोमाराजू गुकेश है और वह चेन्नई के रहने वाले हैं। गुकेश का जन्म चेन्नई में सात मई, 2006 को हुआ था। गुकेश के पिता डॉक्टर हैं तो वहीं मां पेश से माइक्रोबायोलोजिस्ट हैं। गुकेश ने सात साल की उम्र में ही शतरंज खेलना शुरू कर दिया था। उन्हें शुरू में भास्कर ने कोचिंग दी थी। इसके बाद खुद विश्वनाथन आनंद ने उन्हें चेस के खेल की जानकारी दी और उन्हें ट्रेनिंग दिया।
गुकेश ने जीती एशियाई स्कूल चेस चैंपियनशिप
गुकेश ने 2015 में एशियाई स्कूल शतरंज चैंपियनशिप के अंडर -9 वर्ग और अंडर 12 वर्ग में 2018 में विश्व युवा शतरंज चैंपियनशिप जीती। गुकेश ने अब तक पांच गोल्ड एशियाई यूथ चैंपियनशिप जीती हैं। गुकेश 2019 में चेस इतिहास में दूसरे सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर बने। उन्होंने सर्गेई कर्जाकिन को अब तक के सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर के रूप में लगभग पीछे छोड़ ही दिया था, लेकिन 17 दिनों तक रिकॉर्ड से चूक गए थे। रिकॉर्ड को बाद में अभिमन्यु मिश्रा ने पीछे छोड़ दिया, जिससे गुकेश तीसरे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए।
2021 में सीनियर चेस की दुनिया में उभरे गुकेश
जून 2021 में उन्होंने जूलियस बेयर चैलेंजर्स शतरंज टूर, गेलफैंड चैलेंज जीता, जिसमें 19 में से 14 अंक हासिल किए। अगस्त 2022 में गुकेश ने 44वें शतरंज ओलंपियाड की शुरुआत 8/8 के परफेक्ट स्कोर के साथ की। उन्होंने भारत को आठवें मैच में नंबर एक रैंक वाले अमेरिका को हराने में मदद की। सितंबर 2022 मे गुकेश 2726 की रेटिंग के साथ पहली बार 2700 से अधिक की रेटिंग पर पहुंच गए। वह वेई यी और अलीरेजा फिरोजा के बाद 2700 रेटिंग अंक पास करने वाले तीसरा सबसे कम उम्र का खिलाड़ी बन गए।
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