गुरु के आशीर्वाद का विषेश समय है आषाढ़ पूर्णिमा 2025, जानें पूजा और व्रत का महत्व

आषाढ़ पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है, जिसे गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गुरु की पूजा करने और पवित्र नदियों में स्नान-दान करने का विशेष महत्व है।

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Kaushiki
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Ashadh Purnima 2025
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आषाढ़ पूर्णिमा, जिसे गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस दिन गुरु की पूजा और पवित्र नदियों में स्नान-दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। 2025 में आषाढ़ पूर्णिमा 10 जुलाई को मनाई जाएगी। 

इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। दान और उपवास से आत्मिक शांति मिलती है और व्यक्ति की इच्छा शक्ति मजबूत होती है। आइए जानें व्रत और स्नान-दान का महत्व।

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पूर्णिमा तिथि

पंचांग के मुताबिक, पूर्णिमा तिथि 09 जुलाई शाम 6:54 बजे से शुरू होकर 10 जुलाई शाम 5:47 बजे तक रहेगी। यह दिन गुरु के आशीर्वाद से आत्मिक उन्नति लेने का अवसर प्रदान करता है। इस दिन गुरु की पूजा से जीवन में सकारात्मकता और सुख-समृद्धि आती है। 

आषाढ़ पूर्णिमा पर व्रत

  • व्रत और स्नान-दान: आषाढ़ पूर्णिमा के दिन व्रत, स्नान और दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व है। इससे न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि पुण्य प्राप्ति का भी मार्ग खुलता है। स्नान के बाद दान करने से व्यक्ति को आत्मिक शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
  • व्रत: आषाढ़ पूर्णिमा पर कई भक्त व्रत रखते हैं। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। व्रत रखने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।
  • दान: इस दिन अन्न, वस्त्र, धन या अन्य आवश्यक चीजों का दान करना शुभ होता है। इससे व्यक्ति की सामाजिक स्थिति और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

पूर्णिमा पर गुरु पूजा

गुरु पूर्णिमा पर विशेष रूप से गुरु पूजा की जाती है। इस दिन अपने गुरुओं की पूजा करना और उनका आशीर्वाद लेना बहुत लाभकारी माना जाता है। गुरु के आशीर्वाद से जीवन में समृद्धि और सफलता के रास्ते खुलते हैं।

पूजा विधि

  • गुरु पूजा: गुरु पूर्णिमा पर अपने गुरु का आभार व्यक्त करें और उनकी पूजा करें। इस दिन गुरु के चरणों में प्रणाम करने से जीवन में आशीर्वाद मिलता है।
  • साधना और ध्यान: इस दिन ध्यान और साधना करना भी शुभ माना जाता है। ध्यान से मन शांत होता है और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  • पवित्र नदियों में स्नान: आषाढ़ पूर्णिमा के दिन नदियों में स्नान करके शरीर और आत्मा को शुद्ध किया जाता है। यह पुण्य कार्य है जो जीवन के कष्टों को दूर करता है।

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विशेष मुहूर्त

ज्योतिषीय गणना के मुताबिक, आषाढ़ पूर्णिमा का व्रत और स्नान-दान 10 जुलाई 2025 को किया जाएगा। इस दिन विशेष रूप से ये कार्यों को करना लाभकारी होगा:

  • गुरु पूजा
  • पवित्र जल में स्नान
  • दान और व्रत
  • साधना और ध्यान

आषाढ़ पूर्णिमा के लाभ

गुरु पूर्णिमा पर गुरु की पूजा और आशीर्वाद से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। यह दिन विशेष रूप से आध्यात्मिक उन्नति, स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। 

इस पूर्णिमा का प्रभाव न केवल व्यक्तिगत जीवन पर, बल्कि समाज और देश की स्थिति पर भी पड़ता है। यह दिन शांति, सामंजस्य और सकारात्मकता का प्रतीक बनता है, जो कि दुनिया भर में समृद्धि और शांति की दिशा में मार्गदर्शन करता है।

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