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Ganesh Chaturthi 2025: सनातन धर्म में गणेश चतुर्थी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है।
इस दिन भक्त गणपति बप्पा की प्रतिमा स्थापित करते हैं, उनकी पूजा-अर्चना करते हैं और उनसे सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। गणेश चतुर्थी की पूजा में कई विशेष सामग्रियां उपयोग की जाती हैं, जिनमें से एक है दूर्वा घास।
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, भगवान गणेश को दूर्वा बहुत प्रिय है और इसके बिना उनकी पूजा अधूरी मानी जाती है। आइए जानें गणेश जी को दूर्वा क्यों प्रिय है और क्या है इसके पीछे की पौराणिक कथा।
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कब है गणेश चतुर्थी 2025
वैदिक पंचांग के मुताबिक, 2025 में गणेश चतुर्थी का त्योहार 27 अगस्त से शुरू होगा। चतुर्थी तिथि 26 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 55 मिनट से शुरू होकर 27 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 45 मिनट तक रहेगी। गणेश जी की स्थापना 27 अगस्त को करना शुभ रहेगा क्योंकि गणेश पुराण के मुताबिक भगवान गणेश का जन्म दोपहर में हुआ था और 27 अगस्त को दोपहर तक चतुर्थी तिथि रहेगी। जो लोग गणेश चतुर्थी का व्रत रखना चाहते हैं, वे इसे 26 अगस्त को रखें। ऐसा इसलिए क्योंकि चतुर्थी के व्रत में रात के समय चंद्रमा की पूजा होती है और 26 अगस्त को रात में चतुर्थी तिथि रहेगी। यह 10 दिवसीय गणेश उत्सव 27 अगस्त से शुरू होकर 6 सितंबर यानी अनंत चतुर्दशी तिथि तक चलेगा। |
दूर्वा चढ़ाने के पीछे की रोचक कथा
भगवान गणेश को दूर्वा चढ़ाने के पीछे एक बहुत ही रोचक पौराणिक कथा है। इस कथा के मुताबिक, बहुत समय पहले अनलासुर नामक एक दैत्य हुआ करता था।
उसके अत्याचारों से तीनों लोक, यानी मुनि, ऋषि, देवता और मनुष्य सभी परेशान थे। अनलासुर इतना शक्तिशाली था कि वह सभी को जिंदा निगल जाता था, जिससे हर तरफ हाहाकार मचा हुआ था।
सभी देवता इस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए भगवान शिव के पास गए और उनसे अनलासुर का वध करने की विनती की। भगवान शिव ने देवताओं की प्रार्थना सुनकर कहा कि अनलासुर का नाश सिर्फ गणेश जी ही कर सकते हैं।
इसके बाद सभी देवताओं ने मिलकर भगवान गणेश से प्रार्थना की और दैत्य के नाश की विनती की। भक्तों की पुकार सुनकर भगवान गणेश ने विशाल रूप धारण किया और अनलासुर को निगल गए।
दैत्य को निगलने के बाद भगवान गणेश के पेट में असहनीय जलन होने लगी। इस जलन को शांत करने के लिए सभी देवताओं ने विभिन्न उपाय किए, लेकिन कोई भी उपाय काम नहीं आया। तब कश्यप ऋषि ने गणेश जी को 21 दूर्वा घास खाने को दी।
जैसे ही गणेश जी ने दूर्वा खाई, उनके पेट की जलन शांत हो गई। इस घटना के बाद से ही भगवान गणेश को दूर्वा बहुत प्रिय हो गई। तभी से यह मान्यता है कि गणेश जी की पूजा में दूर्वा चढ़ाने से वे बहुत प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों के सभी कष्ट दूर कर देते हैं।
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दूर्वा की आध्यात्मिक विशेषता
- आध्यात्मिक महत्व: दूर्वा को अमृत के समान माना गया है। यह पवित्रता, ऊर्जा और अनंत जीवन का प्रतीक है।
- औषधीय गुण: आयुर्वेद में दूर्वा का उपयोग कई तरह की बीमारियों के इलाज में किया जाता है, जैसे कि रक्तस्राव, सूजन और त्वचा संबंधी रोग।
- सकारात्मक ऊर्जा: दूर्वा को घर में रखने से और पूजा में इस्तेमाल करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मकता का संचार होता है।
पूजा में दूर्वा का महत्व और नियम
गणेश पुराण के मुताबिक, भगवान गणेश की पूजा में दूर्वा का विशेष महत्व है। इसे चढ़ाते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए:
- संख्या और स्वरूप: भगवान गणेश को 21 दूर्वा की गांठें चढ़ानी चाहिए। दूर्वा को हमेशा जोड़े में चढ़ाएं। दूर्वा की गांठें ऐसी हों, जिसमें तीन या पांच पत्तियां हों।
- चढ़ाने का तरीका: दूर्वा को साफ पानी से धोकर ही अर्पित करना चाहिए। दूर्वा को गणेश जी के मस्तक पर चढ़ाना चाहिए, लेकिन उनकी पीठ पर नहीं।
- पवित्रता: दूर्वा को हमेशा साफ-सुथरी जगह से तोड़ना चाहिए। ऐसी जगह से दूर्वा न तोड़ें जहां गंदगी हो या जहां जानवरों का आना-जाना हो।
- दूर्वा के फायदे: मान्यता है कि दूर्वा चढ़ाने से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं और कार्य सिद्ध होते हैं। दूर्वा को पवित्रता और सम्मान का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इसे चढ़ाकर भक्त अपनी श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करते हैं।
गणेश पूजा में दूर्वा का उपयोग
धार्मिक मान्यता के मुताबिक, दूर्वा का उपयोग केवल गणेश चतुर्थी पर ही नहीं बल्कि हर बुधवार को भी किया जाता है जो भगवान गणेश का दिन माना जाता है। पूजा में दूर्वा का उपयोग करने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। दूर्वा के उपयोग से जुड़े कुछ और नियम इस प्रकार हैं:
- किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले, दूर्वा को घर के मुख्य द्वार पर लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- दूर्वा को घर के चारों ओर घुमाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
- इसे पूजा की चौकी पर भी रखा जाता है, ताकि पूजा का वातावरण शुद्ध और पवित्र बना रहे।
गणेश चतुर्थी का यह पावन पर्व हमें सिखाता है कि भगवान गणेश की पूजा में दिखावे की बजाय श्रद्धा और सच्चे मन से अर्पित की गई साधारण वस्तु का भी बहुत महत्व होता है। दूर्वा घास भले ही साधारण हो, लेकिन इसके पीछे की कथा और महत्व इसे भगवान गणेश को प्रिय बनाता है
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
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गणेश चतुर्थी की पूजन विधि | गणेश चतुर्थी का महत्व | Ganesh Chaturthi Preparations | Ganesh Chaturthi festival
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