गुरु पूर्णिमा पर सही तरीके से करें सत्‍यनारायण पूजा, घर में सुख और शांति का होगा वास

गुरु पूर्णिमा 2025 का गुरुवार के साथ आना एक दुर्लभ और शुभ संयोग है। इस दिन सत्‍यनारायण भगवान की कथा घर में करवाने से जीवन के हर पहलू में सकारात्मक परिवर्तन आ सकते हैं। जानें इसके लाभ और विधि।

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Kaushiki
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Satyanarayan Puja
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गुरुवार, जो बृहस्पति ग्रह और भगवान विष्णु के दिन के रूप में माना जाता है, अत्यधिक शुभ और प्रभावशाली होता है। खासकर जब यह गुरु पूर्णिमा के साथ आता है। हिंदू धर्म में गुरु के स्थान को सबसे जरूरी स्थान माना जाता है।

ये दिन गुरु के प्रति श्रद्धा और आभार व्यक्त करने के साथ-साथ आत्मविकास और अध्यात्मिक उन्नति के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस बार पूर्णिमा 10 जुलाई को मनाई जाएगी।

तो ऐसे में इस दिन विशेष रूप से सत्‍यनारायण भगवान की पूजा की जाती है, जो घर में सुख, शांति, और समृद्धि लाने में मदद करती है और पारिवारिक एवं आर्थिक स्थिति को सुधारने में सहायक होती है...

Satyanarayan Katha Rules And Significance By Astrologer In Hindi|सत्यनारायण  कथा के लाभ और नियम

गुरु पूर्णिमा कब है

पंचांग के मुताबिक, इस साल गुरु पूर्णिमा की तिथि 10 जुलाई को रात 1:36 बजे से शुरू होगी, जो 11 जुलाई को रात 2:06 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के मुताबिक ये पर्व 10 जुलाई को मनाया जाएगा।

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शुभ योग

ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, इस बार गुरु पूर्णिमा पर एक विशेष योग बन रहा है, क्योंकि इस दिन इंद्र योग और वैधृति योग का निर्माण हो रहा है। हालांकि, इस दिन भद्रा का प्रभाव भी रहेगा, लेकिन यह पाताल लोक में होने के कारण इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।

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सत्‍यनारायण कथा के लाभ

हिंदू धर्म में किसी भी पूर्णिमा के दिन सत्‍यनारायण कथा का आयोजन करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ सकते हैं। मान्यता के मुताबिक, इस पूजा के कुछ विशेष लाभ होते हैं, जैसे

घर में सुख, शांति और सौभाग्य का वास

  • गुरुवार और गुरु पूर्णिमा के संयोग से घर में सुख, शांति और सौभाग्य का वास होता है। जब इस दिन घर में सत्यनारायण भगवान की कथा होती है, तो घर के वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा और सात्विकता का संचार होता है।
  • यह पूजा घर में लड़ाई-झगड़े, तनाव, और पारिवारिक कलह को दूर करने में मदद करती है और रिश्तों में सौहार्द और समझदारी को बढ़ावा देती है।

आर्थिक बाधाएं होती हैं दूर

  • सत्‍यनारायण भगवान को धन, वैभव, और समृद्धि के रक्षक माना जाता है। गुरु पूर्णिमा पर सत्यनारायण कथा से आर्थिक बाधाएं दूर होती हैं। नौकरी, व्यापार, और निवेश में लाभ होता है।
  • बृहस्पति ग्रह की कृपा से उधारी से मुक्ति मिलती है और आमदनी में निरंतर वृद्धि होती है। यह पूजा विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है, जो आर्थिक अस्थिरता, कर्ज़ या नौकरी में असुरक्षा का सामना कर रहे हैं।

गुरु कृपा और आध्यात्मिक विकास

  • गुरु पूर्णिमा का मुख्य उद्देश्य गुरु के प्रति श्रद्धा और आत्मा का शुद्धिकरण है। सत्यनारायण कथा का आयोजन व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास में मदद करता है।
  • इस दिन का आयोजन साधकों को ध्यान, जप और तप में मन की एकाग्रता देता है। विद्यार्थियों के लिए यह दिन विद्या, स्मरण शक्ति और अनुशासन की प्राप्ति का है। यह पूजा आत्मबोध और जीवन के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।

परिवार में संतुलन और अच्छे रिश्ते

  • गुरु पूर्णिमा पर सत्यनारायण कथा करवाने से परिवार में संतुलन और सद्भावना बढ़ती है। जिन दंपतियों को संतान सुख की प्राप्ति में बाधाएं आ रही हैं, उनके लिए यह पूजा बहुत शुभ मानी जाती है।
  • यह कथा विवाह संबंधी विलंब और पारिवारिक मनमुटाव को दूर करने में सहायक होती है। इस दिन की पूजा सास-बहू, पति-पत्नी, और संतान के रिश्तों को भी मधुर बनाती है।

पितृ दोष, ग्रह बाधा और स्वास्थ्य समस्याओं से मुक्ति

  • सत्यनारायण कथा ग्रह दोष, विशेष रूप से बृहस्पति दोष, कालसर्प योग, और पितृ दोष को शांत करने में मदद करती है। यह पूजा पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए भी बेहद लाभकारी मानी जाती है।
  • साथ ही, यह मानसिक बेचैनी, बार-बार बीमारी, या घर के किसी सदस्य की अनसुलझी समस्या को दूर करने में भी सहायक होती है। कथा के दौरान किए गए सामूहिक प्रार्थना और हवन से घर में रोग निवारक वातावरण बनता है।

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सत्‍यनारायण पूजा की विधि

  • स्थान का चयन: पूजा के लिए एक साफ और शुद्ध स्थान का चयन करें, जहां शांति बनी रहे।
  • आसन पर बैठना: लाल या सफेद आसन पर बैठकर पूजा प्रारंभ करें।
  • भगवान की मूर्ति या चित्र का प्रतिष्ठान: सत्‍यनारायण भगवान का चित्र या मूर्ति रखें और उन्हें स्नान कराएं।
  • दीपक और धूप अर्पित करें: भगवान को दीपक और धूप अर्पित करें, जिससे वातावरण शुद्ध हो।
  • भोग अर्पित करें: ताजे फल, फूल, और मिठाई अर्पित करें (केले, सेव, चंदन आदि)।
  • सत्‍यनारायण कथा का श्रवण करें: भगवान की कथा का पाठ करें या किसी से सुनें।
  • व्रत का संकल्प लें: अगर कोई व्रत लेने का संकल्प हो, तो उसे पूरी श्रद्धा से लें।
  • गोपनीय वचन का पालन करें: व्रत में बताए गए नियमों का पालन करें और प्रार्थना करें।
  • आरती और प्रसाद वितरण: पूजा के अंत में आरती करें और प्रसाद को सभी को वितरित करें।

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