गुप्त नवरात्रि : मां छिन्नमस्ता की पूजा से दूर होगा अकाल मृत्यु का डर

गुप्त नवरात्रि के पांचवे दिन मां छिन्नमस्ता की पूजा से क्या अद्भुत लाभ मिल सकते हैं? जानिए इस दिन के रहस्यमयी मंत्र और शक्ति को। मां छिन्नमस्ता की पूजा से आपकी जिंदगी में आ सकती है स्थिरता और समृद्धि, लेकिन इसका असली रहस्य क्या है? जानिए...

Advertisment
author-image
Kaushiki
New Update
navratrii
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

गुप्त नवरात्रि 2025 का आज पांचवा दिन है, यह दिन देवी छिन्नमस्ता को समर्पित है। इस दिन को विशेष रूप से उनके रौद्र रूप की पूजा के लिए जाना जाता है, जो राक्षसों का संहार करने वाली देवी मानी जाती हैं। मां छिन्नमस्ता के बारे में पौराणिक कथाओं में उल्लेख मिलता है कि उन्होंने देवताओं को राक्षसों के आतंक से मुक्त किया था।

ऐसा माना जाता है इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि यह पूजा व्यक्ति को अकाल मृत्यु के डर से मुक्त करती है और दीर्घायु प्रदान करती है। इसके अलावा, कन्या पूजन से पूजा का फल और भी बढ़ जाता है। ये पूजा न केवल व्यक्ति को समाज में प्रतिष्ठा और सम्मान देता है, बल्कि समृद्धि और सुख का भी वरदान देता है। जानिए इस दिन की पूजा विधि, मंत्र और लाभ के बारे में...

मां छिन्नमस्ता की पूजा

गुप्त नवरात्रि के पांचवे दिन, सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें और एक वेदी पर मां छिन्नमस्ता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। प्रतिमा को गंगाजल, पंचामृत और साफ जल से स्नान कराएं। फिर देवी को कुमकुम और सिंदूर से तिलक लगाएं। मां छिन्नमस्ता को गुड़हल के फूल अर्पित करना विशेष फलदायक होता है, क्योंकि यह उनके प्रिय फूल माने जाते हैं।

पूजा में लौंग, इलायची, बतासा, नारियल, मिठाई और फल का भोग अर्पित करें। अंत में, देवी की आरती करें और उनके मंत्रों का जाप करें। पूजा के बाद अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगे। इस दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व है, जिसे करने से पूजा का फल और भी बढ़ जाता है।

खबर ये भी- माघ गुप्त नवरात्रि आज से शुरू, ये तीन उपाय बदल देगी किस्मत

मां छिन्नमस्ता का मंत्र

माना जाता है कि, मां छिन्नमस्ता के मंत्र का जाप विशेष रूप से कुंडलिनी जागरण के लिए किया जाता है। इसके लिए एक हाथ में काले नमक की डली लेकर, दूसरे हाथ से काले हकीक या अष्टमुखी रुद्राक्ष माला से मंत्र का जाप करना चाहिए। मंत्र है श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीये हूं हूं फट् स्वाहा।

ऐसा माना जाता है कि, मंत्र के जाप से कुंडलिनी का जागरण होता है और व्यक्ति को दीर्घायु और स्थिरता मिलती है। यह मंत्र न केवल मानसिक शांति और समृद्धि प्रदान करता है, बल्कि पूजा करने वाले को अकाल मृत्यु से भी बचाता है। 

खबर ये भी- गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन मां भुवनेश्वरी की करें पूजा, मिलेगा ज्ञान का वरदान

मां छिन्नमस्ता की पूजा के लाभ

मां छिन्नमस्ता की पूजा से व्यक्ति को कई लाभ मिलते हैं। यह पूजा विशेष रूप से उस व्यक्ति के लिए फलदायक होती है, जो मानसिक तनाव, आर्थिक समस्याओं और जीवन में अस्थिरता से जूझ रहा हो। मां छिन्नमस्ता की पूजा से व्यक्ति को स्थिरता, समृद्धि और शांति का वरदान मिलता है।

इसके अतिरिक्त, पूजा से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और जीवन में खुशहाली आती है। यह मंत्र कुंडलिनी योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, खासकर मूला धरा चक्र के जागरण के लिए।

खबर ये भी- साल की दूसरी नौदुर्गा: आषाढ़ महीने की गुप्त नवरात्रि में ऐसे करें पूजा-अर्चना

FAQ

गुप्त नवरात्रि के पांचवे दिन कौन सी देवी की पूजा की जाती है?
इस दिन देवी छिन्नमस्ता की पूजा की जाती है।
मां छिन्नमस्ता की पूजा विधि क्या है?
मां छिन्नमस्ता की पूजा के लिए उन्हें गुड़हल के फूल, मिठाई, फल, लौंग, इलायची और नारियल अर्पित किए जाते हैं।
मां छिन्नमस्ता के मंत्र का क्या महत्व है?
मां छिन्नमस्ता के मंत्र से कुंडलिनी जागरण होता है और व्यक्ति को समृद्धि, स्थिरता और दीर्घायु मिलती है।
गुप्त नवरात्रि के पांचवे दिन पूजा के बाद कौन सा कार्य करना चाहिए?
पूजा के बाद अपनी गलतियों के लिए देवी से क्षमा मांगनी चाहिए और कन्या पूजन भी करना चाहिए।
मां छिन्नमस्ता की पूजा से कौन से लाभ होते हैं?
इस पूजा से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है, साथ ही समृद्धि, शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।

thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

Navratri latest news पूजा विधि navratri fast गुप्त नवरात्रि Navratri Bhog धर्म ज्योतिष न्यूज