दीपों के महापर्व दिवाली पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का विधान है। दीपावली का महत्व भारतीय संस्कृति और समाज में अत्यंत विशेष स्थान रखता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई, अंधकार पर प्रकाश और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक माना जाता है।
दीपावली का महत्व भारतीय संस्कृति और समाज में अत्यंत विशेष स्थान रखता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई, अंधकार पर प्रकाश और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक माना जाता है। दीपावली का मूल अर्थ है दीपों की पंक्ति और इस दिन घर-आंगन में दीप जलाकर पूरे वातावरण को प्रकाशमय किया जाता है। आइए पहले इस महापर्व के बारे में विस्तार से जानते हैं…
दीपावली की कथा
दीपावली की कथा कई धार्मिक मान्यताओं से जुड़ी है, जिनमें प्रमुख कथा भगवान राम के वनवास से लौटने की है। जब भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे, तो अयोध्यावासियों ने पूरे नगर को दीपों से सजाकर उनका स्वागत किया। एक अन्य कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के समय धन की देवी लक्ष्मी का प्राकट्य इसी दिन हुआ था, इस कारण इस दिन माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है।
दीपावली की पूजा विधि
सबसे पहले, पूजा स्थल को स्वच्छ कर लें और वहां गंगाजल का छिड़काव करें।
घर के बाहर और पूजा स्थल पर रंगोली बनाएं और लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों को चौकी पर स्थापित करें।
लक्ष्मीजी के सामने जल का कलश रखें, जिसके ऊपर आम के पत्ते और नारियल रखें।
गणेश और लक्ष्मीजी को तिलक करें और उन्हें पुष्प, धूप, दीप और अक्षत अर्पित करें।
इसके बाद, लक्ष्मीजी की विशेष पूजा करें और पूजा के अंत में आरती करें।
पूजा की सामग्री
लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति
पूजन थाली: धूप, दीप, चावल, पुष्प, रोली, कुमकुम, फल, मिठाई, खील-बताशे, सिक्के, गंगाजल, पंचामृत, नारियल, आम के पत्ते
पूजा मंत्र
लक्ष्मी जी का मंत्र
"ॐ ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः"
गणेश जी का मंत्र
"ॐ गं गणपतये नमः"
कुबेर मंत्र
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये, धनधान्यसमृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।