हनुमान जयंती नहीं हनुमान जन्मोत्सव कहिए, छिड़ी बहस; हमने जानी जानकारों की राय

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Shivasheesh Tiwari
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हनुमान जयंती नहीं हनुमान जन्मोत्सव कहिए, छिड़ी बहस; हमने जानी जानकारों की राय

Bhopal. राम भक्त हनुमान का जन्मदिन (Hanuman Jayanti) देशभर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। हनुमान भक्तों को इस दिन का खास इंतजार होता है। बजरंगबली (Bajrangbali) का जन्मदिन चैत्र मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस बार हनुमान जन्म उत्सव  16 अप्रैल शनिवार को है। आमतौर पर इस शुभ दिवस को श्रद्धालु हनुमान जयंती के नाम से पुकारते आये हैं। लेकिन इन दिनों एक बहस छिड़ी हुई है। कहा जा रहा है कि हनुमान जी के जन्मदिन को जयंती नहीं, बल्कि जन्मोत्सव अथवा प्रकटोत्सव के रूप में मनाया जाना चाहिए। द सूत्र ने जानकारों से ये जानने की कोशिश की है कि तो उन्होंने भी हनुमान जयंती की जगह हनुमान जन्मोत्सव कहने को सही माना। 





हनुमानजी अजर-अमर हैं 





गोस्वामी तुलसीदास (Goswami Tulsidas) ने रामचरित मानस (Ramcharit Manas) में लिखा है कि अजर अमर गुन निधि सुत होहू, करहूं बहुत रघुनायक छोहू। जब माता सीता (Mata seeta) की खोज के लिए हनुमानजी अशोक वाटिका (Ashok Vatika) पहुंचे और राम नाम की मुद्रिका मां सीता को दिखाई तो सीता बहुत खुश हुईं और हनुमान जी को अजर-अमर होने का वरदान दिया। ज्योतिषाचार्य पंडित प्रहलाद पंड्या कहते हैं कि हनुमानजी को कलयुग का जीवित और जाग्रत देवता माना जाता है। हनुमानजी अमर हैं और भगवान राम ने उनको कलयुग का अधिपति देव बनाया है इसलिए उनके जन्म दिन को जन्मोत्सव या प्रकटोत्सव के रुप में मनाना चाहिए। हनुमान शाश्वत हैं, जबकि जयंती उन लोगों की होती है जो इस संसार में नहीं हैं। इसलिए हनुमान जयंति कहना गलत है, भगवान हनुमान के प्रकट होने के दिन को प्रकटोत्सव या जन्मोत्सव कहा जाना चाहिए। 





भोपाल के स्थान देवता हैं हनुमान





भोपाल के स्थान देवता छोला मंदिर में विराजित खेड़पति हनुमान जी ही माने जाते हैं। 1100 क्वार्टर्स के सिद्ध हनुमान मंदिर में विराजित अंजनी नंदन के उपासक भी हनुमान जन्मोत्सव को ही सही मानते हैं। वे कहते हैं कि भगवान मारुति कलयुग के प्रधान देवता हैं और वे सभी जगह विद्यमान हैं। इसलिए श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की भ्रान्ति में नहीं रहना चाहिए। हनुमान के जन्म दिन को जयंती न कहकर हनुमान जन्मोत्सव ही कहना चाहिए। मंदिर में चारों तरफ हनुमान जन्मोत्सव के पोस्टर भी लगाए गए हैं।  





भगवान शिव के अवतार हैं हनुमानजी





पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हनुमानजी, भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं, जिन्होंने अपने आराध्य भगवान राम की सेवा के लिए पृथ्वी पर जन्म लिया। हनुमानजी को पवन पुत्र,केसरी नंदन,अंज​ना सुत और शंकर सुअन भी कहा जाता है। भगवान राम और माता सीता से अमरता का वरदान पाने के बाद हनुमान जी ने गंधमादन पर्वत पर अपना निवास स्थान बनाया और वे आज भी इसी स्थान पर निवास करते हैं। शास्त्रों के मुताबिक गंधमादन पर्वत कैलास पर्वत के उत्तर में मौजूद है। इस पर्वत पर महर्षि कश्यप ने तपस्या की थी। इस पर्वत पर गंधर्व, किन्नरों, अप्सराओं और सिद्ध ऋषियों का निवास बताया गया है।





रामकथा में मौजूद रहते हैं हनुमानजी 





तुलसीदासजी ने हनुमान चालीसा में लिखा है कि राम ​चरित सुनवे को रसिया। यानी जहां भी रामकथा होती है वहां पर हनुमानजी आज भी मौजूद रहते हैं। भगवान राम ने हनुमानजी को कलियुग में धर्म की रक्षा की जिम्मेदारी सौंपी है इसीलिए तुलसीदासजी कहते हैं कि अटलराज महाराज का चौकी हनुमतवीर। यानी राम के राज्य में भगवान राम ने हनुमान को अपना चौकीदार बनाया है। हनुमानजी ही भगवान राम से मिलवा सकते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी के साथ ही नारी रुप में मां दुर्गा और हाथी रुप में भगवान गणेश को कलयुग में मान्यता दी गई है। 



 



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