Papankusha Ekadashi 2025: भगवान विष्णु की कृपा से होगी सभी इच्छाओं की पूर्ति, जानें एकादशी की पूजा विधि और मंत्र

पापांकुशा एकादशी 3 अक्टूबर 2025 (शुक्रवार) को उदया तिथि के अनुसार मनाई जाएगी। यह व्रत पापों का नाश कर व्यक्ति को रोग-दोष से मुक्ति, इच्छापूर्ति और मृत्यु के उपरांत स्वर्गलोक की प्राप्ति कराता है, जिसमें भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा अनिवार्य है।

author-image
Kaushiki
New Update
papankusha-ekadashi-2025
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

Papankusha Ekadashi 2025: पापांकुशा एकादशी हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत है। यह आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। जैसा कि नाम से ही ये साफ है- 'पाप' और 'अंकुश'।

यह व्रत पापों का नाश करने वाला और व्यक्ति को दुख-दर्द से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है।

इस साल पापांकुशा एकादशी 2025 की तिथि को लेकर भक्तों में कुछ असमंजस की स्थिति बनी हुई है क्योंकि एकादशी तिथि दो दिन की बढ़तोरी हो रही है। पंचांग की गणना के मुताबिक उदया तिथि के महत्व के कारण यह व्रत 3 अक्टूबर 2025 शुक्रवार को रखा जाएगा।

Papankusha Ekadashi 2025 Date: 3 या 4 अक्टूबर, जानें कब मनाई जाएगी  पापांकुशा एकादशी, देखें शुभ महूर्त-पूजा विधि और महत्व

तिथि और शुभ मुहूर्त

पंचांग की सटीक गणना के आधार पर पापांकुशा एकादशी 2025 की सही तिथि और पूजा का समय:

  • एकादशी तिथि आरंभ: 2 अक्टूबर 2025, शाम 07:11 बजे

  • एकादशी तिथि समाप्त: 3 अक्टूबर 2025, शाम 06:33 बजे

  • पापांकुशा एकादशी व्रत तिथि: 3 अक्टूबर 2025 (शुक्रवार)

  • पारण का समय: 4 अक्टूबर 2025, सुबह 06:23 बजे से 08:44 बजे तक

  • द्वादशी समाप्त होने का समय (पारण तिथि): 4 अक्टूबर 2025, शाम 05:09 बजे

एकादशी का व्रत उदया तिथि के आधार पर रखा जाता है। इसलिए, 3 अक्टूबर को व्रत रखना शास्त्र सम्मत है।

Papankusha Ekadashi 2025: पैसों की तंगी दूर करना चाहते हैं, तो पापांकुशा  एकादशी पर करें ये

धार्मिक महत्व और लाभ

पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi) का महत्व स्वयं भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को सुनाया था। यह व्रत न केवल इस लोक में सुख भोग प्रदान करता है बल्कि मृत्यु के बाद स्वर्गलोक की भी प्राप्ति कराता है।

Papankusha Ekadashi 2025: इस दिन मनाई जाएगी पापांकुशा एकादशी, जानें महत्व

पापों से मुक्ति और रोग-दोष से निजात

पापों का नाश: मान्यताओं के मुताबिक जो साधक इस दिन पूरे विधि-विधान से व्रत रखता है, वह अपने सभी पापों का नाश कर लेता है। यह व्रत मनुष्य को बुरे कर्मों से विरत कर धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

दुख-दर्द से छुटकारा: इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति हर एक दुख-दर्द, रोग-दोष से निजात पा लेता है। यह शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के कष्टों को दूर करने वाला माना गया है।

इच्छापूर्ति: मान्यता के मुताबिक, यह दिन प्रभु श्री हरि विष्णु को प्रसन्न करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से जातक की सभी इच्छाएं पूर्ण हो सकती हैं।

ये खबर भी पढ़ें...

Karwa Chauth 2025: कब है सुहागिनों का सबसे बड़ा पर्व करवा चौथ? जानें कथा, पूजा विधि और चंद्र दर्शन का समय

Papankusha Ekadashi 2025: इस दिन व्रत करने से अनजाने में हुए पापों से मिलता  है छुटकारा, जानें पापांकुशा एकादशी की सही तारीख - papankusha ekadashi 2025  know exact date of ...

विशेष धार्मिक मान्यताएं

  • तुलसी का महत्व: मान्यता के मुताबिक, पापांकुशा एकादशी पर भगवान विष्णु को तुलसी दल सहित भोग लगाना अनिवार्य माना जाता है, क्योंकि तुलसी के बिना विष्णु जी की पूजा अधूरी मानी जाती है।

  • मृत्यु के बाद का फल: मान्यता के मुताबिक, इस व्रत का सबसे बड़ा फल यह है कि यह साधक को इस लोक में सभी सुख भोगने के बाद मृत्यु के उपरांत स्वर्गलोक में स्थान दिलाता है।

पूजा विधि और मंत्र

  • पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi) के दिन व्रत और पूजा विधि सरल, पर पूरी श्रद्धा (Ekadashi Tithi) और निष्ठा से की जानी चाहिए।

ये खबर भी पढ़ें...

October vrat tyohar 2025: दीपावली, छठ पूजा, करवा चौथ, यहां देखें अक्टूबर 2025 के सभी व्रत-त्योहारों की लिस्ट

Radha Vallabha Sampradaya - Wikiwand

एकादशी की पूजा विधि

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  • भगवान विष्णु के सामने व्रत रखने का संकल्प लें। संभव हो तो दिनभर निराहार या फलाहार व्रत रखें।

  • पूजा स्थल की साफ-सफाई कर श्री हरि विष्णु का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और मिश्री) सहित गंगाजल से अभिषेक करें।

  • प्रभु को पीला चंदन, पीले पुष्प, अक्षत और तुलसी दल सहित नैवेद्य चढ़ाएं। 

  • भगवान विष्णु की पूजा में पीले वस्त्र अर्पित करना भी शुभ माना जाता है।

  • घी का दीपक और धूप जलाकर श्री विष्णु मंत्रों, चालीसा, और पापांकुशा एकादशी व्रत कथा का पाठ करें।

  • अंत में भगवान श्री हरि विष्णु और मां लक्ष्मी की आरती करें और अपनी भूलों के लिए क्षमा प्रार्थना करें।

विष्णु मंत्र

ॐ नमोः नारायणाय नमः।
द्वादशाक्षर मंत्र: ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।

एकादशी पर पूजा पारण के समय सबसे पहले भगवान विष्णु को भोग लगाए गए प्रसाद को ग्रहण करना चाहिए और फिर सामान्य भोजन ग्रहण करना चाहिए। इस दिन चावल खाने से परहेज नहीं किया जाता है। 

ये खबर भी पढ़ें...

दशहरा 2025: आज मनाया जाएगा असत्य पर सत्य की विजय का पर्व, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

विजयदशमी पर जानिए रावण दहन से पूजा तक, ये अनोखी परंपराएं

भगवान विष्णु की पूजा भगवान विष्णु Ekadashi Tithi एकादशी तिथि एकादशी पर पूजा
Advertisment