फाल्गुन प्रदोष व्रत 2025 : करियर और कारोबार में सफलता पाने के लिए करें इन योगों में पूजा

फाल्गुन प्रदोष व्रत 2025 में विशेष शुभ योग बन रहे हैं, जो करियर और कारोबार में उन्नति का मार्ग खोल सकते हैं। भोलेनाथ की पूजा से जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता पाने के अद्भुत अवसर मिल सकते हैं।

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Kaushiki
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हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को भगवान शिव की पूजा के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। यह व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है, जो शुक्ल और कृष्ण पक्ष दोनों में आता है। इस व्रत का उद्देश्य भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना और जीवन में सुख-समृद्धि का संचार करना है। खासकर जब प्रदोष व्रत के दिन विशेष शुभ योग बन रहे हों, तो व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है।

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फाल्गुन प्रदोष व्रत 2025 

हिंदू पंचांग के मुताबिक, इस साल का फाल्गुन प्रदोष व्रत 11 मार्च 2025 को रखा जाएगा। यह व्रत फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को है, जो सुबह 8:13 बजे से शुरू होकर 12 मार्च 2025 को सुबह 9:11 बजे समाप्त होगा। ऐसा माना जा रहा है कि, इस दिन कई दुर्लभ और शुभ योग बन रहे हैं, जैसे सुकर्मा योग और सर्वार्थ सिद्धि योग। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, ऐसा माना जाता है कि इन योगों में पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और व्यापार में उन्नति प्राप्त हो सकती है।

प्रदोष व्रत के दिन बनने वाले शुभ योग

सर्वार्थ सिद्धि योग: मान्यताओं के मुताबिक, यह योग किसी भी कार्य में सफलता और समृद्धि दिलाने वाला माना जाता है। माना जाता है कि, अगर इस योग में पूजा की जाती है, तो करियर और कारोबार में उन्नति के लिए यह विशेष रूप से लाभकारी होता है।

सुकर्मा योग: मान्यताओं के मुताबिक, यह योग जीवन में उन्नति और समृद्धि के लिए उत्तम माना जाता है। माना जाता है कि, इस योग में शिव पूजा करने से इच्छाओं की पूर्ति होती है।

रवि योग: मान्यताओं के मुताबिक, रवि योग नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है और सफलता दिलाने वाला माना जाता है। माना जाता है कि, इस योग में भगवान शिव की पूजा से विशेष लाभ होता है।

शिव योग: मान्यताओं के मुताबिक, यह योग भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए सबसे श्रेष्ठ है। माना जाता है कि, इस योग में पूजा करने से जीवन में खुशहाली आती है और सभी संकट समाप्त हो जाते हैं।

व्रत की पूजा विधि

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, फाल्गुन प्रदोष व्रत के दिन पूजा का विशेष महत्व होता है।

  • पूजा की शुरुआत सुबह जल्दी उठकर स्नान करने से करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। 
  • फिर, पूजा स्थल को साफ करके शिवलिंग स्थापित करें और उसे गंगाजल, दूध, दही, शहद आदि से अभिषेक करें। 
  • इसके बाद बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल चढ़ाकर भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें। 
  • प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें। 
  • उन्हें फल और मिठाई का भोग अर्पित करें।
  • शाम को प्रदोष काल में भगवान शिव की आरती करें।  

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प्रदोष व्रत का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, यह व्रत भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त करने का सबसे उत्तम उपाय माना जाता है। यह व्रत जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। खासकर संध्या समय शिव पूजा का विधान इस व्रत को अधिक फलदायी बनाता है। इस व्रत से न केवल भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि करियर और व्यापार में भी तरक्की होती है। इस व्रत के पालन से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और उन्हें जीवन में सुख, शांति और समृद्धि मिलती है।

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