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पुरी का जगन्नाथ मंदिर हिंदू धर्म के चार पवित्र धामों में से एक माना जाता है और इसे धरती पर बैकुंठ धाम के रूप में भी पूजा जाता है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ (भगवान विष्णु के अवतार) को समर्पित है।
मंदिर की सबसे प्रसिद्ध परंपरा रथ यात्रा है, जो हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष में होती है और इसमें लाखों भक्त भाग लेते हैं। इस यात्रा में शामिल होने से जीवन के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं।
ऐसे में इस मंदिर से जुड़ा एक ऐसा रहस्य है, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। यह रहस्य है मंदिर की तीसरी सीढ़ी का, जिसे यम शिला कहा जाता है। आइए जानें इस तीसरी सीढ़ी के रहस्य के बारे में।
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तीसरी सीढ़ी का महत्व
पुरी के जगन्नाथ मंदिर में कुल 22 सीढ़ियां हैं, लेकिन इसकी तीसरी सीढ़ी को विशेष मान्यता प्राप्त है। इसे 'यम शिला' कहा जाता है, क्योंकि धार्मिक मान्यता के मुताबिक, इस सीढ़ी पर यमराज का वास है।
पौराणिक कथा के मुताबिक, एक बार यमराज ने देखा कि भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने से भक्तों के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं, जिससे यमलोक में जाने वालों की संख्या कम हो गई।
यमराज ने भगवान जगन्नाथ से पूछा कि लोग आपके दर्शन से ही मोक्ष प्राप्त कर रहे हैं और अब कोई यमलोक नहीं जा रहा। भगवान ने यमराज से कहा, "तुम मंदिर की तीसरी सीढ़ी पर अपना स्थान ग्रहण करो।
अब जो भी भक्त मेरे दर्शन के बाद इस सीढ़ी पर पैर रखेगा, वह पापों से मुक्त तो हो जाएगा, लेकिन यमलोक भी जाएगा।" इसके बाद से ही यह सीढ़ी 'यम शिला' के नाम से प्रसिद्ध हो गई। यह सीढ़ी बाकी सीढ़ियों से अलग काली रंग की होती है, ताकि भक्त इसे आसानी से पहचान सकें।
सीढ़ी का काला रंग
तीसरी सीढ़ी का रंग विशेष रूप से काला है। इसे लेकर भी एक मान्यता है कि काले रंग को मृत्यु और अंधकार का प्रतीक माना जाता है और यही वजह है कि यह सीढ़ी बाकी सीढ़ियों से अलग रंग की है।
काले रंग के प्रतीक रूप में इसे यमराज से जोड़ा जाता है, जो मृत्यु के देवता माने जाते हैं। काला रंग उन पापों का प्रतीक है, जिनसे मुक्ति प्राप्त करने के लिए यह चेतावनी दी जाती है कि तीसरी सीढ़ी पर कदम न रखा जाए।
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श्रद्धालुओं के लिए जरूरी निर्देश
इस पुरानी मान्यता के कारण, जगन्नाथ मंदिर में एक विशेष नियम है कि भक्तों को भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने के बाद तीसरी सीढ़ी पर पैर नहीं रखना चाहिए। यदि कोई श्रद्धालु इस सीढ़ी पर पैर रखता है, तो वह पापों से मुक्ति प्राप्त करने के बावजूद यमलोक को जाएगा।
यह नियम इसलिए है ताकि श्रद्धालु यम शिला से जुड़ी इस धार्मिक मान्यता का पालन करें और भगवान जगन्नाथ की कृपा को सही तरीके से प्राप्त कर सकें। इसलिए, पौराणिक दृष्टिकोण से देखे तो यह सीढ़ी केवल एक प्राकृतिक सीढ़ी नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक कड़ी है जो हमें जीवन और मृत्यु के बीच का समानान्तर बोध प्रदान करती है।
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