भोपाल: आज मकर संक्रांति है, देशभर में यह त्योहार अलग-अलग रूप में धूम-धाम से मनाया जाता है। एक राशि से दूसरी राशि में सूर्य के प्रवेश को संक्रांति कहते हैं। मकर राशि में सूर्य के प्रवेश को शुभ माना जाता है। इसी दिन से सूर्य देव दक्षिणायन से उत्तरायण की यात्रा शुरू करते हैं, जिसे मकर-संक्रांति कहा जाता है। इसे राज्यों में कई नामों और रूपों में मनाया जाता है। इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
कब है शुभ मुहूर्त: चिंतामणि ग्रंथ के अनुसार से देखें तो 14 जनवरी को पुण्यकाल सुबह 7 बजकर 15 मिनट से 5 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। इसमें महापुण्यकाल 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट और 1 बजकर 32 मिनट से 3 बजकर 28 मिनट तक रहेगा।
सूर्यदेव शापित हुए: सूर्यदेव की दो पत्नियां थीं- छाया और संज्ञा। शनिदेव, सूर्य की पहली पत्नी छाया के पुत्र थे। शनिदेव के स्वभाव से सूर्य दुखी रहते थे। इसी कारण से सूर्य ने एक दिन अपनी पत्नी छाया और पुत्र शनि देव को अलग कर कुंभ रूपी घर दे दिया, जो कालचक्र के सिद्धांत में 11वीं राशि है। इससे नाराज छाया और पुत्र शनि ने सूर्य को कुष्ठ रोग का शाप दे दिया। सूर्यदेव की दशा उनकी पत्नी संज्ञा से देखी नहीं गई। संज्ञा ने पूजा-अर्चना कर भगवान यमराज को प्रसन्न किया और सूर्यदेव को शाप मुक्त कराया।
काले तिल से जुड़ी है शनिदेव की कथा: शाप मुक्त होने के बाद क्रोधित सूर्यदेव ने अपनी दृष्टि से पुत्र शनि और पत्नी छाया के घर कुंभ को आग का गोला बना दिया। इसके बाद शनि और उनकी माता छाया का घर छिन गया। तब आत्मग्लानि से भरी सूर्य की दूसरी पत्नी संज्ञा ने पति से शनि और छाया को माफ करने की विनती की। इसके बाद सूर्य शनि देव से मिलने जाते हैं। शनि देव ने जलते हुए घर से काली तिल निकालकर उससे सूर्य का स्वागत किया। इससे प्रसन्न सूर्यदेव ने शनि को दूसरा घर मकर दिया। जो कालचक्र के सिद्धांत में 10वीं राशि है। तब से सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को मकर संक्रांति के रूप में मनाते हैं और इस दिन काले तिल के दान को शुभ माना जाता है।
मकर संक्रांति के अलग अलग नाम और रूप: उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति के दिन उड़द दाल और चावल की बनी खिचड़ी बनती है। इसका सेवन करना शुभ माना जाता है। पंजाब और हरियाणा में मकर संक्रांति को माघी और लोहड़ी नाम से मनाया जाता है। लोहड़ी पंजाब में मकर संक्रांति के एक दिन पहले ही मनाई जाती है। राजस्थान और गुजरात में मकर संक्रांति को उत्तरायण के रूप में मनाते हैं, जहां पतंग उत्सव के रूप में दो दिन का पर्व मनाया जाता है। तमिलनाडु में मकर संक्रांति को पोंगल के रूप में चार दिन मनाया जाता है। ये चार दिन भोगी पोंगल, सूर्य पोंगल, मट्टू पोंगल, कन्या पोंगल के नाम से जाने जाते हैं। इस मौके पर चावल के पकवान बनते हैं।