कैलाश मानसरोवर यात्रा पांच साल बाद फिर शुरू, नाथुला से रवाना हुआ पहला जत्था

कैलाश मानसरोवर यात्रा पांच साल बाद फिर से शुरू हो गई है, जिसमें 33 तीर्थयात्रियों का पहला जत्था नाथुला से रवाना हुआ है। यह यात्रा हिंदू, बौद्ध और जैन धर्मों के लिए अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व रखती है।

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Kaushiki
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Kailash Mansarovar Yatra
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कैलाश मानसरोवर यात्रा न केवल शारीरिक दृष्टि से एक चुनौतीपूर्ण यात्रा है, बल्कि यह एक गहरा आध्यात्मिक अनुभव भी है। हिंदू धर्म में कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि यहां जाने से मोक्ष प्राप्त होता है। इसके अलावा, बौद्ध धर्म और जैन धर्म में भी इस स्थान का विशेष धार्मिक महत्व है।

जैन धर्म के मुताबिक, यहीं ऋषभदेव को मोक्ष मिला था, जबकि बौद्ध धर्म इसे चक्रसंवारा देवता का स्थान मानता है। इस तरह, यह यात्रा केवल हिंदू धर्म के लोगों के लिए नहीं, बल्कि कई धर्मों के अनुयायियों के लिए भी जरूरी है।

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फिर से शुरू हुई यात्रा

पिछले पांच वर्षों से बंद पड़ी कैलाश मानसरोवर यात्रा अब फिर से शुरू हो गई है। यह यात्रा 24 जून 2025 को नाथुला दर्रे से शुरू हुई, जहां से 33 श्रद्धालुओं की टोली रवाना हुई। 

इस टोली के साथ ITBP के दो अधिकारी और एक डॉक्टर भी जा रहे हैं, कुल मिलाकर 36 लोग इस पवित्र यात्रा पर निकले हैं। यात्रा का फिर से प्रारंभ होने पर सभी तीर्थयात्री बेहद उत्साहित हैं, खासकर वे भक्त जो कई वर्षों से कैलाश मानसरोवर के दर्शन करने का सपना देख रहे थे।

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यात्रा की तैयारी

कैलाश मानसरोवर तक पहुंचने के लिए तीर्थयात्रियों को विशेष शारीरिक तैयारी करनी पड़ती है। इस यात्रा के दौरान उन्हें 18वें मील और फिर शेरथांग में रुकना होता है, ताकि उनका शरीर उच्च ऊंचाई पर कठिन परिस्थितियों के लिए तैयार हो सके।

इस यात्रा को करने के दौरान श्रद्धालुओं को अपने शारीरिक और मानसिक सीमा से ऊपर उठने का अनुभव होता है, जिससे उन्हें आध्यात्मिक जागृति मिलती है।

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राज्यपाल का संदेश

सिक्किम के राज्यपाल, लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाते हुए कहा कि यह दिन सिक्किम के लिए सम्मान का पल है।

उन्होंने कहा कि यह यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें हमारी संस्कृति और परंपराओं से जोड़ती है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद किया, जिनके प्रयासों से यह यात्रा पुनः शुरू हो सकी।

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पर्यटन की महत्वपूर्ण भूमिका

वहीं, सिक्किम के पर्यटन मंत्री, शेरिंग थेंडुप भूटिया ने कहा कि कैलाश मानसरोवर यात्रा से सिक्किम में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

नाथुला अब केवल एक बॉर्डर नहीं, बल्कि एक पवित्र तीर्थ स्थान बन गया है। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और सिक्किम की आध्यात्मिक धरोहर को और भी सम्मान मिलेगा।

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मानसरोवर में स्नान का महत्व

कैलाश मानसरोवर में स्नान करने को अत्यंत पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि मानसरोवर के जल में डुबकी लगाने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष प्राप्त होता है। यह यात्रा न केवल शारीरिक परीक्षण है, बल्कि यह आत्मा को शुद्ध करने और एक गहरी आध्यात्मिक अनुभूति प्राप्त करने का माध्यम भी है।

यहां तक पहुंचने के लिए तीर्थयात्रियों को विशेष शारीरिक तैयारी करनी पड़ती है। इस यात्रा के दौरान उन्हें 18वें मील और फिर शेरथांग में रुकना होता है, ताकि उनका शरीर उच्च ऊंचाई पर कठिन परिस्थितियों के लिए तैयार हो सके। इस यात्रा को करने के दौरान श्रद्धालुओं को अपने शारीरिक और मानसिक सीमा से ऊपर उठने का अनुभव होता है, जिससे उन्हें आध्यात्मिक जागृति मिलती है।

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यात्रा से मिलने वाले लाभ

इस यात्रा के समय तीर्थयात्री अपनी शारीरिक और मानसिक सीमाओं से ऊपर उठकर आत्मज्ञान प्राप्त करते हैं। इसके अलावा, यह यात्रा उन्हें अपने अंदर की नकारात्मक भावनाओं को त्यागने और अपने जीवन को नए दृष्टिकोण से देखने का अवसर देती है।

हिंदू धर्म में इसे एक जीवन बदलने वाली यात्रा माना जाता है। यह यात्रा व्यक्ति को लोभ, मोह, अहंकार और क्रोध जैसी नकारात्मक भावनाओं को त्यागने की शक्ति देती है।

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