5 मई को साल का पहला चंद्र ग्रहण, क्या भारत में मान्य होगा सूतक काल? जानें ग्रहण का समय और कहां दिखेगा ग्रहण

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Neha Thakur
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5 मई को साल का पहला चंद्र ग्रहण, क्या भारत में मान्य होगा सूतक काल? जानें ग्रहण का समय और कहां दिखेगा ग्रहण

BHOPAL. जल्द ही साल 2023 का पहला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। बता दें कि ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। 



इस साल कुल चार ग्रहण लगेंगे। वैशाख अमावस्या पर सूर्य ग्रहण के बाद अब जल्द चंद्र ग्रहण लगने वाला है। साल का पहला चंद्र ग्रहण 5 मई को वैशाख पूर्णिमा यानी बुद्ध पुर्णिमा पर लगेगा। वैज्ञानिक दृष्टि से देखे तो चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच आ जाती है। पुराणों के अनुसार जब राहु चंद्रमा को ग्रसित करते हैं तब चंद्र ग्रहण का संयोग बनता है। सूर्य और चंद्र ग्रहण से पहले सूतक काल लगता है। आइए जानते हैं चंद्र ग्रहण का समय, सूतक काल कब शुरू होगा और साल का पहला चंद्र ग्रहण कहां-कहां दिखाई देगा।





इस समय चांद को लगेगा ग्रहण





2023 का पहला चंद्र ग्रहण 5 मई 2023, शुक्रवार को रात 8 बजकर 45 मिनट से शुरू होगा और इसकी समाप्ति देर रात 1.00 बजे होगी। ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। इस दिन वैशाख माह की पूर्णिमा भी है, जिसे बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। चंद्र ग्रहण का परमग्रास समय रात 10 बजकर 53 मिनट पर है। चंद्र ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है, लेकिन साल का पहला चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा।





कहां-कहां दिखेगा चंद्रग्रहण





ये उपछाया चंद्र ग्रहण है यानी चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया सिर्फ एक तरफ रहने के कारण ये ग्रहण हर जगह नहीं देखा जा सकेगा। साल के पहले चंद्र ग्रहण का असर यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, अंटार्कटिका, प्रशांत अटलांटिक और हिंद महासागर पर रहेगा।





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इस बार है उपछाया चंद्र ग्रहण





जब चंद्र पर पृथ्वी की छाया न पड़कर उपछाया पड़ती है, तो इसे उपच्‍छाया चंद्र ग्रहण कहा जाता है। दरअसर ग्रहण लगने से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया में प्रवेश करता है जिसे चंद्र मालिन्य कहते हैं, इसके बाद चांद पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है, लेकिन कई बार चंद्रमा उपछाया में प्रवेश करके उपछाया शंकु से ही बाहर निकल कर आ जाता है। ऐसे में उपछाया के समय चंद्रमा की रोशनी में हल्का धुंधलापन होता है, चंद्रमा का रंग मटमैला हो जाता है। इसे उपछाया चंद्र ग्रहण करते हैं।



 



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