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Latest Religious News: आपने अक्सर लोगों को हाथ या पैर में काला धागा बांधे देखा होगा। न्यू बोर्न बेबीज की नाजुक कलाई हो या किसी बड़े व्यापारी का एंकल, काले धागे की अहमियत हर जगह है।
यह धागा सिर्फ फैशन का हिस्सा नहीं है और न ही ये केवल कोई धार्मिक परंपरा है। मान्यताओं के मुताबिक, काला धागा आस्था, भौतिक विज्ञान और गहरे मनोविज्ञान का अद्भुत मेल है।
इसकी जड़ें हमारी लोक मान्यताओं और ज्योतिष शास्त्र में गहराई से समाई हुई हैं। आइए, इस काला धागा के पीछे छिपे विज्ञान और मनोविज्ञान को समझते हैं।
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नजर दोष और धागे की शक्ति
भारतीय परंपरा में काला धागा पहनने का सबसे बड़ा और प्रचलित कारण 'नजर दोष' से सुरक्षा है। हमारी मान्यताओं के मुताबिक, काला रंग नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे को ईर्ष्या या द्वेष की भावना से देखता है तो उसे नजर लगना कहते हैं। यह बुरी नजर एक प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा होती है।
ऐसे में काला धागा इस नकारात्मक ऊर्जा को शरीर तक पहुंचने से पहले ही अब्जॉर्ब कर लेता है। यह धागा एक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है, जो बुरी नजर को विफल कर देता है।
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ज्योतिष और शनिदेव का संबंध
ज्योतिष शास्त्र में काला धागा का सीधा संबंध शनि ग्रह से माना जाता है। शनि ग्रह को न्याय का देवता और कर्मफल दाता कहा जाता है। कुछ लोग शनि के प्रकोप या अशुभ प्रभावों से बचने के लिए यह धागा धारण करते हैं।
मान्यता है कि काला धागा पहनने से शनिदेव की कृपा बनी रहती है और जीवन की बाधाएं दूर होती हैं। शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या के दौरान भी इसे धारण करने की सलाह दी जाती है। यह एक प्रकार का ज्योतिषीय उपाय है, जो जीवन में संतुलन लाता है।
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काला धागा और ऊर्जा अवशोषण का विज्ञान
काला धागा (Astrology) पहनने के पीछे भौतिकी का एक दिलचस्प सिद्धांत काम करता है। विज्ञान के मुताबिक, काला रंग ऊष्मा और प्रकाश का सबसे अच्छा अवशोषक होता है।
यही कारण है कि गर्मियों में हमें काले कपड़े पहनने से मना किया जाता है। इसी सिद्धांत को लोक मान्यता से जोड़कर देखा जाता है। यहां नजर को नकारात्मक ऊर्जा की वापसी माना जाता है।
जिस प्रकार काला धागा प्रकाश की सभी आवृत्तियों को अवशोषित कर लेता है। उसी तरह यह 'नकारात्मक ऊर्जा' की आवृत्तियों को भी सोख लेता है। यह नकारात्मक ऊर्जा शरीर पर कोई बुरा प्रभाव नहीं डाल पाती है। astrological science
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मनोविज्ञान और प्लेसिबो इफेक्ट
काला धागा पहनने के साइकोलोजिस्ट लाभों को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है। इसे मनोविज्ञान में 'प्लेसबो इफेक्ट' के नाम से जाना जाता है। प्लेसबो इफेक्ट तब होता है जब व्यक्ति को सिर्फ विश्वास के दम पर लाभ मिलता है।
धागा पहनने से व्यक्ति का यह विश्वास मजबूत होता है कि अब वह सुरक्षित है और बुरी नजर से मुक्त है। यह प्रचंड विश्वास उसे व्यर्थ चिंता और तनाव से मुक्त करता है, जिससे वह बेहतर महसूस करता है।
काला धागा एक मानसिक एंकर या भरोसे की तरह काम करता है। जब भी व्यक्ति इसे देखता है तो उसे याद आता है कि वह सुरक्षित है, जिससे उसका आत्मविश्वास बढ़ता है। ये पॉजिटिव साइकोलॉजिकल इफेक्ट्स जीवन में सफलता के लिए बहुत जरूरी है। यह सुरक्षा की भावना मन को आंतरिक बल देती है।
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आस्था, विज्ञान और मन का मेल
भले ही मॉडर्न साइंस इस बात की पुष्टि न करे कि काला धागा 'नजर' हटाता है या नहीं, लेकिन इसका मानसिक लाभ स्पष्ट है। यह मन को शांत करने में और इंटरनल फोर्सेज देने में मददगार है।
काला धागा आस्था के लिए एक धार्मिक कवच का काम करता है। विज्ञान के लिए यह ऊर्जा अवशोषण का संभावित विचार हो सकता है। मनोविज्ञान के लिए यह आत्मविश्वास और सुरक्षा का सबसे बड़ा प्रतीक है।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
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