आज मकर संक्रांति का पर्व, जानें इसका ऐतिहासिक और खगोलीय महत्व, 1200 साल बाद ये संक्रांति फरवरी में आएगी

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Atul Tiwari
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आज मकर संक्रांति का पर्व, जानें इसका ऐतिहासिक और खगोलीय महत्व, 1200 साल बाद ये संक्रांति फरवरी में आएगी

BHOPAL. मकर संक्रांति हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार माना जाता है। भारत के अलग-अलग राज्यों में मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के राशि परिवर्तन के मौके पर मनाया जाता है। इस दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर में प्रवेश कर जाते हैं। सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना मकर संक्रांति कहलाता है। वैसे तो मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है, लेकिन इस साल 2023 में मकर संक्रांति 15 जनवरी को है। हिंदू पंचांग के अनुसार, ग्रहों के राजा सूर्य 14 जनवरी 2023 की रात 8 बजकर 21 मिनट पर मकर राशि में गोचर किया था। इस लिहाज से उदया तिथि 15 जनवरी को हुई। 



सूर्य उत्तर की ओर खिसकना दिसंबर में शुरू होते हैं, संक्रांति जनवरी में



वैज्ञानिक तौर पर देखें तो 21 दिसंबर को सूर्य वास्तव में उत्तर की ओर खिसकना शुरू होता है, लेकिन भारत और उत्तरी ध्रुव के मध्य अक्षांशीय देशों में यह प्रभाव मकर संक्रांति पर ज्यादा प्रभावी माना जाता है। इस अंतर की एक वजह है कि तकनीकी तौर पर उत्तरायण 21 दिसंबर को शुरू होता है। हिंदू पंचांग में मकर संक्रांति से उत्तरायण को प्रभावी माना गया है। यह अंतर 24 दिन का है और पृथ्वी के घूर्णन के अक्ष में हर 1500 साल में होने वाले बदलाव की वजह से यह अंतर दिखता है। अब से 1200 साल बाद यह तारीख फरवरी के महीने में खिसक जाएगी।



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संक्रांति कभी 14 तो कभी 15 जनवरी क्यों?



मकर संक्राति का नियम यह है कि जिस समय सूर्य का सूर्यास्त के बाद मकर राशि में प्रवेश होता है, उसके अगले दिन ही मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। 2001 से लेकर 2007 तक ऐसा 14 जनवरी को दिन में हो रहा था। 2008 को यह 14-15 जनवरी को रात को 12.07 मिनट पर संक्रमण हुआ, जिससे संक्राति का पर्व 15 जनवरी हो गया। हर साल यह समय 6 घंटे 9 मिनट आगे खिसकता है और 4 साल में यह 24 घंटे 36 आगे खिसकता है, लेकिन लीप वर्ष आने के कारण यह 24 घंटे पीछे खिसक जाता है यानि हर चार साल में 36 मिनट आगे खिसकता है, जिससे कुछ सालों में संक्रांति की तारीख आगे खिसक जाती है।



संक्रांति की क्यों नहीं बदलती तारीख



भारत में सामान्यतः सभी त्यौहार चंद्रमा की गति के अनुसार होते हैं, जिसकी वजह से अंग्रेजी कैलेंडर में उनकी तारीख हर साल बदल जाती है। यही वजह है कि होली, दिवाली, जैसे त्योहार अलग-अलग तारीखों पर पड़ते हैं। केवल मकर संक्रांति ही ऐसा त्योहार है, जो 14 या 15 जनवरी को पड़ता है, यह सूर्य की चाल के आधार पर होता है और अंग्रेजी कैलेंडर का आधार भी सूर्य की चाल ही है।



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मकर संक्रांति यानी मौसम के बदलाव का संकेत



मकर संक्रांति के बाद उत्तरी गोलार्ध (नॉर्थ हेमिस्फियर, जिसमें भारत स्थित है) में सूर्य उत्तर की ओर जाने लगता है और भारत समेत उत्तरी गोलार्द्ध में सर्दी कम होने लगती है और गर्मी बढ़ने लगती है। ऐसा 21 जून तक होता है, जिसके बाद से सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में जाने लगता है। लेकिन भारत में मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व ज्यादा है, जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में जाता है। यह तारीख14 या 15 जनवरी को पड़ती है।



त्योहार एक, नाम अनेक









राज्य


नाम





मध्य प्रदेश/महाराष्ट्र


मकर संक्रांति





उत्तर प्रदेश


खिचड़ी





पंजाब/हरियाणा/हिमाचल प्रदेश


माघी





गुजरात/राजस्थान


उत्तरायण





बिहार/झारखंड


मकर सक्रात





असम


माघ बिहू





जम्मू कश्मीर


शिशिर सक्रात





ओडिशा


मकर संक्रांति





आंध्र प्रदेश


पेड्डा पांडुया





तमिलनाडु


पोंगल





केरल


मकर विलक्कू





कर्नाटक


मकर संक्रमण






मकर संक्रांति 2023 पूजा विधि, ये करें उपाय




  • मकर संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान करें। 


  • साफ वस्त्र पहनकर तांबे के लोटे में पानी भर लें और उसमें काला तिल, गुड़ का छोटा सा टुकड़ा और गंगाजल लेकर सूर्य के मंत्रों का जाप करते हुए अर्घ्य दें। इस दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देने के साथ ही शनिदेव को भी जल अर्पित करें। इसके बाद गरीबों को तिल और खिचड़ी का दान करें।

  • मकर संक्रांति के दिन पानी में काली तिल और गंगाजल मिला कर स्नान करें। इससे सूर्य की कृपा होती है और कुंडली के ग्रह दोष दूर होते हैं। ऐसा करने से सूर्य और शनि दोनों की कृपा मिलती है, क्योंकि इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनि के घर मकर में प्रवेश करते हैं।

  • ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव को अर्घ्य देना बेहद शुभ होता है। 

  • इस दिन तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें काला तिल, गुड़, लाल चंदन, लाल पुष्प, अक्षत आदि डालें और फिर 'ॐ सूर्याय नम:' मंत्र का जाप करते हुए सूर्य को अर्घ्य दें।


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