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मकर संक्रांति हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। जो भगवान सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान करने की परंपरा रही है, क्योंकि माना जाता है कि इससे पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन लोग तिल के लड्डू और खिचड़ी बनाकर खाते हैं, और मान्यता है कि खिचड़ी खाने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती है।
पंचांग के अनुसार, इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी, क्योंकि इसी दिन सुबह 9:03 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगा। मकर संक्रांति से उत्तरायण भी शुरू होता है, यानी इस दिन से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर बढ़ना शुरू कर देता हैं। मान्यता है कि मकर संक्रांति के बाद दिन बड़े होने लगते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं।
उत्तरायण और दक्षिणायन क्या होते हैं?
धरती का झुकाव 23.5 डिग्री पर होता है, जिस कारण दिन और रात की लंबाई में बदलाव आता है। जब धरती का उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की तरफ झुका होता है, तो उसे उत्तरायण कहते हैं, और जब दक्षिणी गोलार्द्ध सूर्य की तरफ झुकाव होता है, तो उसे दक्षिणायन कहा जाता है।
मकर संक्रांति से क्यों बड़े होते हैं दिन?
मकर संक्रांति से उत्तरायण शुरू होता है, जिसका मतलब है कि अब धरती का उत्तरी गोलार्द्ध धीरे-धीरे सूर्य की तरफ झुकने लगता है। इसका परिणाम यह होता है कि सूर्य की किरणें उत्तरी गोलार्द्ध पर सीधे पड़ने लगती हैं, जिससे दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं। वहीं, दक्षिणी गोलार्द्ध पर सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं, जिससे वहां दिन छोटे हो जाते हैं। इस प्रकार मकर संक्रांति का त्योहार न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी छिपे हुए हैं।
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