भाई दूज का पर्व भाई-बहन के स्नेह और प्रेम का प्रतीक है। यह पर्व दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और कल्याण के लिए पूजा करती हैं और भाई बहनों को उपहार देते हैं। भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है।
भाई दूज का महत्व
भाई दूज का मुख्य उद्देश्य भाई-बहन के रिश्ते को सशक्त करना है। बहनें अपने भाइयों की सुरक्षा और लंबी उम्र की कामना करती हैं और भाई अपनी बहनों की रक्षा और स्नेह देने का वचन देते हैं। यह पर्व सामाजिक और पारिवारिक एकता को बढ़ाता है और रिश्तों को मजबूत करता है। इस दिन बहनें भाइयों को तिलक करती हैं, और भाई बहनों को उपहार देते हैं।
भाई दूज की कथा
भाई दूज से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा यमराज और यमुनाजी की है। कहा जाता है कि यमराज अपनी बहन यमुनाजी से मिलने उनके घर गए थे। यमुनाजी ने उनका स्वागत कर उन्हें तिलक किया और स्वादिष्ट भोजन कराया। यमराज ने खुश होकर यमुनाजी से वरदान मांगने को कहा। यमुनाजी ने उनसे यह वरदान मांगा कि हर साल इस दिन वे अपनी बहन के घर आएंगे और जो भी भाई इस दिन अपनी बहन से तिलक कराएगा, उसे लंबी उम्र और समृद्धि का आशीर्वाद मिलेगा, तभी से यह पर्व भाई दूज के रूप में मनाया जाता है।
भाई दूज का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार भाई दूज का शुभ मुहूर्त 1:10 बजे से 3:22 बजे तक रहेगा। इस दौरान बहनें अपने भाइयों की पूजा कर सकती हैं।
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भाई दूज की पूजा विधि
- भाई दूज की पूजा विधि बहुत सरल है और इसे इस प्रकार किया जाता है:
- सबसे पहले बहनें पूजा की तैयारी करती हैं और भाई को लकड़ी के पाट (चौकी) पर बिठाती हैं।
- भाई के माथे पर रोली, कुमकुम, चावल का तिलक करती हैं।
- फिर बहनें भाई की आरती उतारती हैं और उसकी लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करती हैं।
- आरती के बाद भाई को मिठाई खिलाई जाती है और उन्हें पानी से अर्घ्य दिया जाता है।
- भाई दूज की पूजा के बाद भाई अपनी बहन को उपहार देता है और दोनों एक दूसरे का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
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पूजा की सामग्री
- भाई दूज की पूजा में निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
- रोली, कुमकुम, चावल (तिलक के लिए), दीपक, धूप, कपूर, मिठाई, नारियल आदि।
- एक लकड़ी की चौकी (जिस पर भाई को बिठाया जाता है)
- ताजे फूल, माला, पानी का लोटा (अर्घ्य देने के लिए)
पूजा मंत्र
पूजा के दौरान भाई दूज का यह मंत्र बोला जाता है:
भाई दूज तिलक मंत्र:
"यमराजाय नमस्तुभ्यं यमुनाया नमो नमः।
भ्रातुः आयु: प्रगृह्णामी रक्षां सर्वार्थ सिद्धये॥"
यह मंत्र भाई की लंबी उम्र और सभी कामनाओं की पूर्ति के लिए बोला जाता है। भाई दूज का पर्व भाई-बहन के प्रेम, स्नेह और समर्पण का प्रतीक है। इस दिन भाई-बहन एक-दूसरे के प्रति अपने कर्तव्यों और प्यार को व्यक्त करते हैं, और यह पर्व उनके रिश्ते को और अधिक मजबूत करता है।
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