सावन के महीने में क्यों पृथ्वी पर आते हैं महादेव, शिवपुराण की कथा में जानें इसका रहस्य

सावन का महीना भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष है। इस महीने में शिव जी पृथ्वी पर आकर भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। सावन का महत्व पौराणिक कथाओं में निहित है, जहां भगवान शिव भक्तों की इच्छाओं को जल्द ही पूरा करते हैं।

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Manya Jain
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सावन का महीना हिन्दू धर्म में बहुत विशेष महत्व रखता है। इस महीने में भगवान शिव की पूजा की जाती है और उन्हें विशेष रूप से प्रिय माना जाता है। इस साल सावन के महीने की शुरूआत 11 जुलाई से हो गई है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन के महीने में भगवान शिव पृथ्वी पर आकर अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं और इस दौरान उनकी पूजा का फल शीघ्र प्राप्त होता है।

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान शिव सावन के महीने में पृथ्वी पर क्यों आते हैं और कहां रहते हैं? आइए जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कथा और धार्मिक महत्व।

🕉️ शिवपुराण की कथा

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  • शिवपुराण के अनुसार, एक बार राजा दक्ष ने अपने महल में एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया।
  • यज्ञ में सभी देवी-देवताओं और ऋषि-मुनियों को आमंत्रित किया गया, लेकिन उन्होंने अपने दामाद भगवान शिव को यज्ञ में शामिल होने का निमंत्रण नहीं दिया।
  •  देवी सती जब यह सुनती हैं तो वह अत्यंत क्रोधित होती हैं और भगवान शिव से यज्ञ में जाने की अनुमति मांगती हैं।
  • भगवान शिव ने बिना निमंत्रण के यज्ञ में जाने से मना कर दिया, लेकिन सती ने उनकी बात न मानते हुए बिना किसी निमंत्रण के अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में भाग लिया।

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💔 देवी सती का प्राण त्याग और शिव का क्रोध

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  • राजा दक्ष के यज्ञ में भगवान शिव का अपमान देखकर देवी सती अत्यंत दुखित और क्रोधित हुईं। उन्होंने यज्ञ कुण्ड में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए।
  • यह सुनकर भगवान शिव बहुत क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने गण वीरभद्र को दक्ष के यज्ञ को विध्वंस करने का आदेश दिया।
  • वीरभद्र ने दक्ष का सिर धड़ से अलग कर दिया और उसे उसी यज्ञ कुण्ड में डाल दिया।
  •  इस घटना से देवताओं में हाहाकार मच गया और सभी देवताओं ने शिव की स्तुति की। ब्रह्मा जी ने शिव से दक्ष को माफ करने की प्रार्थना की।

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🌿 दक्ष को जीवन का वरदान और शिवलिंग की स्थापना

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  • भगवान शिव ने राजा दक्ष को माफ किया, लेकिन उनका सिर यज्ञ कुण्ड में समाहित हो चुका था।
  • तब भगवान शिव ने एक बकरे का सिर काटकर दक्ष के शरीर पर रखा और उन्हें पुनः जीवित किया।
  • दक्ष ने शिव से एक शिवलिंग स्थापित करने का आग्रह किया, और भगवान शिव ने वहां पर एक शिवलिंग स्थापित किया और यह वचन लिया कि वह पूरे सावन माह तक यहीं पर निवास करेंगे।

🏞️ माता पार्वती का जन्म और शिव का पृथ्वी पर आगमन

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  • माता पार्वती के रूप में देवी सती का पुनः जन्म हुआ, और उन्होंने महादेव को अपना पति पाने के लिए कठोर तपस्या की।
  •  शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया।
  •  यही कारण है कि सावन के महीने में भगवान शिव माता पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करते हैं, और इस दौरान वे हरिद्वार के पास कनखल में दक्षेश्वर के रूप में विराजमान होते हैं।

🙏 सावन के माह में महादेव का वास और पूजा का महत्व

  • सावन के महीने में भगवान शिव का विशेष रूप से पूजन किया जाता है। इस महीने में शिवलिंग पर जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और पूजा की जाती है।
  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस समय भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं और जो भक्त सच्चे मन से उनकी पूजा करता है, उसके सारे दुख दूर हो जाते हैं।
  • सावन में भगवान शिव पृथ्वी पर आकर अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं, और यह समय विशेष रूप से शिव पूजा के लिए उत्तम होता है।

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