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कामिका एकादशी का धार्मिक महत्व अत्यधिक है, जो श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को होती है। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, और साथ ही देवी लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है।
इस एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को जीवन में सुख-समृद्धि, धन-संपत्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही इस दिन व्रत रखने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
इस साल ये एकादशी 21 जुलाई 2025 को है। आइए, जानते हैं इस दिन से जुड़ी व्रत कथा और पूजा विधि के बारे में, ताकि आप इसे सही तरीके से कर सकें और इसके शुभ फलों का अनुभव कर सकें।
कामिका एकादशी की व्रत कथा
कामिका एकादशी की कथा बहुत पुरानी और महत्वपूर्ण है, जो हमें भगवान विष्णु की उपासना के महत्व को बताती है। यह कथा भगवान श्री कृष्ण और धर्मराज युधिष्ठिर के संवाद से जुड़ी है, जब युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण से श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी के बारे में पूछा।
कथा के मुताबिक,
एक समय की बात है, जब देवर्षि नारद जी ने ब्रह्माजी से श्रावण मास की कृष्ण एकादशी के बारे में पूछा था। ब्रह्माजी ने नारदजी को इस एकादशी का नाम "कामिका एकादशी" बताया और कहा कि इस दिन विष्णु भगवान की पूजा करने से वाजपेय यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है।
ब्रह्माजी ने यह भी बताया कि इस दिन शंख, चक्र और गदाधारी भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। ब्रह्माजी ने यह भी कहा कि गंगा, काशी और पुष्कर में स्नान करने से जो पुण्य मिलता है, वही पुण्य विष्णु भगवान की पूजा करने से प्राप्त होता है। इसी प्रकार, इस दिन पापों के नाश के लिए इस एकादशी का व्रत करना बहुत लाभकारी है।
एक और कथा के मुताबिक,
एक बार एक गांव में एक ठाकुर जी का एक ब्राह्मण से झगड़ा हो गया और क्रोध में आकर ठाकुर ने ब्राह्मण का वध कर दिया। ठाकुर ने अपने पाप की क्षमा याचना करने के लिए मुनि से सलाह ली।
मुनि ने उसे कामिका एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। ठाकुर ने वही किया और भगवान के दर्शन किए। भगवान ने उसे क्षमा कर दिया और उसके पापों को नष्ट कर दिया। इस प्रकार, इस एकादशी का व्रत न केवल पापों का नाश करता है बल्कि भगवान विष्णु के आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि भी लाता है।
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कामिका एकादशी का समयपंचांग के मुताबिक, ये एकादशी 2025 के लिए तिथि और समय इस प्रकार हैं: आरंभ तिथि: 20 जुलाई 2025, दोपहर 12:12 बजे से |
इस दिन क्या करें
इस एकादशी के दिन पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन निम्नलिखित कार्य करने से पुण्य और फल की प्राप्ति होती है:
पूजा विधि
- स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें और भगवान विष्णु की पूजा करें।
- पूजा स्थल पर दीपक जलाएं और शांतिपूर्वक ध्यान केंद्रित करके मंत्रों का जाप करें।
विशेष मंत्रों का जाप
- इस दिन भगवान विष्णु के इन मंत्रों का जाप करना विशेष फलकारी होता है:
भगवान विष्णु का शक्तिशाली मंत्र
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
लक्ष्मी नारायण मंत्र
- ॐ श्रीं श्री लक्ष्मी-नारायणाभ्यां नमः
भगवान विष्णु गायत्री मंत्र
- ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात:
विष्णु स्तुति मंत्र
शांताकारं भुजगशयनं, पद्मनाभं सुरेशं,
विश्वाधारं गगनसदृशं, मेघवर्णं शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं, योगिभिर्ध्यानगम्यम्,
वन्दे विष्णुं भवभयहरं, सर्वलोकैकनाथम्।।
दीपदान और जागरण
- इस एकादशी की रात को दीपक जलाने और जागरण का महत्व है।
- जो इस रात को दीपक जलाते हैं, उनके पितर स्वर्ग लोक में अमृत पान करते हैं।
- घी या तेल का दीपक जलाने से व्यक्ति सूर्य लोक तक पहुंचता है।
तुलसी पत्र अर्पण
- भगवान विष्णु को तुलसी पत्र अर्पित करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
एकादशी पर विशेष दान
- इस एकादशी पर दान का भी विशेष महत्व है।
- इस दिन जरूरतमंदों को दूध, दही, चावल, चीनी और सफेद वस्त्र दान करना चाहिए।
- यह दान न केवल भगवान विष्णु को प्रसन्न करता है बल्कि व्यक्ति के जीवन से दरिद्रता और दुर्भाग्य को भी दूर करता है।
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