करवा चौथ व्रत पति की लंबी आयु के लिए रहा जाता है ठीक उसी तरह संतान की दीर्घायु और सुखी जीवन के लिए ये व्रत हैं। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को संतान के सुखी और समृद्ध जीवन के लिए अहोई अष्टमी को व्रत रखा जाता है। यह व्रत करवा चौथ के 4 दिन बाद और दिवाली से 8 दिन पहले होता है। अहोई अष्टमी के दिन मां अपनी संतान के लिए व्रत रखती हैं और अहोई माता की विधिपूर्वक पूजा करती हैं। अहोई माता की कृपा से संतान सुखी, निरोगी और दीर्घायु होता है।
कब है व्रत
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 28 अक्टूबर, गुरुवार को दोपहर 12:49 मिनट से हो रहा है। इसका समापन अगले दिन 29 अक्टूबर, शुक्रवार को दोपहर 2:09 मिनट पर होगा। अहोई अष्टमी में शाम को पूजा की जाती है और तारों को करवे से अर्ध्य देने का महत्व है। अहोई अष्टमी व्रत 28 अक्टूबर, गुरुवार को रखा जाएगा।
पूजा का शुभ मुहूर्त
अहोई अष्टमी के दिन अहोई माता की पूजा का मुहूर्त शाम को 1 घंटे 17 मिनट का है। 28 अक्टूबर की शाम 05 बजकर 39 मिनट से शाम 06 बजकर 56 मिनट तक अहोई अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त है। अहोई अष्टमी के दिन शाम को 6 बजकर 03 मिनट से तारों को देखकर आप करवे से अर्ध्य दे सकती हैं। अहोई अष्टमी को रात 11:29 मिनट पर चंद्रमा का उदय होगा।
संतान की लंबी उम्र के लिए व्रत
माताएं संतान के लिए अहोई अष्टमी का निर्जला व्रत रखती हैं। शाम को अहोई माता की विधि-विधान से पूजा करती हैं। तारों को करवे से अर्ध्य देने के बाद आरती करती हैं। फिर संतान के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत को पूरा करती हैं। अहोई अष्टमी व्रत को अहोई आठे भी कहा जाता है।