चैत्र छठ 2025: क्या है महापर्व छठ का धार्मिक महत्व, जानें इससे जुड़े धार्मिक मान्यताएं

चैत्र छठ पूजा हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो विशेष रूप से सूर्यदेव की पूजा से जुड़ा है। जानिए इसके महत्व, पुराणों में वर्णित कथाएं, और व्रत से मिलने वाले लाभ के बारे में।

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Kaushiki
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चैत्र छठ
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चैत्र छठ 2025: चैत्र मास में मनाए जाने वाला छठ पर्व हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जिसे हर साल चैत्र कृष्ण प्रतिपदा के दिन मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से सूर्यदेव की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। इस दिन का खास महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह नवरात्रि के समय में आता है, जो विशेष रूप से व्रत, पूजा और साधना का समय होता है। इस दिन सूर्यदेव की पूजा करके भक्त अपने जीवन में सुख, समृद्धि और संतान सुख की कामना करते हैं। पंचांग के मुताबिक, इस बार इसकी शुरुआत 1 अप्रैल से हो रही है और 4 अप्रैल को इसकी समाप्ति होगी।    

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चैत्र छठ का नाम और इसका अर्थ

चैत्र छठ नाम दो भागों में बंटा है:
चैत्र: हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, चैत्र महीना पहला महीना होता है, जब नया साल भी शुरू होता है।
छठ: इस दिन सूर्य षष्ठी व्रत होता है, जिसका उद्देश्य सूर्य देव की पूजा करना और उनसे आशीर्वाद लेना होता है।
गुड़ी पड़वा या विक्रम संवत्सर का प्रारंभ भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही होता है और इसी समय चैत्र छठ पूजा भी होती है। मान्यता के मुताबिक, छठ विशेष रूप से सूर्य की उपासना से जुड़ी है।

छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा का महत्व कई पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है। यह साल में दो बार आता है। एक बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में। भविष्य पुराण के मुताबिक, सूर्यदेव ने देवमाता अदिति के गर्भ से जन्म लिया था और इन्हें विवस्वान और मार्तण्ड के नाम से जाना जाता है। ये भगवान राम और उनके वंशजों के लिए अत्यधिक पूजनीय रहे हैं। ऐसा कहा जाता है कि, भगवान राम ने भी अपने कुल देवता सूर्यदेव की पूजा करने के लिए छठ व्रत किया था। वहीं, वैवस्वत मनु का भी इस व्रत से जुड़ा महत्वपूर्ण संबंध है। वह सूर्यदेव के पुत्र माने जाते हैं और उनसे ही सृष्टि का प्रारंभ हुआ था। मान्यता के मुताबिक,  सूर्यदेव की पूजा करने से जीवन में धन-धान्य, आरोग्य और संतान सुख की प्राप्ति होती है।

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छठ पूजा की कथाएं

पौराणिक कथा के मुताबिक, छठ पूजा की शुरुआत उस समय हुई थी जब भगवान प्रियव्रत के मरे हुए पुत्र को सूर्यदेव ने जीवन दिया था। इसके बाद राजा प्रियव्रत ने अपनी प्रजा से कहा कि वे संतान सुख और धन-धान्य के लिए छठ व्रत करें। तब से यह परंपरा चली आ रही है। इस दिन सूर्यदेव के साथ छठ माता की पूजा करने का भी विधान है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी यह उल्लेखित है कि सूर्य षष्ठी व्रत संतान सुख प्रदान करने वाला व्रत है। इसका पालन करने से भक्तों को जीवन के हर क्षेत्र में समृद्धि मिलती है।

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छठ पूजा के लाभ

धार्मिक मान्यता के मुताबिक, माना जाता है कि छठ पूजा करने से  

  • धन और समृद्धि की प्राप्ति: सूर्य पूजा से व्यक्ति के जीवन में धन और समृद्धि का वास होता है।
  • संतान सुख: इस व्रत को संतान सुख की प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है।
  • स्वास्थ्य लाभ: सूर्य पूजा और छठ व्रत से स्वास्थ्य में सुधार होता है, और रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: इस व्रत से आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शांति मिलती है।
  • सूर्यलोक में स्थान: इस व्रत को करने से सूर्यलोक में स्थान प्राप्त होने की मान्यता है।

छठ पूजा की विधि

छठ पूजा चार दिनों का पर्व होता है। इसके चार मुख्य दिन इस प्रकार होते हैं:

  • पहला दिन
    नहाय खाय: इस दिन श्रद्धालु शुद्धता के लिए स्नान करते हैं और खास तरह के पकवान तैयार करते हैं। यह दिन पूजा की शुरुआत होता है।
  • दूसरा दिन 
    खरना: इस दिन श्रद्धालु एक दिन का उपवासी रहते हैं और सूर्योदय से पहले खाना नहीं खाते। इस दिन व्रती नदी में स्नान करके पूजा करते हैं।
  • तीसरा दिन 
    संध्या अर्घ्य: इस दिन व्रती सूर्यास्त के समय संतान सुख और समृद्धि के लिए सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करते हैं।
  • चौथा दिन 
    प्रात: अर्घ्य: इस दिन सूर्योदय के समय सूर्योदेव को अर्घ्य अर्पित किया जाता है, फिर व्रती अपना उपवासी व्रत समाप्त करते हैं और प्रसाद का वितरण करते हैं।

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