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BHOPAL. आज अक्षय नवमी (Akshay Navami) है। आज आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। आंवले के पेड़ में सूत बांधकर उसकी परिक्रमा लगाई जाती है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी का व्रत रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि अक्षय नवमी पर व्रत रखने से मनचाही मनोकामना पूरी होती है। अक्षय नवमी को आंवला नवमी, कूष्मांडा नवमी और धात्री नवमी भी कहते हैं। आज ही के दिन भगवान कृष्ण ने कंस का वध किया था।
अक्षय नवमी व्रत पूजा शुभ मुहूर्त
अक्षय नवमी पर सुबह 6 बजकर 34 मिनट से दोपहर 12 बजकर 4 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है। 5 घंटे 31 मिनट का समय व्रत पूजा के लिए है। कार्तिक शुक्ल की नवमी तिथि 1 नंवबर को रात 11 बजकर 4 मिनट से शुरू होकर 2 नवंबर को रात 9 बजकर 9 मिनट पर समाप्त होगी।
अक्षय नवमी व्रत पूजा विधि
अक्षय नवमी पर सुबह स्नान करके पूजन का संकल्प लें। आंवले के पेड़ के पास पूर्व की ओर मुख करके अर्घ्य दें। आंवले के पेड़ की 7 बार परिक्रमा करें और सूत लपेटें। इसके बाद व्रत कथा सुनें। कपूर के साथ दीप जलाकर आंवले के पेड़ का पूजन करें। इसे बाद आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करें।
अक्षय नवमी पर क्यों की जाती है आंवले के वृक्ष की पूजा
मान्यता है कि आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु वास करते हैं। इसलिए अक्षय नवमी पर आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि पूजन से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। अक्षय नवमी पर आंवले के पेड़ की पूजा करने से पाप नष्ट हो जाते हैं। आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करने से विवाह, संतान, दांपत्य जीवन से संबंधित समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
आंवले के औषधीय गुण
- आंवले में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं। आंवला कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकता है।
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