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History of Dhanteras: दीवाली के 5 दिन के बड़े त्योहार की शुरुआत धनतेरस या धन त्रयोदशी से होती है। यह वो दिन है जब हर कोई अपने घर धन और सौभाग्य को बुलाने के लिए कुछ न कुछ शुभ खरीदता है। आपने अक्सर देखा होगा कि इस दिन सबसे ज्यादा डिमांड पीली धातुओं की होती है चाहे वह सोना हो या पीतल।
लेकिन कभी सोचा है कि सिर्फ पीली धातु ही क्यों? चांदी भी खरीदी जाती है पर सोने और पीतल का महत्व कुछ अलग ही है। ज्योतिष और पौराणिक कथाओं में इसका सीधा कनेक्शन हमारे दो सबसे बड़े और शुभ ग्रहों सूर्य और बृहस्पति से बताया गया है। आइए, जानते हैं कि धनतेरस पर पीली धातु खरीदना इतना शुभ क्यों माना जाता है। जानें धनतेरस का महत्व और धनतेरस का इतिहास...
धनतेरस पर बर्तन क्यों खरीदते हैं
बर्तन खरीदने की परंपरा का स्वास्थ्य से भी संबंध है। भगवान धन्वंतरि के अमृत कलश के प्रतीक के रूप में बर्तन को निरोगिता और दीर्घायु का संकेत माना जाता है।
पीतल के बर्तनों से स्वास्थ्य लाभ और आयु में वृद्धि होती है, जबकि तांबा और चांदी मानसिक शांति और शीतलता प्रदान करते हैं। इस दिन बर्तन खरीदने से 13 गुना शुभता और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है, जिससे यह अवसर केवल दिखावा नहीं, बल्कि जीवन में शुभता और समृद्धि लाने का साधन बनता है।
इस दिन पीली धातु और बर्तन खरीदने के पीछे धार्मिक, वैज्ञानिक और ज्योतिषीय कारण छिपे हैं। सबसे पहले इसे 13 गुना लाभ का दिन माना जाता है।
इस दिन नई वस्तु खरीदने से 13 गुना धन और लाभ की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, सोना और पीतल जैसी धातुएं नकारात्मक ऊर्जा को घर से दूर रखती हैं और सकारात्मकता को बढ़ाती हैं। सोना एक सुरक्षित निवेश माना जाता है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाली विरासत बनता है।
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सोना: सूर्य और गुरु का आशीर्वाद
सोना यानी गोल्ड। इसे सिर्फ दौलत नहीं, बल्कि पवित्रता और शक्ति का प्रतीक भी माना जाता है। वैदिक ज्योतिष के मुताबिक, सोना सीधे तौर पर सूर्य देव से जुड़ा है। सूर्य, ग्रहों के राजा, हमें तेज, मान-सम्मान और सफलता देते हैं।
जब हम धनतेरस पर सोना खरीदते हैं, तो यह सूर्य की ऊर्जा को अपने घर में आमंत्रित करने जैसा होता है। यह खरीदारी जीवन में आत्मविश्वास, नेतृत्व की क्षमता और मान-सम्मान को बढ़ाती है, जिससे करियर और बिजनेस में तरक्की होती है।
सोना, देवगुरु बृहस्पति का भी प्रतिनिधित्व करता है। बृहस्पति ग्रह ज्ञान, समृद्धि और विस्तार के कारक हैं। सोना खरीदने से गुरु ग्रह की कृपा बनी रहती है।
यह खरीदारी घर में स्थायी धन और आर्थिक सुरक्षा लाती है। माना जाता है कि गुरु और सूर्य मिलकर कभी आपको झुकने नहीं देते और हमेशा मजबूत रखते हैं।
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पीतल: भगवान धन्वंतरि की प्रिय धातु
सोने के बाद जिस पीली धातु को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है, वह है पीतल। खासकर बर्तन खरीदने की जो परंपरा है उसमें पीतल सबसे आगे है। मान्यता के मुताबिक धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था।
वे आयुर्वेद के देवता माने जाते हैं। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, जब भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से प्रकट हुए थे तो उनके हाथ में अमृत कलश था और कहा जाता है कि वह कलश पीतल का ही था।
यही कारण है कि पीतल को भगवान धन्वंतरि की प्रिय धातु माना जाता है। इस दिन पीतल खरीदना आरोग्यता, सौभाग्य और निरोगी काया की शुभता लाता है। आयुर्वेद में भी पीतल के बर्तनों में भोजन करना स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी बताया गया है।
पीतल का बृहस्पति से सीधा कनेक्शन
(Dhanteras 2025) सोने की तरह, पीतल भी देवगुरु बृहस्पति की धातु है। यह अत्यंत शुभ मानी जाती है। मान्यता के मुताबिक, अगर आपकी कुंडली में बृहस्पति ग्रह की शांति करनी हो या गुरु की कृपा पानी हो, तो पीतल का इस्तेमाल बहुत शुभ माना जाता है। पीतल खरीदने से घर में सकारात्मक और शांतिमय ऊर्जा का वास होता है, जो सुख-समृद्धि को 13 गुना तक बढ़ा सकती है।History of Dhanteras
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