उज्जैन महाकाल मंदिर में फिर लौटेगा 2600 साल पुराना इतिहास, बनेंगे भव्य द्वार

महाकाल मंदिर उज्जैन में 2600 साल पुरानी भव्य द्वार परंपरा फिर से शुरू की जा रही है, जिससे मंदिर का ऐतिहासिक गौरव लौटेगा। महाकाल मंदिर की आध्यात्मिक गरिमा को और बढ़ाया जाएगा।

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Kaushiki
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महाकाल मंदिर उज्जैन
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महाकाल मंदिर में श्रद्धालु अब भव्य और ऐतिहासिक द्वारों से होकर प्रवेश करेंगे। मंदिर प्रबंध समिति ने फैसला लिया है कि, मंदिर तक जाने वाले सभी प्रमुख मार्गों पर ऐतिहासिक शैली में द्वारों का निर्माण किया जाएगा। यह परंपरा लगभग 26 सौ वर्ष पुरानी मानी जाती है।

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Mahakal Temple Ujjain : महाकाल मंदिर में वापस शुरू होने जा रही 2600 साल  पुरानी द्वार परंपरा

इतिहास में दर्ज है यह परंपरा

बता दें कि, आर्कियोलॉजिस्ट डॉ. रमण सोलंकी के मुताबिक, यह परंपरा राजा चंद्र प्रद्योत के समय से चली आ रही है। उन्होंने महाकाल मंदिर के रास्तों पर भव्य द्वार बनवाए थे।

बाद में सम्राट अशोक और विक्रमादित्य ने इन द्वारों का जीर्णोद्धार और संरक्षण किया। राजाभोज ने चौबीस खंभा द्वार बनवाकर इस परंपरा को नया जीवन दिया।

Mahakal Temple Ujjain : महाकाल मंदिर में वापस शुरू होने जा रही 2600 साल  पुरानी द्वार परंपरा

आज भी मौजूद हैं प्राचीन द्वार

  • महाकाल द्वार: उत्तर दिशा में स्थित है, जिसके दोनों ओर भगवान गणेश की मूर्तियां स्थापित हैं।
  • चौबीस खंभा द्वार: माता महामाया और महालया की पूजा के लिए प्रसिद्ध।
  • सती गेट और अन्य द्वारों पर भी देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं, जो नगर की रक्षा और समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं।

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नगर सुरक्षा का प्रतीक

प्राचीन काल में द्वार सिर्फ सौंदर्य के लिए नहीं बल्कि नगर की सुरक्षा और धार्मिक महत्व के लिए बनाए जाते थे। द्वारों पर देवी-देवताओं की स्थापना कर नगर के मंगल की कामना की जाती थी।

निर्माण कार्य की योजना

  • प्रबंध समिति ने उज्जैन विकास प्राधिकरण के साथ मिलकर इन द्वारों के निर्माण की योजना बनाई है।
  • बड़ा गणेश, हरसिद्धि और शक्ति पथ जैसे मार्गों पर भव्य द्वार बनाए जाएंगे।
  • नीलकंठ, नंदी, धनुष और शहनाई द्वार पर धातु से बने कलात्मक द्वार स्थापित होंगे।

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उद्देश्य

  • इस ऐतिहासिक परंपरा को फिर से जीवंत कर:
  • महाकाल मंदिर की आध्यात्मिक गरिमा को और बढ़ाया जाएगा।
  • श्रद्धालुओं को धार्मिक-सांस्कृतिक अनुभव मिलेगा।
  • उज्जैन को एक वैश्विक धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में और अधिक समृद्ध किया जाएगा।

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