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सावन में अक्सर लोग भगवान से शिव की अराधना के लिए शिव मंदिर या बाबा धाम जाते हैं। ऐसे ही शिव की अराधना करने लिए झारखंड के देवघर जिले में स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है।
यहां भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से नौवां ज्योतिर्लिंग प्रमुख धार्मिक स्थल माना जाता है। शिव इस पूजन स्थल को कामना स्थल भी कहा जाता है, क्योंकि मान्यता है कि यहां सच्चे मन से की गई पूजा-अर्चना से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
श्रावण मास में लाखों श्रद्धालु गंगा जल लेकर कांवड़ यात्रा करते हैं और यहां शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। यह स्थल न केवल धार्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके पीछे की पौराणिक कथा भी अत्यंत रोचक है।
📜 बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग से जुड़ी पौराणिक कथा
एक बार लंकापति रावण के मन में यह इच्छा हुई कि वह भगवान शिव को लंका में स्थापित करे ताकि वह अजेय बन सके। इसके लिए उसने कठोर तपस्या शुरू की। रावण ने अपनी भक्ति की पराकाष्ठा करते हुए अपने नौ सिर यज्ञ में अर्पित कर दिए। जब वह दसवां सिर अर्पित करने जा रहा था, तब भगवान शिव प्रसन्न होकर प्रकट हुए और उसे वर मांगने को कहा।
रावण ने भगवान शिव से उनका आत्मलिंग मांगा। भगवान शिव ने आत्मलिंग तो दे दिया लेकिन यह शर्त रखी कि वह जहां भी जमीन पर रखा गया, वहीं स्थायी रूप से स्थापित हो जाएगा।
🧠 भगवान विष्णु की रणनीति
देवताओं को भय हुआ कि यदि रावण शिवलिंग को लंका ले गया, तो वह अमर और अजेय हो जाएगा। तब भगवान विष्णु ने एक योजना बनाई। जब रावण आत्मलिंग लेकर लंका जा रहा था, तो देवताओं ने वरुण देव से आग्रह किया कि वे रावण के शरीर में प्रवेश कर उसे लघुशंका के लिए विवश करें। जब रावण रुका, तो उसने एक ग्वाले से शिवलिंग कुछ समय तक पकड़ने को कहा।
ग्वाला असल में भगवान विष्णु के कहने पर भगवान गणेश थे। शिवलिंग का भार अधिक होने के कारण उन्होंने उसे धरती पर रख दिया और वहीं उसकी स्थापना हो गई।
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🔥 रावण का क्रोध और प्रयास
जब रावण वापस आया तो देखा कि शिवलिंग पहले ही स्थापित हो चुका है। उसने शिवलिंग को हिलाने का बहुत प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हो पाया। क्रोधित होकर उसने उसे दबाने का प्रयास किया, जिससे शिवलिंग का एक भाग जमीन में धंस गया। तभी से भगवान शिव इस स्थान पर बैद्यनाथ रूप में वास करते हैं।
बैद्यनाथ नाम की प्रोड्यूस: मान्यता है कि जब रावण ने अपने सिर काटकर भगवान शिव को अर्पित किए, तब भगवान शिव ने वैद्य रूप में उसके घावों को ठीक किया। इसी कारण से इस स्थान को बैद्यनाथ कहा गया।
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📌 बाबा बैद्यनाथ धाम में दर्शन प्रक्रिया (Application Process)
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन:
श्रद्धालु बाबा बैद्यनाथ धाम के दर्शन के लिएjharkhandtourism.gov.inकी वेबसाइट या मंदिर की आधिकारिक साइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।
ऑनलाइन स्लॉट बुकिंग: सावन के साथ अन्य फेस्टिवल के दर्शन के लिए स्लॉट बुक करना जरूरी होता है। इससे भीड़ कंट्रोल में रहती है,और हर भक्त को ठीक समय पर दर्शन का सौभाग्य मिल पाता है।
ऐसे पास करें दर्शन डाउनलोड : रजिस्ट्रेशन के बाद श्रद्धालु को मोबाइल पर एक ई-पास मिलेगा, जिसमें तारीख, समय और दर्शन स्लॉट की जानकारी होगी। इसे मंदिर के प्रवेश द्वार पर दिखाना होता है।
लोकल फैसिलिटीज: मंदिर परिसर में मेडिकल, प्रसाद, जल, स्नानगृह और रुकने की सुविधाएं उपलब्ध हैं। मंदिर प्रशासन और लोकल लोग श्रद्धालुओं की सेवा में आगे रहते हैं।
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