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दिवाली का महापर्व
Latest Religious News: कल 20 अक्टूबर को दिवाली 2025 का महापर्व है। मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा में इन विशेष 7 भोगों को श्रद्धापूर्वक अर्पित करने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली का वास होता है। आइए जानें...
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धान और चावल (अक्षत)
अक्षत शुद्धता और समृद्धि का प्रतीक हैं, जिनका प्रयोग हर पूजा में अनिवार्य माना जाता है। धान नए अन्न की उपज को दर्शाता है, जिसे अर्पित करने से घर में धन और कृषि की वृद्धि होती है।
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बताशे और मिश्री
चीनी से बने ये सरल प्रसाद समानता का प्रतीक हैं, जो दर्शाते हैं कि अमीर और गरीब दोनों श्रद्धा से इन्हें चढ़ा सकते हैं। इनका मिठास भरा भोग माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करता है और जीवन में मधुरता लाता है।
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मूंगफली, गुड़ और तिल
यह भोग मौसम की शुरुआत (सर्दी) को दर्शाता है, जो ऊर्जा और सौभाग्य के प्रतीक हैं। तिल और गुड़ से बनी चीजें शुद्धता लाती हैं, जिससे घर में बरकत बनी रहती है।
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फल (अनार, नारियल, मौसमी फल)
फल प्रकृति की देन और समृद्धि के प्रतीक होते हैं, जिनमें अनार को विशेष रूप से देवी लक्ष्मी के सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है। नारियल, जिसे श्रीफल भी कहते हैं, शुद्धता का प्रतीक है और यह सभी तरह की पूजा में महत्वपूर्ण होता है।
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खीर या हलवा
यह घर पर श्रद्धा से तैयार की गई मिठाई है, जो शुद्ध दूध और चावल से बनती है और मां लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है। मां लक्ष्मी का पूजन में खीर का भोग लगाने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और अन्न की कमी नहीं होती।
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सूखा मेवा (मेवा-मिष्ठान)
बादाम, काजू और किशमिश जैसे सूखे मेवे वैभव, ऐश्वर्य और संपन्नता का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह भोग मां लक्ष्मी को चढ़ाकर भक्त अपने जीवन में भौतिक सुखों की कामना करते हैं।
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कमल का फूल और पत्ते
कमल का फूल मां लक्ष्मी का सबसे प्रिय आसन और प्रतीक है, जो पवित्रता और वैराग्य के बीच संतुलन दर्शाता है। पूजा में कमल अर्पित करने से देवी अत्यंत प्रसन्न होती हैं और भक्त पर विशेष कृपा बरसाती हैं।
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विशेष संकेत
(Diwali Puja Bhog) मां लक्ष्मी (मां लक्ष्मी की कृपा) को हमेशा साफ-सुथरा स्थान और तेल का दीपक प्रिय होता है, इसलिए पूजा स्थल की सफाई जरूरी है। पूजा में शंख की ध्वनि विशेष रूप से शुभ मानी जाती है, जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर शुद्धता लाती है।