हिन्दू धर्म का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार दीपावली 4 नवंबर को देश भर में मनाया जा रहा है। दीपावली पर धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने का विशेष महत्व है। दीपावली के दिन शुभ मुहूर्त और सही पूजन विधि से मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया जाता है। ज्योतिषियों का कहना है कि इस बार दिवाली पर तुला राशि में चार ग्रहों के आ जाने से चतुर्ग्रही योग बन रहा है। इस दिन की गई पूजा का शुभ फल जल्दी ही मिलेगा।
ये हैं शुभ मुहूर्त
ऑफिस
सुबह 11.20 से दोपहर 1.27 बजे तक
दोपहर- 2.50 बजे से शाम 4.20 बजे तक
दुकान
दोपहर 2.50 बजे से शाम 4.20 बजे तक
शाम 5.34 बजे से रात 8.10 बजे तक
फैक्ट्री
सुबह 9 बजे से 11.19 बजे तक
रात 11.40 से 12.31 बजे तक
घर
दोपहर 2.50 बजे से शाम 4.20 बजे तक
शाम 5.34 बजे से रात 8.10 बजे तक
रात 11.40 से 12.31 बजे तक
सबसे पहले शुद्धि
अपने ऊपर, आसन और पूजन सामग्री पर 3-3 बार कुशा या पुष्पादि से जल का छिड़काव कर यह शुद्धिकरण मंत्र पढ़ें-
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपि वा। यःस्मरेत् पुण्डरीकाक्षं सबाह्याभ्यंतर: शुचिः।।
ये मंत्र पढ़ते हुए आचमन करें और हाथ धोएं..
ॐ केशवाय नमः, ॐ माधवाय नम:, ॐनारायणाय नमः ऊँ ऋषिकेशाय नम:
अनामिका अंगुली से चंदन/रोली लगाते हुए मंत्र पढ़ें-
चन्दनस्य महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम्
आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठतु सर्वदा।
कलश पूजा
कलश में जल भरकर उसमें सिक्का, सुपारी, दुर्वा, अक्षत, तुलसी पत्र डालें फिर कलश पर आम के पत्ते रखें। नारियल पर वस्त्र लपेटकर कलश पर रखें। हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर वरुण देवता का आहवान मंत्र पढ़कर कलश पर छोड़ें-
आगच्छभगवान् देवस्थाने चात्र स्थिरोभव।
यावत् पूजा समाप्ति स्यात् तावत्वं सुस्थिरो भव।।
फिर कलश में कुबेर, इंद्र सहित सभी देवी-देवताओं का स्मरण कर के आह्वान और प्रणाम करें।
भगवान गणेश, विष्णु, इंद्र और कुबेर पूजा विधि
लक्ष्मी जी की पूजा से पहले भगवान गणेश का पूजन करें। ॐ गं गणपतये नम: मंत्र बोलते हुए गणेश जी को स्नान करवाने के बाद सभी पूजन सामग्री चढ़ाएं। इसके बाद हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर कुबेर, इंद्र और भगवान विष्णु की मूर्ति पर चढ़ाते हुए मंत्र बोलें, सर्वेभ्यो देवेभ्यो स्थापयामि। इहागच्छ इह तिष्ठ। नमस्कारं करोमि। फिर सर्वेभ्यो देवेभ्यो नम: बोलते हुए सभी देवताओं पर पूजन सामग्री चढ़ाएं।
देवी सरस्वती की पूजा
अक्षत-पुष्प लेकर सरस्वती जी का ध्यान कर के आव्हान करें। फिर ऊँ सरस्वत्यै नम: मंत्र बोलते हुए एक-एक कर के सभी पूजन सामग्री चढ़ाएं। साथ ही इसी मंत्र से पेन, पुस्तक और बहीखाता की पूजा करें। इसके बाद लक्ष्मी पूजा शुरू करें।