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सावन का महीना भारतीय संस्कृति में एक स्पेशल स्थान रखता है। यह न केवल वर्षा और हरियाली का प्रतीक है, बल्कि आस्था, प्रेम और रिश्तों को मजबूत करने का महीना भी है।
खासकर शादीशुदा महिलाओं और नई दुल्हनों के लिए सावन का महीना बहुत खास होता है। विशेष रूप से जब शादी के बाद पहली बार सावन आता है, तो यह एक धार्मिक और भावनात्मक अवसर बन जाता है।
भारतीय समाज में एक परंपरा है कि शादी के बाद पहली बार सावन के महीने में नई दुल्हन मायके जाती है। इसके पीछे एक गहरा भावनात्मक, धार्मिक और सांस्कृतिक कारण छिपा हुआ है। आइए जानते हैं क्यों नई दुल्हन को पहला सावन मायके में मनाना चाहिए।
❤️🏡भावनात्मक जुड़ाव और घर का स्नेह
- शादी के बाद एक लड़की की जिंदगी में कई बदलाव आते हैं।
- ससुराल में नया घर, नया परिवार, और नए रिश्ते।
- ऐसे में, पहला सावन मायके में मनाना उसे अपने पुराने घर और परिवार के साथ एक बार फिर से जोड़ता है।
- मायका उसकी शुरुआती पहचान और उसकी जड़ें होती हैं।
- मायके में वापस जाकर दुल्हन को अपने परिवार का प्यार, सुरक्षा और अपनापन मिलता है।
- यह एक तरह से मानसिक संतुलन बनाए रखने का तरीका होता है, जिससे वह ससुराल के नए माहौल में आसानी से समाहित हो सके।
🌸🙏धार्मिक मान्यता और व्रत
- सावन के महीने में महिलाएं विशेष रूप से शिव-पार्वती की पूजा करती हैं और व्रत करती हैं।
- खासकर नई दुल्हन के लिए यह महत्वपूर्ण समय होता है।
- हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि अगर एक दुल्हन पहली बार सावन के महीने में पूरी श्रद्धा से व्रत करती है, तो उसका वैवाहिक जीवन सुखमय और स्थिर रहता है।
- इसके अलावा, इस समय को पारिवारिक पूजा के रूप में मनाने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
- धार्मिक दृष्टिकोण से, यह समय शिव और पार्वती की विशेष कृपा पाने का होता है, जो विवाह और पारिवारिक जीवन को संजीवनी प्रदान करता है।
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🌼⚖️नई ज़िंदगी में संतुलन का अवसर
- शादी के बाद पहली बार सावन मायके में मनाना एक तरह से ब्रेक लेने का मौका भी होता है।
- नई शादी के बाद दुल्हन को ससुराल में अपनी नई भूमिका निभानी पड़ती है, जो कि कई बार मानसिक दबाव और तनाव का कारण बन सकती है।
- मायके में रहकर, वह कुछ समय के लिए अपने पुराने रूप में वापस लौटती है, जो उसे मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है।
- यह उसे अपने रिश्तों में संतुलन बनाए रखने का अवसर देता है।
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🤝💖सास-ससुर और पति का प्रेम भी
- इस परंपरा को निभाते हुए, कई जगहों पर सास-ससुर और पति स्वयं बहू को मायके भेजते हैं।
- यह एक संकेत है कि परिवार नई बहू को सम्मान और आजादी देने के लिए तैयार है।
- यह भावनात्मक रूप से बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह दर्शाता है कि ससुराल में उसे केवल कर्तव्यों का पालन नहीं करना है, बल्कि वह भी अपना खुद का स्थान और सम्मान बनाए रख सकती है।
- यह परंपरा रिश्तों की नाजुकता और सम्मान की भावना को मजबूत करती है।
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🌱📝सावन के महत्व
- सावन के महीने में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान होते हैं, जिनमें महिलाएं विशेष व्रत करती हैं।
- अगर आप भी पहली बार सावन में अपनी नई शादी के बाद घर में व्रत रखना चाहती हैं, तो यह प्रक्रिया बहुत सरल होती है।
- सबसे पहले, आपको सोमवार के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी होती है।
- यह पूजा विशेष रूप से घर के माहौल को पवित्र करती है और जीवन में सुख-समृद्धि लाती है।
- इसके बाद, सावन के पूरे महीने में महिलाओं को उपवासी रहकर विशेष मंत्रों का जाप करना होता है।
- इसके अतिरिक्त, एक साथ परिवार के साथ समय बिताना और पारिवारिक पूजा करना भी सावन के महत्व को बढ़ाता है।
- सावन के महीने में पहला सावन मायके में मनाना न केवल एक धार्मिक कर्तव्य है, बल्कि यह एक भावनात्मक जुड़ाव, पारिवारिक समृद्धि और मानसिक शांति का स्रोत भी है।
- यह परंपरा भारतीय समाज में रिश्तों को मजबूत करने और खुशहाल जीवन की कामना करने का एक सुंदर तरीका बन चुकी है।
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