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विश्व प्रसिद्ध तबला वादक और संगीतकार उस्ताद जाकिर हुसैन का रविवार की देर रात अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में निधन हो गया। 73 वर्षीय जाकिर हुसैन को कुछ समय पहले गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। संगीत जगत में अपने अतुलनीय योगदान के लिए पहचाने जाने वाले जाकिर हुसैन को भारत सरकार ने 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण, और 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। उनकी कला और लगन ने उन्हें विश्व पटल पर स्थापित किया और वे करोड़ों दिलों में अपनी छाप छोड़ गए।
बचपन में मिले थे 5 रुपए, जो सबसे कीमती थे
उस्ताद जाकिर हुसैन के संगीत का सफर बचपन से ही शुरू हो गया था। वे बचपन में किसी भी बर्तन या सतह से धुन निकालने की कोशिश करते थे। मात्र 12 वर्ष की आयु में उन्होंने अपने पिता, उस्ताद अल्ला रक्खा, के साथ एक संगीत कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। इस कार्यक्रम में पंडित रविशंकर, उस्ताद अली अकबर खान, बिस्मिल्लाह खान, और पंडित किशन महाराज जैसे दिग्गज कलाकार भी मौजूद थे।
संगीत के प्रति समर्पण
उस्ताद जाकिर हुसैन बचपन से ही संगीत के प्रति समर्पित थे। वे कोई भी सतह देखकर उस पर उंगलियों से धुन बजाने लगते थे। उनके शुरुआती दिनों में, जब वे ट्रेन से सफर करते थे, तो जनरल डिब्बे में यात्रा करते और तबले को अपनी गोद में लेकर सोते ताकि किसी का पैर तबले को न छू सके।
उस्ताद का योगदान और विरासत
उस्ताद जाकिर हुसैन ने अपने संगीत से भारत को वैश्विक मंच पर गौरवान्वित किया। उन्होंने न केवल भारतीय संगीत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बने। उनका जाना संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
मिले तीन ग्रैमी पुरस्कार
उस्ताद जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ है। उन्हें 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। जाकिर हुसैन को तीन ग्रैमी पुरस्कार भी मिल चुके हैं। उनके पिता का नाम उस्ताद अल्लाह रक्खा कुरैशी और माता का नाम बीवी बेगम है।
पिता अल्लाह रक्खा तबला वादक
जाकिर के पिता अल्लाह रक्खा भी तबला वादक थे। जाकिर हुसैन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के माहिम स्थित सेंट माइकल स्कूल से प्राप्त की। इसके अलावा उन्होंने मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। जाकिर हुसैन ने 7 साल की उम्र में तबला सीखना शुरू किया और 12 साल की उम्र में ही उन्होंने देश भर में घूम-घूम कर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया।
फिल्मों में भी किया काम
जाकिर हुसैन ने कुछ फिल्मों में भी काम किया है। उन्होंने 1983 में ब्रिटिश फिल्म हीट एंड डस्ट से डेब्यू किया था, जिसमें शशि कपूर ने भी काम किया था। जाकिर हुसैन ने 1998 में आई फिल्म साज में भी काम किया था। इस फिल्म में उनके अपोजिट शबाना आजमी थीं। इस फिल्म में जाकिर हुसैन ने शबाना के प्रेमी की भूमिका निभाई थी।
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