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आषाढ़ मास के अंतिम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा अत्यंत शुभ मानी जाती है। यह व्रत खास तौर पर भगवान शिव की कृपा लेने और जीवन में सुख-समृद्धि पाने के लिए किया जाता है।
इस दिन विशेष रूप से कुछ चीजों को शिवलिंग पर अर्पित करने से विशेष लाभ होता है। ऐसे में पंचाग के मुताबिक, इस बार ये व्रत 8 जुलाई को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं उन चीजों के बारे में जिन्हें प्रदोष व्रत पर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए।
पूजा मुहूर्त
आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी तिथि इस साल 7 जुलाई 2025 को रात 11:10 बजे शुरू होगी और 9 जुलाई को प्रातः 12:38 बजे समाप्त होगी।
पंचाग के मुताबिक, भौम प्रदोष व्रत का पूजा मुहूर्त 8 जुलाई 2025, मंगलवार को रात 07:23 से 09:24 तक रहेगा। इस दौरान त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 7 जुलाई 2025 को रात 11:10 बजे होगा और इसका समापन 8 जुलाई 2025 को 12:38 बजे होगा।
प्रदोष पूजा मुहूर्त: 8 जुलाई 19:23 से 21:24
कौन सी चीजें अर्पित करें
कच्चे चावल
अगर आप धन प्राप्ति के इच्छुक हैं, तो प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर कच्चे चावल अर्पित करें। मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में धन की कोई कमी नहीं रहती। यह उपाय जीवन में समृद्धि लाता है और आर्थिक तंगी से छुटकारा दिलाता है।
तिल
भगवान शिव की विशेष कृपा पाने के लिए प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर तिल अर्पित करें। धार्मिक मान्यता के मुताबिक, तिल से शिवलिंग का अभिषेक करने से व्यक्ति के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है।
धतूरा और गेहूं
धतूरा और गेहूं को भी शिवलिंग पर चढ़ाना बहुत फायदेमंद माना जाता है। मान्यता के मुताबिक, इस उपाय को करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और भगवान शिव की कृपा से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। साथ ही महादेव से सुख-संपत्ति की भी प्राप्ति होती है।
लाल चंदन
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर लाल चंदन अर्पित करें। मान्यता के मुताबिक, इससे कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है, जो व्यक्ति के मान-सम्मान को बढ़ाता है। यह उपाय आपकी इच्छाओं को पूरा करता है और रुके हुए काम को गति प्रदान करता है।
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पूजा विधि
- स्नान करें: प्रदोष व्रत पूजा से पहले स्वच्छता के लिए स्नान करें।
- व्रत का संकल्प लें: मन, वचन और क्रिया से व्रत का संकल्प लें।
- शिवलिंग की सफाई: शिवलिंग को ताजे जल से साफ करें और शुद्ध करें।
- जल अर्पित करें: शिवलिंग पर जल, दूध, शहद और घी अर्पित करें।
- धतूरा और बिल्व पत्र चढ़ाएं: भगवान शिव को धतूरा और बिल्व पत्र अर्पित करें।
- फल और मिठाई अर्पित करें: फल और मिठाई अर्पित कर भगवान शिव की पूजा करें।
- ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप: भगवान शिव के मंत्र "ॐ नमः शिवाय" का जाप करें।
- दीपक जलाएं: पूजा स्थल पर दीपक जलाएं और ध्यान लगाएं।
- शिव आरती गाएं: पूजा के बाद शिव आरती का गायन करें।
- उपवास रखें: व्रत के दिन उपवास रखें और फलाहार का सेवन करें।
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प्रदोष व्रत कब मनाना चाहिए
प्रदोष व्रत हर महीने दो बार मनाया जाता है, एक शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी और दूसरा कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर। इस व्रत का महत्व विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को होता है, जिन्हें भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है।
इस दिन भगवान शिव की पूजा करके व्यक्ति अपनी सभी इच्छाओं को पूरा कर सकता है। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि, धन और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
इसके अलावा, यह व्रत पापों से मुक्ति दिलाने और जीवन में शांति स्थापित करने में भी सहायक होता है। पूजा संध्या काल में करनी चाहिए, जो त्रयोदशी तिथि के समय होता है।
यह समय विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे सही माना जाता है। इस समय शिवलिंग पर चढ़ाई जाने वाली चीजें जैसे तिल, चावल, धतूरा, और लाल चंदन का प्रभाव अधिक होता है।
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