मध्य प्रदेश के महेश्वर में 31 मार्च 2025 को देवी अहिल्या बाई होलकर की 300वीं जयंती पर एक भव्य नाट्य मंचन आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में नागपुर के कलाकार 'राष्ट्रसमर्था देवी अहिल्या की पुण्यगाथा' नाटक प्रस्तुत करेंगे, जो अहिल्या बाई के जीवन और उनकी महान कार्यों को श्रद्धांजलि अर्पित करेगा।
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नाटक का मंचन
बता दें कि यह नाटक नागपुर के प्रसिद्ध सुबोध सुर्जीकर समूह के तहत प्रस्तुत किया जाएगा, जिसे राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ. वृषाली जोशी ने लिखा है। यह नाटक पहले ही मध्य प्रदेश के कई जिलों में मंचित किया जा चुका है, और इसका समापन महेश्वर में होगा। 31 मार्च को, इस नाटक की अंतिम प्रस्तुति अहिल्या बाई की जन्मस्थली चौंडी (महाराष्ट्र) में दी जाएगी।
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आयोजन की तैयारियां
इस आयोजन की तैयारियां जोरों पर हैं। हाल ही में, विश्वमांगल्य सभा मध्यप्रदेश की अध्यक्ष और रिटायर्ड आईएएस सूरज डामोर ने जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ आयोजन स्थल का निरीक्षण किया। इसके बाद, महेश्वर किले के राजवाड़ा परिसर में महाराज रिचर्ड होलकर से मुलाकात कर उन्हें इस कार्यक्रम की जानकारी दी गई। प्रशासन और आयोजन समिति ने इस नाट्य मंचन को भव्य और ऐतिहासिक बनाने की योजना बनाई है।
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युवा पीढ़ी को मिलेगी प्रेरणा
महेश्वर, मंडलेश्वर, कसरावद, धामनोद और बड़वाह जैसे क्षेत्रों में पोस्टर, सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से इस भव्य आयोजन की जानकारी लोगों तक पहुंचाई जा रही है। इस आयोजन का उद्देश्य युवा पीढ़ी को अहिल्या बाई के महान कार्यों और उनके आदर्शों से प्रेरित करना है।
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गणगौर पर्व के साथ अहिल्या बाई की जयंती
बता दें कि, यह भव्य नाट्य मंचन गणगौर पर्व के साथ मनाया जाएगा, जो निमाड़ क्षेत्र का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध लोकपर्व है। 31 मार्च को, अहिल्या बाई की त्रिशताब्दी वर्षगांठ (300वीं वर्षगांठ) के साथ गणगौर पर्व की शुरुआत होगी, जिससे यह आयोजन एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक अवसर बन जाएगा।
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कौन थीं अहिल्या बाई होलकर
अहिल्या बाई होलकर (1725-1795) मध्य प्रदेश की महान रानी और इंदौर राज्य की प्रमुख शासिका थीं। वे होलकर वंश की प्रमुख सदस्या थीं और उनके शासनकाल में इंदौर ने अपार समृद्धि और स्थिरता प्राप्त की। उन्होंने महेश्वर में अपनी राजधानी स्थापित की और यहां कई विकास कार्य किए। अहिल्या बाई ने सामाजिक सुधारों, धार्मिक सहिष्णुता और महिलाओं के अधिकारों के लिए कार्य किया। वे एक साहसी और निर्भीक शासिका थीं, जिनका शासनकाल लोकप्रिय था। उनकी गाथाएं आज भी इतिहास में एक प्रेरणा के रूप में जीवित हैं।