चैत्र नवरात्रि 2025: क्यों इसी दिन से होती है हिंदू नववर्ष की शुरुआत, जानें इसका कारण

चैत्र नवरात्रि हिंदू नववर्ष की शुरुआत और देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का समय है, जो सृजन और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक माना जाता है। यह समय प्राकृतिक बदलाव और नवीकरण का होता है।

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Kaushiki
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चैत्र नवरात्रि 2025: हिंदू पंचांग के मुताबिक, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है, जिसे हम नवसंवत्सर के रूप में मनाते हैं। इस दिन से ही चैत्र नवरात्रि का भी आरंभ होता है, जो देवी दुर्गा की पूजा का समय है। यह समय न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह प्राकृतिक परिवर्तन और आध्यात्मिक साधना का समय भी होता है। तो, आइए हम जानते हैं कि क्यों यह समय इतना खास है और हिंदू धर्म में इसकी क्या महत्वता है।

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खगोलीय और प्राकृतिक महत्व

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, चैत्र माह के साथ वसंत ऋतु का आगमन होता है, जो न केवल मौसम के बदलाव को दर्शाता है, बल्कि नई जीवन की शुरुआत का प्रतीक भी है। इस समय में वृक्षों में नई कोंपलें फूटती हैं, मौसम सुहावना हो जाता है और वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस प्राकृतिक बदलाव के साथ नववर्ष की शुरुआत सबसे अनुकूल समय माना जाता है, जब सृजन और नवीकरण की प्रक्रिया शुरू होती है। यह समय भक्तों के लिए अपने जीवन को नए दृष्टिकोण से देखने और नवाचार का है।     

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पौराणिक मान्यताएं

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इस दिन के कई पौराणिक कथाएं है जिनमें,

  • ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान ब्रह्मा ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन सृष्टि की रचना की थी। यही दिन समय की कालगणना का आरंभ था और इसी कारण इसे नववर्ष के रूप में मनाया जाता है।

  • विक्रम संवत की स्थापना

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, राजा विक्रमादित्य ने विक्रम संवत की शुरुआत की थी, जब उन्होंने मालवा में एक बड़े युद्ध में विजय प्राप्त की। उन्होंने इस दिन को नवसंवत्सर के रूप में मनाने का निर्णय लिया, जो आज भी हिंदू नववर्ष के रूप में मनाया जाता है।

  • भगवान राम का राज्याभिषेक

धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि भगवान राम का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था, जिससे इस दिन की धार्मिक महत्ता और बढ़ जाती है। महाभारत के मुताबिक, इसी दिन युधिष्ठिर का राजतिलक भी हुआ था।

  • माता दुर्गा का राक्षसों का संहार

माता दुर्गा ने इसी दिन राक्षसों का संहार किया था। उन्होंने नौ दिन तक युद्ध किया और बुराई पर अच्छाई की जीत हासिल की, जिससे नवरात्रि की शुरुआत हुई। इस दिन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह समय देवी दुर्गा की शक्ति और सुरक्षा की प्रतीक बन गया।

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आत्मशक्ति और साधना का समय

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, चैत्र नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि, इनसे भक्तों को आत्मबल, शक्ति, और शुद्धता प्राप्त होती है। यह समय आध्यात्मिक साधना और आत्मनिरीक्षण के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है, जहां लोग अपनी आत्मा की शुद्धि, मानसिक शांति और भगवान के साथ गहरे संबंध को महसूस करते हैं।

सुख-समृद्धि  का आगमन

मान्यताओं के मुताबिक, चैत्र नवरात्रि का समय समाज में सुख-शांति और समृद्धि का संकेत है। इस समय किए गए पूजा और अनुष्ठान से समाज में सकारात्मकता बढ़ती है और लोगों के जीवन में खुशियां और शांति आती है। चैत्र नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा से आत्मबल और शक्ति की प्राप्ति होती है। यह समय आध्यात्मिक उन्नति, शुद्धता, और समृद्धि का प्रतीक है।

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