भारत के मध्य प्रदेश राज्य के रायसेन जिले के गुदावल गांव में स्थित मां कंकाली माता मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व बहुत अधिक है। यह मंदिर भारत का इकलौता काली मां का मंदिर माना जाता है, जहां मां काली की गर्दन लगभग 45 डिग्री तक झुकी हुई है। यह चमत्कारी घटना न केवल स्थानीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय श्रद्धालुओं को भी आकर्षित करती है। इस मंदिर का इतिहास 17वीं सदी से जुड़ा हुआ है और इसकी स्थापना के पीछे एक रहस्यमय घटना है।
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मंदिर की स्थापना
कहा जाता है कि, 1731 में एक स्थानीय निवासी, हरलाल मीणा, को स्वप्न में मां काली के दर्शन हुए। स्वप्न में उन्होंने माता से उस स्थान पर खुदाई करने का निर्देश प्राप्त किया, जहां बाद में मंदिर की स्थापना की गई। खुदाई के दौरान यहां कई देवी-देवताओं की मूर्तियां मिली, जिनमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश की मूर्तियां शामिल थीं। इसके बाद से इस मंदिर में कई चमत्कारी घटनाओं का सिलसिला शुरू हो गया।
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कली मां की झुकी हुई गर्दन
मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां मां काली की गर्दन 45 डिग्री तक झुकी है और नवरात्रि के समय यह गर्दन अचानक सीधी हो जाती है। यह घटना एक अद्भुत चमत्कार मानी जाती है और कहा जाता है कि जो श्रद्धालु नवरात्रि के समय मां काली की गर्दन को सीधा होते हुए देख लेते हैं, उनके सभी बिगड़े काम बन जाते हैं।
हर साल नवरात्रि के समय इस मंदिर में लाखों श्रद्धालु आते हैं। यहां की विशेष पूजा पद्धतियों और चमत्कारी घटनाओं के कारण यह स्थान धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बन चुका है। श्रद्धालु यहां गोबर से उल्टे पंजे का निशान बनाकर मन्नत मांगते हैं, जो इस मंदिर की अनूठी पूजा विधि को दर्शाता है।
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चोरी और चमत्कार
कहा जाता है कि, 1970 के दशक में इस मंदिर से ब्रह्मा, विष्णु और महेश की मूर्तियां चोरी हो गई थीं। चोरों ने इन मूर्तियों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेच दिया था, लेकिन बाद में एक चमत्कारी घटना घटी। चोर अंधे हो गए और उन्होंने अपनी गलती स्वीकार करते हुए मूर्तियों को वापस कर दिया। इस घटना ने कंकाली माता के चमत्कारी प्रभाव को और भी अधिक प्रकट किया।
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