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हर साल मार्गशीर्ष महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनाई जाती है। यह दिन भगवान शिव के रौद्र स्वरूप, भगवान काल भैरव के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भैरवनाथ की पूजा करने से भक्तों को सभी भय से मुक्ति मिलती है।
साथ ही जीवन की तमाम बाधाएं दूर होती हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भैरवनाथ को तंत्र-मंत्र का देवता भी माना जाता है। इसलिए उनकी पूजा बहुत सावधानी और विधि-विधान से करनी चाहिए। 2025 में ये पर्व 12 नवंबर को मनाया जाएगा।
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उज्जैन के काल भैरव मंदिर का विशेष महत्व
मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में स्थित काल भैरव मंदिर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यहां पूजा करने का एक खास महत्व है। उज्जैन को महाकाल की नगरी भी कहा जाता है।
भगवान काल भैरव को यहां के नगरपाल के रूप में पूजा जाता है। माना जाता है कि भगवान शिव ने उन्हें यह जिम्मेदारी दी थी। यहां की मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे दिल से पूजा करता है, उसकी सभी मुश्किलें दूर हो जाती हैं।
काल भैरव की कृपा से शत्रु शांत होते हैं और जीवन में सुख-शांति आती है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां भगवान भैरवनाथ को प्रसाद के रूप में शराब चढ़ाई जाती है। कहा जाता है कि बाबा खुद ही सीधे पात्र से शराब ग्रहण करते हैं।
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काल भैरव के प्रिय भोग
काल भैरव अष्टमी के दिन भगवान (काल भैरव की पूजा) को उनका प्रिय भोग अवश्य लगाना चाहिए। भोग लगाने से भगवान शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं और भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।
शराब (मदिरा):
जैसा कि उज्जैन के मंदिर में प्रसिद्ध है, भगवान काल भैरव को सबसे प्रिय भोग शराब है। इसे एक विशेष पात्र में उन्हें अर्पित किया जाता है।
उड़द की दाल के पकौड़े:
कई भक्त उड़द की दाल से बने पकौड़े या वड़े का भोग लगाते हैं। यह भी भैरवनाथ को बहुत पसंद है।
मीठी रोटियां:
गुड़ और आटे से बनी मीठी रोटियां या पूड़ियां भी बाबा भैरवनाथ को अर्पित की जाती हैं। इसे तांदली भी कहते हैं।
जलेबी या इमरती:
मीठे में जलेबी या इमरती का भोग लगाना भी शुभ माना जाता है। इससे भगवान की कृपा बनी रहती है।
चमेली का तेल:
पूजा में चमेली का तेल और सिंदूर का लेप लगाने से भगवान भैरवनाथ बहुत प्रसन्न होते हैं।
इन प्रिय चीजों का भोग लगाकर आप भगवान काल भैरव (काल भैरव का अनूठा मंदिर) को प्रसन्न कर सकते हैं।
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काल भैरव जयंती की पूजा विधि
Kaal Bhairav ​​Jayanti 2025 के दिन व्रत और पूजा करने का विशेष फल मिलता है।
जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें।
भगवान भैरवनाथ की पूजा का संकल्प लें।
घर या मंदिर में काल भैरव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
उन्हें उनका प्रिय भोग चढ़ाएं और आरती करें।
इस दिन काल भैरव चालीसा (Kaal Bhairav ​​Temple Ujjain) का पाठ करने से विशेष फल मिलता है।
गरीबों और कुत्तों को भोजन कराना बहुत शुभ माना जाता है।
यह दिन भक्तों को नकारात्मक शक्तियों से बचाता है।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। Latest Religious News | धार्मिक अपडेट
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